राष्ट्रीय

हिंदू परिवार के साथ 7 साल रहे लड़के को आखिर मिले उसके मुस्लिम मां-बाप, दिलचस्‍प है कहानी

नागपुर. किसी को पालकर, उसका ख्‍याल रखकर बड़ा करने की यह कहानी थोड़ी दिलचस्‍प है. नागपुर  (Nagpur) में एक हिंदू परिवार के साथ एक लड़का करीब 7 साल रहा. हिंदू परिवार को न तो उसकी जाति पता थी और ना ही उसका नाम. लड़के को खुद भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वह मानसिक रूप से विक्षिप्‍त था. अब सात साल बाद पिछले महीने उसके असल मां-बाप के बारे में पता चला है, वे मुस्लिम हैं और जबलपुर में रहते हैं. ऐसे में वह 30 जून को वापस उनके पास गया, लेकिन जिस मां ने उसे सात साल पाला, वह उसका जन्‍मदिन मनाने के लिए 12 जुलाई को फिर नागपुर आया.

दरअसल 2012 में मोहम्‍मद आमिर जबलपुर में अपने घर से लापता हो गया था. वह किसी तरीके से नागपुर रेलवे स्‍टेशन पर मिला था. उस वक्‍त उसकी उम्र 8 साल थी. वह पुलिस को अपने घर का पता नहीं बता पा रहा था. ऐसे में पुलिस ने उसे शहर के एक सरकारी बाल गृह में भेज दिया था. वहां से वह सोशल वर्कर समर्थ दामले द्वारा संचालित घर में भेज दिया गया था. बाद में दामले का घर बंद हो गया.

उनके उस घर में रहे रहे लगभग सभी लोग अपने-अपने असल घर या अपने रिश्‍तेदारों के पास लौट गए थे. लेकिन आमिर कहीं नहीं जा पाया था. ऐसे में दामले और उनकी पत्‍नी लक्ष्‍मी ने आमिर को अपने साथ रखने का फैसला किया. उन्‍होंने उसका नाम अमन रखा था.

लेकिन इस साल आमिर को एसएससी परीक्षा के लिए आधार कार्ड बनवाना था. जब आधार कार्ड बनवाने की प्रकिया शुरू हुई तो उसे पता चला कि उसका असल नाम मोहम्‍मद आमिर है और वह जबलपुर का रहने वाला है. इसके बाद उसके असल पिता अयूब खान और मां मेहरूनिसा से उसे मिलवाने का प्रयास शुरू हुआ. वह 30 जून को वापस अपने असल मुस्लिम परिवार के पास जबलपुर लौट गया.

उसने उसको पालने वाली मां लक्ष्‍मी से वादा किया था कि वह उनका जन्‍मदिन मनाने 12 जुलाई को वापस आएगा. इस वादे के तहत वह सोमवार को नागपुर में था और लक्ष्‍मी का जन्‍मदिन मना रहा था. इसके बाद उसे जबलपुर लौटना था.

समर्थ दामले ने कहा, ‘वह हमारे साथ 7 साल रहा. हमने उसे अमन सुरेश धनागरे नाम दिया था. जब हमने उसका आधार कार्ड प्राप्‍त करने की कोशिश की तो सफलता नहीं मिली. ऐसे में मैं प्रमुख आधार सेवा केंद्र गया. वहां के मैनेजर अनिल मराठे ने सिस्‍टम में गहन जांच की कि आखिर क्‍यों अमन का आधार का आवेदन मंजूर नहीं हो रहा है. इसके बाद अनिल को पता चला कि अमन का आधार कार्ड मोहम्‍मद आमिर के नाम से पहले ही बन चुका है और वह जबलपुर का रहने वाला है.’

जब आमिर अपने घर वापस लौटा तो लक्ष्‍मी का कहना था कि वह रोया नहीं. वह मानसिक रूप से इतना सशक्‍त नहीं है कि वह अपने भाव व्‍यक्‍त कर सके.

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