नेहरू ने अल्पसंख्यों को जो आश्वासन दिया था वैसा ही ध्यान रखा जाएगा : मोहन भागवत

असम के दो दिवसीय दौरे पर आए भागवत ने जोर देते हुए यह भी कहा कि नागरिकता कानून से किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा. भागवत ने ‘सिटिजनशिप डिबेट ओवर एनआरसी ऐंड सीएए-असम एंड द पॉलिटिक्स ऑफ हिस्ट्री’ (एनआरसी और सीसीएए-असम पर नागरिकता को लेकर बहस और इतिहास की राजनीति) शीर्षक वाली पुस्तक के विमोचन के बाद कहा, स्वतंत्रता के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि अल्पसंख्यकों का ध्यान रखा जाएगा और अब तक ऐसा ही किया गया है. हम ऐसा करना जारी रखेंगे. सीएए के कारण किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा.
Glad to attend the launch of book ‘Citizenship Debate Over NRC & CAA: Assam and the Politics of History’ authored by Prof Nani Gopal Mahanta, Guwahati University at Srimanta Sankardev International Auditorium, Kalakshetra, Guwahati today.
Best wishes to Prof Mahanta ? 1/2 pic.twitter.com/sMGVOoUzdh— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 21, 2021
भागवत ने रेखांकित किया कि नागरिकता कानून पड़ोसी देशों में उत्पीड़ित हुए अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करेगा. उन्होंने कहा, हम आपदा के समय इन देशों में बहुसंख्यक समुदायों की भी मदद करते हैं, इसलिए अगर कुछ ऐसे लोग हैं, जो खतरों और भय के कारण हमारे देश में आना चाहते हैं, तो हमें निश्चित रूप से उनकी मदद करनी होगी. भागवत ने दावा किया कि भारत को नेताओं के एक समूह ने स्वतंत्रता सेनानियों और आम लोगों की सहमति लिये बगैर विभाजित कर दिया तथा कई लोगों के सपने बिखर गए.
CAA बाहरी अल्पसंख्यकों की मदद करता है
उन्होंने कहा, देश के विभाजन के बाद भारत ने अल्पसंख्यकों की चिंताओं को सफलतापूर्वक दूर किया लेकिन पाकिस्तान ने नहीं. उन्होंने हजारों उत्पीड़ित हिंदुओं, सिखों और जैन परिवारों को घरबार छोड़ने तथा भारत में आने को मजबूर किया. सीएए उन शरणार्थियों की मदद करता है, इसका भारतीय मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने एनआरसी के बारे में कहा कि सभी देशों को यह जानने का अधिकार है कि उनके नागरिक कौन हैं. उन्होंने कहा, यह मामला राजनीतिक क्षेत्र में है क्योंकि इसमें सरकार शामिल है. लोगों का एक वर्ग इन दोनों मामलों को सांप्रदायिक रूप देकर राजनीतिक हित साधना चाहता है.
देश में अनधिकृत रूप से बसे लोगों की पहचान करना हमारा कर्तव्य
भागवत ने कहा कि सरकार का यह कर्तव्य है कि वह अनधिकृत रूप से बसे लोगों (शरणार्थियों) की पहचान करे ताकि वह अपने लोगों के फायदे के लिए कल्याणकारी योजनाएं बना सके. उन्होंने कहा कि इन लोगों की संख्या बढ़ती रही और अन्य क्षेत्रों सहित चुनावी राजनीति पर हावी होते रहें तो मूल निवासी निश्चित रूप से भयभीत होंगे. उन्होंने कहा कि समस्या तब शुरू होती है जब एक खास समूह के लोग पांच हजार साल पुरानी सभ्यता की अवज्ञा करते हैं और वे अपनी बढ़ती आबादी के बूते अपनी लोकतांत्रिक शक्ति का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाते हैं. उन्होंने कहा, इससे मूल निवासियों की संस्कृति और सामाजिक मूल्य को खतरा पैदा होता है.
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