ब्लैक फंगस से कर्नाटक में अब तक 303 लोगों की गई जान, बेंगलुरु में हुई 34% मौत

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कर्नाटक में 9 जुलाई तक 3491 मरीजों में म्यूकोरमायसिस होने का पता चला, जिसमें से 8.6 फीसदी की मौत हो गई. सबसे ज्यादा 1109 केस बेंगलुरु के शहरी ज़िलों में मिली. इसके बाद धाड़वाड़ में 279, विजयपुरा में 208 और कालबुर्गी में 196 मरीज मिले. बेंगलुरु के बाद सबसे ज्यादा मौतें कालबुर्गी में हुई, यहां कुल 23 लोगों की जान गई.
क्या थी वजह?
देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों में ब्लैक फंगस की कई शिकायतें आई थी. ये संक्रमण कैसे हुआ इसको लेकर फिलहाल साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. हालांकि कहा जा रहा है कि कोरोना के वो मरीज़ इस फंगस के सबसे ज्यादा शिकार हुए, जिन्हें डायबिटीज थी. इसके अलावा स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से भी मरीज़ म्यूकोरमायसिस के शिकार हुए.
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दवा की कमी
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि मई से लेकर जून के शुरुआती दिनों के बीच हुई मौतों की वजह एंटी-फंगल दवा, लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी दवा की भारी कमी थी. दवा की अत्यधिक कमी के कारण म्यूकोर्मिकोसिस के रोगियों को दवा की एक खुराक 2-3 दिनों में एक बार दी जाती थी, जबकि दिन में 5-7 खुराक की आवश्यकता होती थी. एक डॉक्टर के हवाले अखबार ने बताया कि, ‘दवा उपलब्ध नहीं थी. ये मानकर कि सरकारी अस्पतालों में दवा बेहतर उपलब्ध है, कई मरीजों को निजी से सरकारी अस्पतालों में भेज दिया गया. दवा की स्थिति जून के मध्य में ही ठीक हुई.’
कर्नाटक में कोरोना
इस बीच, कर्नाटक में बीते 24 घंटे के दौरान कोविड-19 के 2,162 नये मामले सामने आने के साथ कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 28,69,320 हो गयी जबकि 48 और मरीजों की मौत होने से मृतकों की तादाद 35,779 पहुंच गयी. कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग की ओर से शनिवार को जारी किए गए बुलेटिन के मुताबिक इस दौरान कोविड-19 के 2,879 मरीज संक्रमण मुक्त भी हुए, जिससे राज्य में इस जानलेवा वायरस को मात देने वालों की संख्या बढ़कर 27,96,377 हो गयी.