Commercial Property में निवेश पर रिटर्न रेजिडेंशियल से ज्यादा, बस बरतें ये सावधानियां commercial property Return on investment in is more than residential, just take these precautions


Highlights
- कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में किरायेदार मेनट्रेंस से जुड़े सभी खर्चो का वहन करता है
- रियल एस्टेट जानकारों का मनना है कि आने वाले दिनों में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग बढ़ेगी
- कॉमर्शियल प्रॉपर्टी पर अर्थव्यवसथा का असर आवासीय प्रॉपर्टी के मुकाबले कई गुणा अधिक होता है
Commercial property: त्योहारी सीजन में एक बार फिर से निवेशकों का रूझान प्रॉपर्टी मार्केट में बढ़ा है। ऐसे में अगर आप प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं तो रेजिडेंशियल के मुकाबले कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करना सही होगा। रियल एस्टेट सेक्टर में ज्यादातर निवेश आवासीय प्रॉपर्टी में ही निवेश करते हैं। इसकी वजह होती है कि वो आवासीय प्रॉपर्टी मार्केट में निवेश करने पर सहज महसूस करते है। लेकिन, यदि निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को आंका जाए तो कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में अवासीय प्रॉपर्टी की अपेक्षा कई गुणा ज्यादा रिटर्न मिलते हैं।
रिटर्न और जोखिम
आवासीय प्रॉपर्टी में निवेश पर जोखिम कम होता है, जबकि कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में जोखिम अधिक होता है। जोखिम का मतलब यहां मांग से है। आवासीय प्रॉपर्टी की मांग अधिक होती है। लोगों को रहने के लिए घर की जरूरत होती है। इसलिए किरायेदार आसानी से मिल जाते है। लेकिन, कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में किरायेदार जल्द नहीं मिल पाते हैं। ज्यादातर निवेश इसलिए ही कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करने से कतराते है। अब स्थितियां बदली है। मौजूदा दौर में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग काफी है। मिलने वोल रिटर्न की बात करें आवासीय प्रॉपर्टी पर सालाना 10 फीसदी रिटर्न मिलता है तो कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में यह 20 से 25 फीसदी होता है।
लीज और किरायेदार
आवासीय और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लीज अवधि अलग-अलग होती है। आवासीय प्रॉपटी की लीज 11 महीनों के लिए होती है, जबकि कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए यह पांच साल के लिए होती है। प्रॉपर्टी का नवीकरण भी पांच साल के लिए होता है। आवासीय प्रॉपर्टी में किरायेदार एक परिवार होता है, वहीं कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में किरायेदार सरकारी विभाग, कॉरपोरट हाउस, पैसे वाले उद्योगपति होते हैं। कॉमर्शियल प्रॉपटी में किराया आवासीय प्रॉपर्टी के अपेक्षा काफी बेहतर होता है। इसके अलावा लम्बे वक्त के लिए भी लीज होने से किरायेदार ढूढ़ने के चिंता से भी मुक्त मिलती है। किरायेदार पैसे वाले होते है इसलिए किराये में कोई चिक झिक नहीं होती है।
आर्थिक प्रर्दशन का महत्व
प्रॉपर्टी में निवेश पर रिटर्न अर्थव्यवसथा के वित्तीय स्वास्थ पर बहुत निर्भर करता है। यदि अर्थव्यवस्था मजबूत है तो प्रॉपर्टी में निवेश पर मोटा रिटर्न मिलता है। ऐसा इसलिए होता है कि अर्थव्यवस्था ही प्रॉपर्टी की मांग बढ़ाती है। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी पर अर्थव्यवसथा का असर आवासीय प्रॉपर्टी के मुकाबले कई गुणा अधिक होता है। अर्थव्यवसथा की स्थिति नाजुक होने पर भी आवासीय प्रॉपर्टी के लिए किरायेदार मिल जाते है लेकिन कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए मिलना मुश्किल होता है। कोरोना के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से मजबूत हुई है। ऐसे में यह समय कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए सबसे उपयुक्त है।
कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश से हिचकिचाहत क्यों
आवासीय और कॉमकर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश के तरीके में बड़ा अंतर है। निवेशक इस अंतर को समझ नहीं पाते है और आवासीय प्रॉपर्टी में ही निवेश करना बेहतर समझते हैं। निवेशक कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश नहीं करने का इसकी एक और मुख्य वजह यह भी है कि निवेशकों को आवासीय प्रॉपर्टी के विषय में जानकारी आसानी से मिल जाती है जबकि कॉमर्शियल प्रॉपर्टी के विषय में नहीं मिल पाती है। रियल एस्टेट जानकारों का मनना है कि आने वाले दिनों में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग बढ़ेगी। यह मांग ऑफिस स्पेस , रिटेल और आईटी स्पेस में सबसे ज्यदा होंगे। मांग बढ़ने से कॉमर्शियल प्रॉपर्टी पर किए हुए निवेश पर बेहतर रिटर्न मिलेगा।
निवेश का रकम
निवेशकों के मन में धारणा है कि आवासीय प्रॉपर्टी के मुकाबले कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश की रकम अधिक होती है। लेकिन, ऐसा नहीं है। बदलते दौर के साथ कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में छोट साइज के ऑफिस और रिटेल स्पेस उपलब्ध कराएं जा रहे है। इसमें आवासीय प्रॉपर्टी से भी कम करम लाकार निवेश किया जा सकता है।
रखरखाब के खर्च
आवासीय प्रॉपर्टी के रखरखाब खर्च कम होता है कॉमर्शियल प्रॉपटी के मुकाबले। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी को रेनोवेसन खर्च अधिक होता। है। लेकिन, कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में किरायेदार मेनट्रेंस से जुड़े सभी खर्चो का वहन करता है। इसलिए कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में रेंट से मिले रकम पूरी तरह से बचत माना जाता है। आवासीय प्रॉपर्टी में मेंटेनेंस का खर्च ऑनर को करना होता है। कॉमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदते वक्त यह ध्यान रखना चाहएि की आने वाले दिनों में इसके रेनोवेसन पर क्या खर्च आएगा। यदि प्रॉपर्टी काफी पुरनी हो तो यह निवेश की लिहाज से ठीक नहीं होता है। इसको मौजूदा दौर के अनुकूल कराने में आपको ढ़ेर सारा पैसा खर्च करना पड़ सकता