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हिम्मत और हौंसलों की मिसाल चंदादेवी, 97 की उम्र में दी कोरोना को मात, जानिये कैसे Rajasthan News-Kota News-Covid-19-Positive India- 97-year-old Chandadevi of Bundi defeated Corona


इस बुजुर्ग महिला को बुखार आने के 3 दिन में ही उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन 81 पहुंच गया था. 40 प्रतिशत फेफड़ों में संक्रमण फैल चुका था.
Best example of courage: कोटा में 97 वर्षीय चंदादेवी ने इस उम्र में कोरोना महामारी को मात देकर यह साबित कर दिया कि अगर आप हौंसला और पॉजिटिव सोच (Positive thinking) रखो तो बड़ी से बड़ी आपदा का सामना कर सकते हो.
कोटा. कोविड महामारी काल (Covid epidemic period) में जहां कई युवाओं ने हौंसला खो दिया और कइयों ने दम तोड़ दिया वहीं दूसरी और एक वृद्धा को उसके जीने की चाह और हिम्मत के साथ हालात का सामना करने का जुनून उसे मौत के मुंह से भी वापस ले आया. जबकि महिला को कोविड वैक्सीन भी नहीं लगाई गई थी. महिला की पॉजिटिव सोच (Positive thinking) और बुलंद हौंसले के कारण बिना ऑक्सीजन के ही महिला का सेचुरेशन अप होकर 92-93 आ गया. मामला कोटा संभाग के बूंदी जिले से जुड़ा है. बूंदी के वैशाली नगर पुलिस लाइन रोड निवासी 97 वर्षीय वृद्धा चंदा देवी ने इस उम्र में भी कोरोना को मात देकर नजीर पेश की है. चंदा देवी तमाम विपरीति परिस्थितियों के बावजूद कोरोना को मात देकर और स्वस्थ होकर घर लौटी हैं. कोरोना काल में सैकड़ों ऐसे परिवार हैं जिनके घरों में बुजुर्गों ने कोरोना को अपने हौंसलों से हराया है. 3 दिन में मरीज के 40 प्रतिशत फेफड़ों में संक्रमण फैल चुका था श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर केवल कृष्ण डंग ने बताया कि इस बुजुर्ग महिला को बुखार आने के 3 दिन में ही उसका ऑक्सीजन सेचुरेशन 81 पहुंच गया था. 3 दिन में मरीज के 40 प्रतिशत फेफड़ों में संक्रमण फैल चुका था. सीटी स्कोर 10/25 था. मरीज ने समय पर अपना इलाज करवाया. 5 दिन में महिला का ऑक्सीजन सेचुरेशन 93 आ गया. अब महिला बिल्कुल स्वस्थ है. उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया है. महिला के बुलंद हौंसले को देखते हुये उन्हें पुष्प वर्षा कर विदाई देकर सलाम किया गया.हिम्मत नहीं हारना और पॉजिटिव सोच रखना बेहद जरूरी है हॉस्पिटल के डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि वृद्ध महिला के 6 दिन से बुखार था. उन्हें उनके परिजन 18 मई को अस्पताल लाए थे. महिला को सांस में तकलीफ थी. मरीज का सीटी स्कोर 10 था. सेचुरेशन 81 रह गया था. वे 5 दिन अस्पताल में भर्ती रहीं. मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित जरूरी दवाइयां दी. उससे भी बड़ी बात ये थी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. हमेशा पॉजिटिव सोच रखी और संभावतया इसी कारण उन्हें आईसीयू और वेंटिलेटर पर लेने की जरूरत नहीं पड़ी. कोविड में समय पर मिले उपचार और लापरवाही नहीं हो
चंदा देवी के बेटे हरसम भाई ने बताया कि वो सिविल कॉन्ट्रैक्टर हैं. परिवार में 7 सदस्य हैं. 14 मई को मां को बुखार की शिकायत हुई थी. बूंदी में ही डॉक्टर को दिखाया. आरटीपीसीआर जांच कराने के बजाय वो इलाज के लिए सीधे कोटा पहुंचे. धीरे-धीरे सुधार होने लगा. 5 दिन तक मां का अस्पताल में इलाज चला. उसके बाद अब वह पहले की तरह ठीक है. उनका कहना है कि कोरोना का समय पर उपचार मिले और लोग लापरवाही नहीं करें तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है.
चंदा देवी के बेटे हरसम भाई ने बताया कि वो सिविल कॉन्ट्रैक्टर हैं. परिवार में 7 सदस्य हैं. 14 मई को मां को बुखार की शिकायत हुई थी. बूंदी में ही डॉक्टर को दिखाया. आरटीपीसीआर जांच कराने के बजाय वो इलाज के लिए सीधे कोटा पहुंचे. धीरे-धीरे सुधार होने लगा. 5 दिन तक मां का अस्पताल में इलाज चला. उसके बाद अब वह पहले की तरह ठीक है. उनका कहना है कि कोरोना का समय पर उपचार मिले और लोग लापरवाही नहीं करें तो व्यक्ति को बचाया जा सकता है.