राष्ट्रीय

Siwan: गांव में छठ घाट पर बनाई गई एक जैसी 462 आकृति, जानें इसके पीछे की कहानी…

अंकित कुमार सिंह

सीवान. लोक आस्था का महापर्व छठ सामाजिक सौहार्द और सद्भाव का पर्व होता है. यही कारण है कि छठ पूजा के दौरान घाट पर ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, बड़े-छोटे का फर्क मिट जाता है. बिहार के सीवान जिले के सिसवन प्रखंड के कचनार गांव में छठ घाट पर एक साथ बने 462 छोटे-छोटे आकृति भी समाज को यही संदश देते हैं. इन आकृतियों को भले ही अलग-अलग लोगों ने बनवाए हों, लेकिन यह सभी आकृति एक जैसे दिखते हैं और एक ही साइज के हैं.

दरअसल, यह छठ माता का सिरसोता है, जिसे इस इलाके में आम बोलचाल की भाषा में छठ माता की प्रतिमा कहते हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन आकृतियों को अलग-अलग लोगों के द्वारा बनवाए जाने के बावजूद हर आकृति का एक रंग और एक आकार है. जिस तरह से छठ घाट पर अमीरी-गरीबी का फर्क नहीं होता है, उसी तरह से इन सिरसोता को बनवाने में भी अमीरी-गरीबी का फर्क नहीं किया जाता है.

70 वर्षों से चली आ रही है सिरसोता बनाने की परंपरा

वैसे तो सीवान जिले में छठ मैया का सिरसोता कई गांवों में बनवाया जाता है, लेकिन उन गांवों में न तो इसकी संख्या इतनी ज्यादा है, और न ही सभी एक समान हैं. कचनार ऐसा गांव है जहां घाट पर बने सभी 462 सिरसोता एक लाइन में स्थापित हैं. सभी सिरसोता एक साइज और एक ही रंग में हैं. यह सिलसिला पिछले 70 वर्षों से लगातार चला आ रहा है. यहां पर कार्तिक और चैती छठ दोनों ही बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार भी इसे धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाने की तैयारी चल रही है.

छठ पूजा से एक सप्ताह पहले गांव का माहौल भक्तिमय हो जाता है. यहां के ग्रामीण मंदिर की रंगाई-पुताई, साफ-सफाई एक साथ मिलकर करते हैं. साफ-सफाई के बाद छठ माता के सभी सिरसौता को एक रंग में रंगा जाता है.

छठ के दिन सिरसोता की पूजा करती हैं व्रती महिलाएं

छठ पूजा के दिन कचनार गांव की व्रती महिलाएं 462 सिरसोता पर दो से तीन की संख्या में शमिल होकर एक साथ पूजा-अर्चना करती हैं. ग्रामीणों की मान्यता है की छठ मैया से मनोकामना रखी जाती है. इसके पूरा होने के बाद लोग अपनी स्वेच्छा से सिरसोता बनवाते हैं. यहां पहले बहुत ही कम संख्या में सिरसोता थे, वो भी मिट्टी के होते थे. बढ़ती आबादी को देखते हुए गांव के बुजुर्गों ने यह निर्णय लिया कि पुराने सिरसोता को तोड़कर नया निर्माण एक साथ कराए जाए, ताकि सभी लोग छठ कर सकें और आपस में सामंजस्य स्थापित रहे.

इसके बाद वर्ष 2018 में पुराने सिरसोता को तोड़ कर नए सिरसोता का निर्माण कराया गया. इसके साथ ही छठ घाट को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों ने अपने स्तर से गांव के उमाकांत उपाध्याय की देख-रेख में वर्ष 2011 में मंदिर निर्माण की शुरुआत की, जो चार वर्ष में बनकर तैयार हुआ. मंदिर में बनारस से लाई गई भगवान सूर्य की तीन फीट की प्रतिमा भी स्थापित है. ग्रामीण बताते हैं कि सीवान, छपरा और गोपालगंज जिले में सबसे अधिक भीड़ छठ पूजा में यहीं होती है.

10-10 की संख्या में बनवाते हैं सिरसोता

कचनार निवासी ग्रामीण कमलेश सिंह ने बताया कि गांव में 462 छठ का सिरसोता है. इन सभी को एक रूप, एक समान और एक आकार में रखने का मुख्य उद्देश्य सामंजस्य स्थापित करना है. हमारे गांव में सौहार्दपूर्ण कार्य हुआ है, जो एकता का सबल प्रमाण है. गांव के लोगों की मन्नत पूरी होने पर स्वेक्षा से 10-10 की संख्या में छठ सिरसोता बनाते हैं. आने वाले वर्षों में इसकी संख्या भी बढ़ती चली जाएगी.

Tags: Bihar Chhath Puja, Bihar News in hindi, Chhath Mahaparv, Siwan news

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
VIVA99 adalah salah satu deretan daftar situs judi online terpercaya dan paling gacor yang ada di indonesia . VIVA99 situs agen judi online mempunyai banyak game judi slot online dengan jacpot besar, judi bola prediksi parlay, slot88, live casino jackpot terbesar winrate 89% . Mau raih untung dari game judi slot gacor 2022 terbaru? Buruan Daftar di Situs Judi Slot Online Terbaik dan Terpercaya no 1 Indonesia . VIVA99 adalah situs judi slot online dan agen judi online terbaik untuk daftar permainan populer togel online, slot88, slot gacor, judi bola, joker123 jackpot setiap hari