क्या कोविड की दूसरी लहर खत्म हो गई है?

नई दिल्ली. भारत ने सोमवार को लगातार 14 दिन तक कोविड पॉज़िटिव की दर को पांच फीसदी से कम रखकर एक अहम पड़ाव पार कर लिया है. जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किसी क्षेत्र को फिर से खोलने के लिए तय की गई शर्त को पूरा करने के लिए जरूरी है. लेकिन जानकार कहते हैं कि अभी दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है. 88 दिनों में सबसे कम 53,256 नए कोरोना मामले और पोज़िटिविटी दर 3.83 फीसदी होने के साथ एक सकारात्मक तस्वीर तो सामने आती है लेकिन बेहद ध्यान रखने की जरूरत है. क्योंकि अभी नए वेरिएंट के आने की शंका है, कई जिलों में पॉजिटिविटी दर पांच फीसदी से ऊपर है और भरोसेमंद डाटा की कमी है. शिव नादर यूनिवर्सिटी में प्राकृतिक विज्ञान के प्रोफेसर नागा सुरेश वीरापु कहते कते हैं कि अंत अभी दर है क्योंकि डेल्टा प्लस जैसे वेरिएंट खतरा बने हुए हैं.
डेल्टा प्लस वेरिएंट, भारत में सबसे पहले पाया गया और इसे भारत समेत अन्य देशों में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है. टेस्ट पॉजिटिविटी रेट या टीपीआर – जो पॉजिटिव होने वाले कोरोना टेस्ट की दर होती है- इसे संक्रमण के स्तर को देखने के लिए एक अहम युनिट माना जाता है. WHO के मुताबिक यह दर पांच फीसदी से कम हो या 14 दिन तक कम रहे तभी कोई देश वापस पटरी पर लौट सकता है या कहें कि अनलॉक जैसे फैसले ले सकता है.
कोरोना के आंकड़ें अभी भी चिंताजनक: लहरिया
पीटीआई से बातचीत में वीरापु कहते हैं कि डेल्टा वेरिएंट ने मार्च में तहलका मचाकर पहली लहर के बीत जाने के जश्न पर पानी फेर दिया. वहीं सार्वजनिक नीतियों पर काम करने वाले चंद्रकांत लहरिया कहते हैं कि केस कम तो हो रहे हैं लेकिन कुल मिलाकर आंकड़े देखें तो मामले अभी भी ज्यादा हैं.राष्ट्रीय स्तर पर पॉज़िटिविटी दर कम हो गई है लेकिन कई जिलों में टीपीआर अब भी पांच फीसदी के ऊपर है. केरल में यही हाल है, हालांकि इसके दो मतलब बताए जा रहे हैं – या तो यहां टेस्टिंग बेहतर है या वाकई हालात खराब हैं. रविवार को यहां पॉजिटिविटी दर 10.84 फीसदी थी. सरकारी आंकड़े कहते हैं कि सोमवार तक भारत में कोरोना के कुल मामले 2,99,35,221 हैं, जबकि सक्रिय मामले कम होकर 7,02,887 हो गए हैं.
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कोरोना की दूसरी लहर ने देश के स्वास्थ्य प्रणाली के ढांचे को हिलाकर रख दिया और कई अस्पताल ऑक्सीजन और जरूरी दवाइयों के लिए संघर्ष करते दिखे. अशोका यूनिवर्सिटी में फिज़िक्स के प्रोफेसर गौतम मेनन कहते हैं कि अगर सरकार, सार्वजनिक सुविधाओं को खोलना चाहती है तो चेतावनी बरतना जरूरी है. कहा ये भी जाता है कि टीपीआर तभी कारगर है अगर सभी क्षेत्रों में सही से टेस्टिंग हो रही है. मेनन के मुताबिक भारत जैसे विशाल देश में स्थानीय स्तर पर नज़र रखना जरूरी है.
वहीं, लहरिया कहते हैं कि कोविड 19 के नए वेरिएंट संक्रमण आगे बढ़ा सकते हैं इसलिए इसे आम बीमारी न समझा जाए. इंसानों का रवैया ही इस वायरस के संक्रमण का निर्धारण करेगा इसलिए ये मायने नहीं रखता कि दूसरी लहर चली गई या अभी भी है. जरूरी है कि हम आगे के लिए तैयार रहें. इसके लिए सही डाटा होना जरूरी है, कई बार मौतों के आंकड़े कम दिखाने की खबर भी आई है. भारत में सिर्फ एक चौथाई पंजीकृत मामलों में मौत की वजह बताई जाती है. कोविड 19 भी विरला नहीं है.