राष्ट्रीय

Election Commission resolved Disputes in many political parties

हाइलाइट्स

निर्वाचन आयोग की बड़ी भूमिका, दलों के आंतरिक विवादों को सुलझाया
एकनाथ शिंदे गुट को बताया असली शिवसेना तो अब लोजपा का विवाद होगा हल
लोक जनशक्ति पार्टी के हुए हैं दो गुट, निर्वाचन आयोग देगा इस पर फैसला

नई दिल्ली. निर्वाचन आयोग ने (Election Commission)  विधायी और संगठनात्मक इकाइयों में बहुमत के परीक्षण के आधार पर कई राजनीतिक दलों में आंतरिक विवादों को सुलझाया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता देने के बाद, आयोग के अब लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में आंतरिक विवाद पर अपना अंतिम आदेश देने की उम्मीद है. लोजपा अपने संस्थापक रामविलास पासवान के निधन के महीनों बाद 2021 में विभाजित हो गई थी. इसके दो गुटों का नेतृत्व अब रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति कुमार पारस कर रहे हैं.

निर्वाचन आयोग ने दो अक्टूबर, 2021 को चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस धड़ों द्वारा लोजपा के नाम या उसके चिह्न ‘बंगले’ का इस्तेमाल करने पर तब तक रोक लगा दी थी जब तक कि आयोग प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच विवाद का निपटारा नहीं कर देता. निर्वाचन आयोग का अंतरिम आदेश लागू रहेगा. आयोग के सूत्रों के अनुसार, दोनों गुट आयोग में विवाद की भौतिक सुनवाई से पहले और समय की मांग कर रहे हैं. आयोग ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान’ आवंटित किया था. इसे उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.

पीड़ित पक्ष, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए है स्‍वतंत्र
संविधान के अनुच्छेद 324 और 1968 के चुनाव चिह्न आदेश के तहत निर्वाचन आयोग को पार्टी के आंतरिक विवादों पर निर्णय लेने का अधिकार है. ऐसे विवादों का निपटारा करते समय, निर्वाचन आयोग एक अर्ध-न्यायिक निकाय के रूप में कार्य करता है और पीड़ित पक्ष इसके आदेश को चुनौती देने के वास्ते उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं. वर्ष 2017 की शुरुआत में समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव का विवाद निर्वाचन आयोग तक पहुंच गया था.

समाजवादी पार्टी और अन्नाद्रमुक के विवादों को भी सुलझाया था
निर्वाचन आयोग ने अपने आदेश में अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी का नाम और उसका चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ सौंपा. निर्वाचन आयोग ने इस बात पर गौर किया था कि अखिलेश यादव को विधायक दल और पार्टी की संगठनात्मक इकाई का समर्थन प्राप्त था. वर्ष 2016 में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के निधन के बाद, उनकी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) में ओ पनीरसेल्वम और शशिकला-ई के पलानीस्वामी गुटों के बीच विवाद देखा गया. अगले साल दोनों गुटों ने पार्टी और उसके ‘‘दो पत्तियों’ के चुनाव चिह्न पर दावा ठोंक दिया था. बाद में पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी ने हाथ मिला लिया था और शशिकला और उनके समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया गया. बाद में, निर्वाचन आयोग ने पनीरसेल्वम-पलानीस्वामी गुटों को ‘दो पत्तियों’ वाला चुनाव चिह्न आवंटित किया था.

Tags: Election commission, Election Commission of India, Political parties, चुनाव आयोग

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