करोड़ों बच्चों को पीछे छोड़कर विकास के बारे में नहीं सोच सकतेः कैलाश सत्यार्थी


केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने कोविड-19 के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तार से चर्चा की.
Kailash Satyarthi ने बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी को एकजुट होकर साझा प्रयास करने का आह्वान किया.
नई दिल्ली. बाल श्रम को खत्म करने के लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी को एकजुट होकर प्रयास करने की जरूरत है. नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने आज एक कार्यक्रम में कहा कि करोड़ों बच्चों को पीछे छोड़कर देश के विकास में बारे में नहीं सोचा जा सकता है. इस कार्यक्रम में शामिल केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि केंद्र की सरकार कोविड-19 के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए कई कदम उठा रही है.
अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम विरोधी दिवस की पूर्व संध्या पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा ‘कोविड-19 और बाल श्रम उन्मूलन’ विषय पर एक राष्ट्रीय परिचर्चा में कैलाश सत्याथी, केंद्रीय मंत्री गंगवार, नीति आयोग के सहायक सलाहकार श्री एसबी मुनिराजू, हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री समीर माथुर, बचपन बचाओ आंदोलन के कार्यकारी निदेशक श्री धनंजय टिंगल के अलावा राज्यों के बाल अधिकार आयोग और श्रम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी अपनी बात रखी. इस परिचर्चा का आयोजन ऑनलाइन किया गया था.
इस अवसर पर संतोष गंगवार ने कोविड-19 के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तार से चर्चा की. गंगवार ने कहा, “उनकी सरकार कोविड-19 महामारी से उपजी चुनौतियों का हल निकालने के लिए पूरी क्षमता से कोशिश कर रही है. महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे कुप्रभावों की वजह से बाल श्रम की घटनाओं में वृद्धि की संभावनाओं के दृष्टिगत हमें अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सजग रहना है कि कहीं यह आपदा हमारे बच्चों को बालश्रम की ओर न धकेल दे.”कैलाश सत्यार्थी ने बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सरकार, समाज, निजी क्षेत्र और सिविल सोसायटी को एकजुट होकर साझा प्रयास करने का आह्वान किया. उन्होंने मंत्रालयों, सिविल सोसायटियों, कारपोरेट और गैर सरकारी संस्थानों को “टीम इंडिया अगेंस्ट चाइल्ड लेबर” का सदस्य बताते हुए कहा, “करोड़ों बच्चों को पीछे छोड़कर हम देश के विकास के बारे में कैसे सोच सकते हैं? यह स्वीकार करने योग्य नहीं है. यह मानवता के खिलाफ होगा. कोविड-19 महामारी ने हमारे बच्चों को सबसे अधिक असुरक्षित किया है. महामारी के पहले के 4 वर्षों के दौरान बाल श्रम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. यह खतरे की घंटी है. हमें बाल संरक्षण के लिए अब साहसिक कदम उठाने की जरूरत है और विकासरूपी चौथे पहिये के रूप में स्वास्थ्य को जोड़ने की जरूरत है, जिसमें शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और बाल श्रम का उन्मूलन शामिल है.”
बाल श्रम को दूर करने के उद्देश्य से परिचर्चा में जुटे लोगों ने एक एक्शन प्लान बनाने के साथ ही टास्क फोर्स के गठन की जरूरत पर बल दिया. गौरतलब है कि परिसंवाद में बाल मजदूरी उन्मूलन हेतु प्रस्तुत सुझावों, समाधानों और विचारों को भारत सरकार को भेजा जाएगा.