How lithium was discovered in jammu kashmir reasi district know all detail

जम्मू. वर्ष 2018 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की एक टीम विभिन्न खनिजों की पहचान के लिए नमूने एकत्र करने के लिए सलाल पहुंची, जो जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में ऊंचे पहाड़ों के बीच बसा एक गांव है. टीम जम्मू से 77 किलोमीटर दूर सलाल में रुककर अनुसंधान, जांच तथा प्रसंस्करण के लिए नमूने एकत्र करती रही.
इसके बाद खनन मंत्रालय ने 9 फरवरी को दावा किया कि उसने इस गांव में 59 लाख टन लिथियम के विशाल भंडार की खोज की थी. अगर सलाल में 59 लाख टन भंडार का अनुमान सही साबित होता है, तो भारत के पास अमेरिका से अधिक दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा लिथियम भंडार होगा.
2 साल से लगातार चल रही थी खोजबीन
इस बेहद बड़ी घोषणा से उत्साहित ग्रामीण भी इस बात से हैरान हैं कि उनके गांव में एक दुर्लभ धातु कैसे पाई गई. सलाल गांव में रहने वाले विपिन शर्मा कहते हैं, ‘पिछले दो सालों से मैंने जीएसआई की टीमों को हमारे घरों के ठीक बाहर पहाड़ियों का सर्वेक्षण करते देखा है, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वे क्या कर रहे है. इन दौरान जीएसआई के 15-20 कर्मचारी यहां एक घर में रहे और हमारे गांव में खोजबीन का काम किया.’
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सलाल गांव के उपसरपंच राजिंदर सिंह ने उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि 2 साल पहले इंजीनियरों और भूवैज्ञानिकों ने उन्हें सलाल गांव में लिथियम होने की जानकारी दी थी. वह बताते हैं, ‘तब तो मुझे लिथियम के बारे में कुछ नहीं पता था. लेकिन मैंने पाया कि जीएसआई के कर्मचारी चट्टानों आदि का परीक्षण कर रहे हैं. जमीन में पांच फीट गहरा ड्रिलिंग करके नमूने एकत्र किए गए थे और टेस्टिंग के लिए लखनऊ ले जाने से हर नमूने को टुकड़ों में कुचल दिया गया था.’
सहायक जिला खनिज अधिकारी नवीन कुमार ने मनीकंट्रोल को बताया कि जिस इलाके में लिथियम का भंडार मिला है, वह 6 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा है. उन्होंने कहा, ‘जीएसआई टीम को न केवल लिथियम भंडार बल्कि टाइटेनियम, एल्यूमीनियम और अन्य धातुओं की भी थोड़ी मात्रा मिली है.’
1990 में ही मिल गया लिथियम का संकेत
सलाल गांव में लिथियम भंडार का संकेत पहली बार 1990 में मिला था, जब भूवैज्ञानिक केके शर्मा और एससी उप्पल ने रियासी जिले में, जो उस समय उधमपुर जिले का एक हिस्सा था, आशाजनक संकेत देखे और आगे और खोज जारी रखने का प्रस्ताव रखा. लेकिन तब लिथियम की बहुत कम मांग थी और इस कारण सरकार ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
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रियासी के जिला भूविज्ञान और खनन अधिकारी शफीक अहमद ने मनीकंट्रोल को बताया कि मोबाइल फोन के आने के साथ लिथियम की मांग भी बढ़ने लगी, जिससे सरकार को इस बेशकीमती खनिज के भंडार की खोज करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो कि ज्यादातर इलेक्ट्रिक वाहन, मोबाइल फोन, लैपटॉप और बैटरी में उपयोग किया जाता है.
तब सरकार ने इस कारण नहीं दिया ध्यान
अहमद ने कहा, “रियासी जिले में लिथियम की मौजूदगी पर कोई संदेह नहीं था, क्योंकि इसपर पहले से एक अध्ययन उपलब्ध था, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था. वर्ष 1999 में लिथियम की मांग आज जैसी नहीं थी. मोबाइल फोन के आविष्कार और फलते-फूलते ऑटोमोबाइल उद्योग (EVC) के कारण इसमें जबरदस्त वृद्धि हुई. इसलिए सरकार ने इसे देश के भीतर खोजने के लिए सर्वेक्षण शुरू किया.’
स्थानीय लोगों के साथ-साथ जिला प्रशासन दोनों का दावा है कि सलाल लिथियम साइट गेम चेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि भारत चीन/हांगकांग, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना सहित विभिन्न देशों से यह खनिज आयात करता रहा है.
इससे पहले वर्ष 2021 में कर्नाटक में भी लिथियम के छोटे भंडार पाए गए थे, लेकिन रियासी में इस विशाल भंडार की हुई हालिया खोज भारत की बैटरी उत्पादन योजनाओं के लिए वरदान साबित होगी.
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Tags: Jammu kashmir, Minerals
FIRST PUBLISHED : February 16, 2023, 05:30 IST