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4 जून तक उपलब्ध डाटा के मुताबिक केरल में तिरूवनंतपुरम जिले में सबसे ज्यादा 1953 लोगों की मौत हुई थी, जबकि इडुक्की जिले में 79 मौत हुई है, जोकि सबसे कम है.

तिरूवनंतपुरम. केरल में कोरोना से हुई मौतों की संख्या को लेकर आलोचना का सामना कर रही पिनरायी विजयन सरकार ने राज्य में कोविड से हुई मौतों को गिनने का तरीका बदलने का फैसला किया है. मौजूदा वक्त में मौत के मामलों को राज्य स्तर पर ऑडिट कमिटी गिन रही है, लेकिन नए फैसले के बाद राज्य के 14 जिलों में कमिटी का गठन होगा, जो कोविड से मौत हुई है या नहीं. ये तय करेगी. मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने इस संबंध में डॉक्टरों को कोविड से मौत हुई है या नहीं, इसे तय करने के लिए मानक बनाने को कहा है.

सवाल ये है कि क्या राज्य में कोविड से हुई मौतों को छिपाया गया है. राज्य में 30 जनवरी 2020 से 4 जून 2021 के बीच कोविड से मरने वालों की संख्या 9,510 है. ये संख्या राज्य में कुल मौतों की संख्या का 0.37 प्रतिशत है. केरल में कोरोना से पहली मौत 28 मार्च 2020 को हुई थी, जबकि मई 2020 में केरल में एक महीने में सर्वाधिक 2,756 लोगों की मौत हुई. 4 जून तक उपलब्ध डाटा के मुताबिक केरल में तिरूवनंतपुरम जिले में सबसे ज्यादा 1953 लोगों की मौत हुई थी, जबकि इडुक्की जिले में 79 मौत हुई है, जोकि सबसे कम है.

केरल में उम्र वर्ग के अनुसार मौतों का आंकड़ा

0 से 17 साल : 15 मौत18 से 40 साल : 385 मौत

41 से 59 साल : 2.173 मौत

60 प्लस : 6,937 मौत

कोविड एक्टिव केस के मामले में केरल देश में चौथे स्थान पर है. ऐसे में विपक्ष के आरोपों के बाद केरल सरकार ने मौत के आंकड़े को गिनने की प्रक्रिया में बदलाव का फैसला किया है. 28 मई को केरल विधानसभा में वीडी सतीशन ने राज्य सरकार द्वारा जारी मौत के आंकड़ों पर चिंता जताई थी और कहा था कि राज्य के डॉक्टरों ने भी इस बात की शिकायत की है कि राज्य में कोविड से हुई मौतों को छिपाया जा रहा है.

2 जुलाई को केरल विधानसभा में मुस्लिम लीग के नेता एमके मुनीर ने कहा कि राज्य में कोरोना से हुई मौतों को छिपाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कोविड से लड़ाई के मामले में केरल की तारीफ की जरूरत नहीं है, क्योंकि राज्य सरकार महामारी के चलते हुई मौतों के सही आंकड़े नहीं बता रही है.

विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा था कि मौत के मामलों पर विपक्ष के आरोप आधारहीन हैं. उन्होंने कहा, “कोविड से हुई मौतों के लिए डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस हैं. हर मौत की पुष्टि इन्हीं गाइडलाइंस के आधार पर की गई है. कोविड से सबसे ज्यादा मौतें 70 से 80 आयुवर्ग में हुई हैं. लेकिन सरकार इन मौतों की पुष्टि के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन का पालन कर रही है.”

कोविड से मौत की पुष्टि के मानक

विपक्ष के आरोपों पर स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति के सिर पर कटहल गिर जाए और बाद में उसकी मौत हो जाए तो उसे कोविड से हुई मौत में नहीं गिनेंगे. स्वास्थ्य मंत्री कासरगोड जिले के बेलुर में 42 वर्षीय ऑटोरिक्शा ड्राइवर की मौत का जिक्र कर रही थी. मई 2020 में रिक्शाचालक सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती हुआ था, और बाद में उसे कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया.

विपक्ष के नेता सतीशन ने स्वास्थ्य मंत्री पर पलटवार करते हुए सीपीएम के 42 वर्षीय नेता पी. बीजू का उदाहरण दिया, जिनकी कोविड निगेटिव होने के बाद हृदयाघात के चलते मौत हुई थी. सतीशन ने कहा कि बीजू की मौत सिर पर कटहल गिरने से नहीं हुई.

विपक्ष ने कहा कि राज्य में कोविड निगेटिव होने के बाद हृदयाघात, स्ट्रोक और मस्तिष्क में रिसाव से हुई मौतों को कोरोना से हुई मौतों में नहीं गिना जा रहा है. यहां तक जो लोग ब्लैक फंगस से मर रहे हैं, उन्हें भी कोविड से हुई मौत में नहीं गिना जा रहा.

विपक्ष के नेता ने कहा कि केरल सरकार कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों की गिनती में आईसीएमआर की गाइडलाइन का उल्लंघन कर रही है.

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