आतंकियों का सपना बनकर रह जाएगा ड्रोन हमला, जानें भारत कैसे कर रहा तैयारी

ड्रोन की आसान उपलब्धता की वजह से सुरक्षा एजेंसियों को पहले ही किसी ‘आसमानी आफत’ का अंदेशा हो गया था. यही कारण है कि भारत की तरफ से एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया था. DRDO ड्रोन और एंटी ड्रोन दोनों ही तकनीक पर काफी पहले से शुरू कर चुका था और इसकी तैनाती भी कई मिलिट्री इंस्टालेशन में की जा चुकी है. पहली बार डीआरडीओ के इस एंटी ड्रोन की जानकारी सार्वजनिक तब हुई जब 74वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान के लालकिले पर किसी भी ड्रोन के हमले की आशंका को देखते हुए एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया था. इस सिस्टम का नाम था लेजर बेस्ड डायरेक्टेड एनर्जी वेपन.
ये वेपन किसी भी छोटे से छोटे ड्रोन को लेजर बीम के जरिए गिरा सकता है. एक और सिस्टम है जो कि डीआरडीओ के लगातार ट्रायल पर है कि कैसे माइक्रोवेव के जरिए ड्रोन के गिराया जा सके. इसे जैमिंग सिस्टम भी कहा जाता है. दरअसल ड्रोन किसी न किसी कम्युनिकेशन सिस्टम के जरिए ही ऑपरेट होता है और उस कम्युनिकेशन को जैम करने पर ड्रोन अपने आप नीचे आ जाता है.
सेना के तीनों अंगों में एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम जारी
खुद सीडीएस बिपिन रावत ने माना है कि भविष्य में युद्ध के लिए खुद को तैयार रखना होगा. जम्मू में हुआ ड्रोन अटैक चिंताजनक जरूर है और हमे इस बात का अंदेशा था. और इसी के मद्देनजर भारत ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी थीं. डीआरडीओ के पास ये तकनीक मौजूद है. ड्रोन के खतरे को देखते हुए भारतीय सेना के तीनो अंगों की तरफ से भी एंटी ड्रोन तकनीक लेने की कवायद को भी तेज किया गया है.
एंटी ड्रोन सिस्टम स्मैश-2000 प्लस
इसके मद्देनजर भारतीय नौसेना ने पिछले साल दुश्मन के छोटे ड्रोन से निपटने के लिए इजरायल से एंटी ड्रोन सिस्टम स्मैश-2000 प्लस’ का ऑर्डर किया. ये एंटी-ड्रोन हथियार कंप्यूटराइज्ड फायर कंट्रोल और इलेक्ट्रो-ऑप्टिक साइट सिस्टम है इसे राइफल के ऊपर फिट किया जा सकता है और हथियार पर लगाने के बाद इसकी मदद से छोटे ड्रोन को हवा में मार गिराया जा सकता है.
सूत्रों की मानें तो भारतीय सेना भी नए एंटी ड्रोन सिस्टम को खरीदने की तैयारी में है. हालांकि एयर डिफेंस का जिम्मा भारतीय वायुसेना के पास है. लेकिन भारतीय सेना में भी इनोवेशन के तहत ड्रोन जैमिंग सिस्टम पर काम हो रहा है. कॉडकॉप्टर जैमिंग सिस्टम के मुताबिक करीब 3 किलोमीटर रेंज के दायरे में बंकर के अंदर बैठकर रिमोट के जरिए इसे कंट्रोल कर सकते हैं. थर्मल इमेजर के जरिए कॉडकॉप्टर को डिटेक्ट कर सकते हैं और रिमोट कंट्रोल के जरिए उसे ट्रैक कर सकते हैं.
सिगनल जैमर को ऑन करते ही कॉडकॉप्टर के सिगनल जैम हो जाते हैं और वह नीचे आ जाता है. भारतीय सेना के एयरडिफेंस कॉलेज भी इसी तरह के छोटे ड्रोन को गिराने के लिए एंटी ड्रोन सिस्टम विकसित करने में जुटे हैं. जम्मू में पिछले दो दिन में दो ड्रोन की घटनाओं ने ये तो साबित कर दिया है कि अभी भी एंटी ड्रोन तकनीक में हमे बहुत तेजी से कदम उठाने पड़ेंगे.
कई निजी कंपनियां भी एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम कर रही हैं
आत्मनिर्भर भारत के मद्देनजर कई निजी कंपनियां भी एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम कर रही हैं. इसी साल बेंगलुरु में हुए एयरो इंडिया शो में ड्रोन को मार गिराने वाले गन को भी लेकर शामिल किया गया था. हालांकि अभी तक हम ऑफेंसिव ड्रोन सिस्टम पर काम कर रहे थे लेकिन अब बाहर ड्रोन से बचने के लिए डिफेंसिव ड्रोन सिस्टम को भी तवज्जो देनी पड़ेगी.