Petrol becomes expensive by rupees 23 in 15 months How much taxes you pay on petrol and diesel check details samp
नई दिल्ली. हमारे देश में कोरोना (Coronavirus) का असर पिछले साल की शुरुआत से ही दिखने लगा था. संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में 25 मार्च को पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) लगाने का निर्णय लिया. लॉकडाउन के पूरे 14 महीने बीत चुके हैं, और इन 14 महीनों में कई चीजें बदल गई. जहां एक और कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर (Covid-19 Second Wave) ने पूरे देश को हिला के रख दिया वहीं, दूसरी ओर महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी.
अगर पेट्रोल-डीजल के रेट (Petrol-Diesel Price) की बात करें तो 15 महीनों में ही पेट्रोल 23 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है. इसी तरह खाने के तेल में भी जमकर इजाफा हुआ है. 02 मार्च 2020 को पेट्रोल के रेट 71.49 रुपये वहीं डीजल का भाव 64.10 रुपये प्रति लीटर था.
जानिए सरकार कितना वसूल रही टैक्स7 साल पहले पेट्रोल की खुदरा कीमतों में करीब दो-तिहाई हिस्सा कच्चे तेल का होता था. आज लगभग इतना ही हिस्सा केंद्र और राज्यों के टैक्सेज का हो गया है. आंकड़ों से पता चलता है कि पेट्रोल पर केंद्र सरकार राज्यों के मुकाबले ज्यादा टैक्स ले रही है. औसतन देखें तो राज्य सरकारें हर एक लीटर पेट्रोल पर करीब 20 रुपये का टैक्स ले रही हैं, जबकि केंद्र सरकार करीब 33 रुपये प्रति लीटर. राज्य सरकारों द्वारा पेट्रोल-डीजल पर लगाया गया बिक्री कर या वैट हर राज्य में अलग-अलग होता है.
13 बार बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी
बता दें कि वर्तमान में केंद्र सरकार प्रति लीटर पेट्रोल पर बेसिक एक्साइज, सरचार्ज, एग्री-इन्फ्रा सेस और रोड/इन्फ्रा सेस के नाम पर कुल 32.98 रुपये वसूलती है. डीज़ल के लिए यह 31.83 रुपये प्रति लीटर है. अब तक सरकार ने 13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है. पेट्रोल और डीजल पर आखिरी बार मई 2020 में पेट्रोल पर 13 रुपये और डीज़ल पर 16 रुपये प्रति लीटर सरचार्ज बढ़ाया था.
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आधी हो सकती है पेट्रोल डीजल की कीमत
यदि केंद्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी, GST) के दायरे में ले आए तो आम आदमी को राहत मिल सकती है. अगर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत शामिल किया जाता है, तो देश भर में ईंधन की एक समान कीमत होगी. यही नहीं, यदि जीएसटी परिषद ने कम स्लैब का विकल्प चुना, तो कीमतों में कमी आ सकती है. वर्तमान में, भारत में चार प्राथमिक जीएसटी दर हैं – 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत. जबकि अभी केंद्र व राज्य सरकारें उत्पाद शुल्क व वैट के नाम पर 100 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स वसूल रही हैं.