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कोविड वैक्‍सीनेशन: इंजरी रोकने के लिए HMD ने बनाई सेफ्टी नीडल, भारत में पहली बार होगी इस्‍तेमाल

नई दिल्‍ली. कोरोना वायरस को रोकने के लिए पूरे विश्‍व में वैक्‍सीनेशन (Vaccination) किया जा रहा है. भारत में भी हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स पूरी मेहनत से लोगों को वैक्‍सीन लगाने में जुटे हुए हैं. लाखों की संख्‍या में रोजाना लोगों को दी जा रही कोरोना वैक्‍सीन के दौरान इन्‍हें दुर्घटना और इंजरी (Injury) होने की संभावना भी बढ़ गई है. इसके साथ ही थोड़ी सी असावधानी के चलते स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों के साथ ही मेडिकल वेस्‍ट (Medical Waste) उठाने वाले लोगाों को गंभीर बीमारियां (Diseases) होने का खतरा भी बढ़ गया है.

हालांकि अब वैक्‍सीनेशन के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं और इंजरी से हेल्‍थकेयर वर्कर्स (HCW) और फ्रंटलाइन वर्कर्स (Front line Workers) को बचाने के लिए भारत में तैयारी शुरू कर दी गई है. अमेरिका (America) में पहले से इस्‍तेमाल की जा रही सेफ्टी नीडल (Safety Needle) अब भारत में भी वैक्‍सीनेशन के लिए इस्‍तेमाल की जाएंगी. हाल ही में हिंदुस्तान सीरिंज एन्ड मेडिकल डिवाइस (HMD) लिमिटेड ने डिस्‍पोजेक्‍ट सेफ्टी नीडल लांच की है.

न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में एचएमडी के मैनेजिंग डायरेक्‍टर राजीव नाथ ने बताया कि डिस्‍पोजेवल मेडिकल डिवाइसेज (Disposable medical Devices) बनाने में विश्‍व की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी एचएमडी ने भारत के लिए पहली बार डिस्‍पोजेक्‍ट (Dispoject) सेफ्टी नीडल बनाई है. यह परंपरागत नीडल से अलग होने के साथ ही पूरी तरह सुरक्षित है. इसे बनाने में चार साल का लंबा वक्‍त लगा है. साथ ही भारत, जापान, यूके, जर्मनी और स्विटजरलैंड के इंजीनियरों ने इसे बनाने में मेहनत की है.

फिलहाल सबसे पहले भारत में चल रहे कोरोना वैक्‍सीनेशन अभियान और हेपेटाइटिस बी और एचआईवी एड्स के मरीजों के लिए इन नीडल को बनाया जा रहा है. भारत में सप्‍लाई  के बाद बाहर के लिए भी भेजी जाएंगी. इन नीडल की मांग लगभग सभी देशों में है. ये सबसे ज्‍यादा सुरक्षित मानी जाती हैं. हालांकि भारत में अब पहली बार ये लांच की गई हैं.

2015 में WHO ने दी थी सेफ्टी नीडल को लेकर गाइडलाइंस

वे बताते हैं कि 2015 में डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी नीडल को लेकर गाइडलाइंस दी थीं. इनमें कहा था कि हेपेटाइटिस या एचआईवी जैसी नीडल के दोबारा उपयोग या गलती से छू जाने से फैलने वाली बीमारियों को लेकर सभी जगह सेफ्टी निडल का इस्‍तेमाल करना चाहिए. किसी भी नीडल स्टिक इंजरी से बचने के लिए नीडल में शार्प इंजरी प्रोटेक्‍शन या प्रिवेंशन होना जरूरी है. जिसके बाद से अमेरिका में इनका इस्‍तेमाल पूरी तरह और यूके में ज्‍यादा जरूरत पर हो रहा है. जबकि भारत में इनका इस्‍तेमाल नहीं किया गया.

