रूस के एस-400 से कमतर है चीन की एयर डिफेंस प्रणाली, भारत को जल्द मिलने की उम्मीद


एस-400 दुनिया का सबसे बेहतरीन मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है .
विदेश मंत्री एस जयशंकर की मेजबानी में हुई ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की डिजिटल बैठक में शामिल होने के बाद लावरोव ने संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत को एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति से जुड़े सौदे के क्रियान्वयन में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
मॉस्को. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मंगलवार को कहा कि भारत को एस-400 मिसाइलों (S-400 missiles) की आपूर्ति से जुड़े सौदे के क्रियान्वयन में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उनकी टिप्पणी से कुछ सप्ताह पहले रूस की अस्त्र कंपनी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के मुख्य कार्याधिकारी एलेक्जेंडर मिखेयेव ने कहा था कि भारत को रूस से एस-400 मिसाइलों की पहली खेप इस साल अक्टूबर-दिसंबर में मिलेगी.
विदेश मंत्री एस जयशंकर की मेजबानी में हुई ब्रिक्स विदेश मंत्रियों की डिजिटल बैठक में शामिल होने के बाद लावरोव ने संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत को एस-400 मिसाइलों की आपूर्ति से जुड़े सौदे के क्रियान्वयन में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
पांच इकाई खरीदने के लिए हुआ है करार
अक्टूबर 2018 में भारत ने रूस के साथ पांच अरब डालर में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाई खरीदने का करार किया था. भारत इसके लिए 2019 में 80 करोड़ डालर की पहली किस्त का भुगतान कर चुका है.जानिए क्या है एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
एस-400 मिसाइल सिस्टम 400 किलोमीटर के दायरे में आने वाली मिसाइलों और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी खत्म करने में सक्षम है. एस-400 डिफेंस सिस्टम एक तरह से मिसाइल शील्ड का काम करेगा, जो पाकिस्तान और चीन की एटमी क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलों से भारत को सुरक्षा देगा. जानकारी के मुताबिक यह सिस्टम एक बार में 72 मिसाइल दाग सकता है.
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साथ ही यह सिस्टम अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को भी गिरा सकने में सक्षम है. इसके आलावा परमाणु क्षमता से लैस 36 मिसाइलों को ये सिस्टम एकसाथ नष्ट कर सकता है. चीन के बाद इस डिफेंस सिस्टम को खरीदने वाला भारत दूसरा देश है.