चौथी पास मां के 5 बच्चे बने डॉक्टर-इंजीनियर, पढ़ें सफलता के पीछे संघर्ष की कहानी – News18 हिंदी
रिपोर्ट- मृत्युंजय कुमार
बोकारो. अशिक्षा और गरीबी को कभी जीवन के लिए कलंक माना जाता था. लेकिन अगर हौसला हो तो इस कलंक को दूर कर जीवन में रोशनी भरने का भी काम किया जा सकता है. ऐसा ही कर दिखाया है बोकारो के रिटायर्ड बीएसएल कर्मी जगदीश साह और उनकी पत्नी मीना देवी ने. कम वेतन और पत्नी के अशिक्षित रहने के बाद भी आज उन्होंने अपने हौसले और इच्छाशक्ति से दो बेटों और तीन बेटियों में से 3 को चिकित्सक और 2 को इंजीनियर बनाया है. जिसमें आईआईटियन भी शामिल है. बच्चे इसका पूरा श्रेय अपनी मां मीना देवी को देते है. बच्चों का कहना है कि मां पढ़ी-लिखी नहीं होने के बाद भी उन्होंने इस तरह हम लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और पढ़ाई पूरी प्लानिंग ऐसी की कि आज हम लोग सभी अपने पैरों पर खड़े हैं.
बच्चों का कहना है कि हमें कभी नहीं लगा कि मां हमारी पढ़ी-लिखी नहीं क्योंकि इनका दिमाग पढ़े-लिखे लोगों से अधिक चलता है. चौथी पास होने के बाद भी वह बेहतर तरीके से सभी हौसला बढ़ाने का काम करती रही. जगदीश शाह मूलत बिहार के भोजपुर जिले के सहार ब्लाक के अंधारी गांव के रहने वाले है. वह अपने पिता के इकलौते पुत्र थे. उन्होंने 18 अप्रैल 1985 को बोकारो स्टील में नौकरी की शुरुआत की.
जब वह नौकरी शुरू का ट्रेनिंग कर रहे थे तो उन्हें 1100 रुपये मिल रहे थे. वर्ष 1986 अक्टूबर में उन्हें ₹3000 मिलनी शुरू हुई, उसके बाद से ही अपने बाल बच्चों की भविष्य को तलाशने के लिए उन्होंने बचत करना शुरू किया तंगी और मुफलिसी की जिंदगी जी का उन्होंने किसान विकास पत्र खरीदना शुरू किया. यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहा उसके बाद तीन बेटियां और दो बेटे हुए. बोकारो स्टील और प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, उसके बाद बड़े-बटे डॉ अविनाश कुमार ने एमबीबीएस- किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ ( 203 रैंक ऑल इंडिया मेडिकल) में लाकर एमबीबीएस किया.
उसके बाद एमएस ऑर्थोपेडिक्स पीजीएमईआर डॉ राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल न्यू दिल्ली हाईर स्टडीज़ पीजीएमईआर चंडीगढ़, फेलोशिप स्पाइन और जोड़ प्रत्यारोपण और आर्थरोस्कोपी- दक्षिण कोरिया, इटली, हांग कांग, मुम्बई और दिल्ली से की.वर्तमान में एसोसियेट प्रोफेसर ऑर्थोपेडिक्स स्पाइन एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड आर्थरोस्कोपी सर्जन AIIMS PATNA (भूतपूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर AIIMS RAIPUR) है.
वरिष्ठ सुपुत्री डॉ इंदू कुमारीप्राथमिक शिक्षा – बोकारो इस्पात विद्यालय ६ A और दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की. एमबीबीएस- लोक मान्य तिलक म्यूनिसपैलटी हॉस्पिटल मुंबई ( ७०० रैंक ऑल इंडिया मेडिकल) से एमबीबीएस किया।एमडी चर्म रोग आईएमएस बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी से की. फेलोशिप किंग एडवर्ड मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मुंबई और पानीपत से की.वर्तमान में संस्थापक डायरेक्टर ऑल इंडिया स्किन एंड हेयर हॉस्पिटल AISHH शिवालिक रोड मालवीय नगर दिल्ली में कार्यरत है.
दूसरी सुपुत्री ई पूनम कुमारी
प्राथमिक शिक्षा – बोकारो इस्पात विद्यालय 6A और श्री अयप्पा स्कूल से की.
बीटेक बीआई टी सिंदरी (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग)वर्तमान में एमटेक आईआईटी हैदराबाद (GATE qualified)
कनिष्ठ सुपुत्री डॉ कुमारी पूजा
प्राथमिक शिक्षा – बोकारो इस्पात विद्यालय 6 A3 और चिन्माया विद्यालय से की. एमबीबीएस- पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज धनबाद से की.वर्तमान में पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी वो कर रही है. सबसे छोटे पुत्र सुपुत्र ई अभिषेक कुमार वर्तमान में बीटेक प्लस एम टेक माइनिंग इंजीनियरिंग आईआईटी खड़गपुर से कर रहा है. जबकि बड़ी बहु डॉ अभिलाषा कुमारी है जो वर्तमान में डीएम नवजात शिशु रोग किंग एडवर्ड मेमोरियल मेडिकल कॉलेज मुंबई में कार्यरत है. बच्चों की सफलता और माता- पिता के संघर्ष की बात सुना कर सभी की आंखों में आंसू आ जाते हैं.
बड़े बेटे अविनाश कुमार ने कहा कि हमने वह तंगी भरी जिंदगी भी देखी है जब शेयर कर घर में रहने का काम करते थे. लेकिन माता-पिता ने हौसले की उड़ान को कभी कम नहीं होने दिया. मां मीना देवी का कहना है कि मैंने अपने मायके में पढ़ाई की व्यवस्था नहीं रहने के कारण आगे नहीं पढ़ पाई. जो मेरे मन में कसक रह गई थी. उस कसक को मैंने दूर कर दिया. उनका कहना है कि परिजनों को बच्चों पर विश्वास करना चाहिए और उन्हें सही दिशा दिखाते हुए उन्हें प्रेरित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं सुनती थी कि गरीब अपने बाल बच्चों को डॉक्टर नहीं बना सकते हैं. लेकिन मैंने ऐसा कर दिखाया.
अगर कोई गुपचुप वाला भी है और वह सोच ले तो अपने बेटे को आईएएस बना सकता है. पिता जगदीश साह ने कहा कि काफी सोच समझकर हमने बच्चों के पढ़ाई के लिए प्लानिंग किया. बोकारो स्टील से कर्ज लिया. उच्च शिक्षा में जाने के बाद बच्चों को लोन भी मिला और आज वह पूरी तरह से हमारे सपनों को साकार कर चुके हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2023, 06:57 IST