क्‍या है नई डिस्‍पोजेक्‍ट सेफ्टी नीडल

नाथ बताते हैं कि हाल ही में तैयार की गई डिस्‍पोजेक्‍ट सेफ्टी नीडल आधुनिक होने के साथ ही शार्प इंजरी को रोकने वाले फीचर से लैस है. इसे इस तरह बनाया गया है कि सिंगल यूज होने के बाद ये अपने आप डिसेबल हो जाती है ताकि इसका दोबारा इस्‍तेमाल न हो सके. इससे कोई भी ब्‍लड बोर्न डिजीज का खतरा खत्‍म हो जाता है.

यह इस तरह डिजाइन की गई है कि हेल्‍थकेयर वर्कर्स को होने वाली नीडल स्टिक इंजरी से बचाती है. यह वन हेंडेड एक्‍टीवेटेड सेफ्टी मैकेनिज्‍म पर आधारित है. परंपरागत नीडल से कीमतों में बहुत ज्‍यादा अंतर नहीं है लेकिन सेफ्टी कई गुना ज्‍यादा है. यह 22 जी, 23 जी और 24 जी में उपलब्‍ध है. यूजर फ्रेंडली है और इसतेमाल की तकनीक में अंतर नहीं है.

परंपरागत नीडल से कैसे है ये अलग, ऐसे होगा इस्‍तेमाल

भारत में अभी तक दो रुपये की सीरिंज इस्‍तेमाल होती है जिसमें एक परंपरागत नीडल लगी होती है. हालांकि अब बनाई गई डिस्‍पोजेक्‍ट सेफ्टी नीडल उससे काफी अलग है. इससे बीमारियों का क्रॉस संक्रमण और किसी भी इंजरी की रोकथाम की जा सकती है.

इस नीडल के तीन हिस्‍से हैं सेफ्टी कवर, नीडल और नीडल हब. सबसे पहले इसके कवर को हटाकर नीडल को सीरिंज में लगाना होता है और शरीर में इंजेक्‍ट करना होता है. इस्‍तेमाल के बाद नीडल से ही चिपके कवर से इसे ढक दिया जाता है. इससे संक्रमित करने वाला नीडल का प्रमुख पॉइंट ढक जाता है और लॉकिंग मैकेनिज्‍म एक्टिवेट हो जाता है. इसके बाद इसे सीरिंज के द्वारा किसी धरातल पर रख कर कवर सहित इसे मोड़ दिया जाता है और डिस्‍पोज ऑफ कर दिया जाता है.

हेल्‍थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स में आए हैं इंजरी के मामले

बता दें कि कई बार सामान्‍य नीडल इस्‍तेमाल करने के दौरान हेल्‍थकेयर  वर्कर्स को चोट पहुंची है और वे संक्रमित व्‍यक्ति से बीमारी की चपेट में भी आए हैं. इसके अलावा रीकैपिंग के दौरान भी कई बार चोट पहुंची है. वहीं मेडिकल वेस्‍ट ले जाने वाले लोगों में भी नीडल से चोट लगने के साथ ही गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की सूचनाएं मिली हैं. ऐसे में डिस्‍पोजेक्‍ट सभी मरीजों के साथ ही कर्मचारियों के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करेगी.

सामान्‍य नीडल से इन बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं हेल्‍थकेयर वर्कर

राजीव नाथ कहते हैं कि सामान्‍य नीडल के इस्‍तेमाल में हुई असावधानी से ब्‍लड बोर्न डिजीज पैदा हो जाती हैं. हेल्‍थकेयर वर्कर्स में ब्‍लड बोर्न डिजीज जैसे हेपेटाइटिस बी,  हेपेटाइटिस सी, एचआईवी एड्स, सेप्‍टीकैमिया नर्व डेमेज, हेमोरेजिक फीवर आदि बीमारियां हो जाती हैं. 2003 में डब्‍ल्‍यूएचओ की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि करीब 30 लाख हेपेटाइटिस बी के मामलों में करीब 37 फीसदी हेल्‍थकेयर वर्कर्स को नीडल स्टिक इंजरी के कारण बीमारी हुई थी.  वहीं एचआईवी के कुल केसों के 5.5 फीसदी रोगी नीडल के कारण ही हुए थे.

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