यूपी में इंटरव्यू के बाद बनेंगे सरकारी वकील, योगी आदित्यनाथ ने कहा- मेरिट से होगा चयन

ममता त्रिपाठी
नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में सरकारी वकील बनने के लिए इंटरव्यू देना होगा और यह चयन मेरिट के आधार पर ही होगा. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त तेवर दिखाए हैं. राज्य में अब अनुकंपा से नियुक्ति नहीं मिलेगी. योगी सरकार ने इस बार आदेश जारी किया है कि सरकारी वकील, ब्रीफ होल्डर जो सरकारी तनख्वाह पर रखे जाएंगे, उन सभी पदों के लिए इंटरव्यू होगा ताकि मेरिट के हिसाब से लोगों का चयन हो. प्रमुख सचिव कानून एवं विधायी की अध्यक्षता में पांच लोगों की कमेटी बनी है जो इस पद के उम्मीदवारों का इंटरव्यू ले रही है. इतिहास में पहली बार इस तरह की पहल किसी राज्य सरकार ने की है. दरअसल पिछली सरकार में कोर्ट कचहरी के मामलों में प्रदेश सरकार की काफी किरकिरी हुई थी. सरकार के एडवोकेट जनरल पर अपने पहले केस में ही कन्टेम्पट ऑफ कोर्ट लग गया था. लखीमपुर में थार जीप वाले केस के बाद से ही योगी आदित्यनाथ अपनी लीगल टीम से खुश नहीं दिख रहे थे.
इस बार योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल में आते ही काम में जुट गए हैं. वे इस बार किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं हैं. कई बार सरकार की तरफ से प्रभावी पैरवी नहीं हो पाने की वजह से प्रदेश सरकार की सार्वजनिक किरकिरी हो चुकी थी. मुख्यमंत्री पद की दोबारा शपथ लेने की साथ ही योगी आदित्यनाथ के ए़डवोकेट जनरल रहे राघवेंद्र सिंह ने इस्तीफा दे दिया था. चूंकि योगी आदित्यनाथ ने कानून विभाग अपने पास ही रखा है इसलिए इस बार वो विभाग के काम काज पर खुद ही नजर रखे हुए हैं. पिछली बार ये विभाग बृजेश पाठक के पास था और तमाम तरह की अनियमितिताओं के आरोप भी लगते रहे थे. बृजेश पाठक इस बार उपमुख्यमंत्री हैं और चिकित्सा विभाग देख रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जजों और वकीलों को हो रही परेशानी को देखते हुए, योगी सरकार ने पिछले बजट में 450 करोड़ रूपए स्वीकृत किए थे जिसमें नए आवास,, नई सुविधाओं से लैस चैम्बर शामिल थे.
पहले दिन मंगलवार को 25 क्रिमिनल के और 30 सिविल मामलों के ब्रीफ होल्डर का इंटरव्यू हुआ है. पिछली सरकार में प्रदेश सरकार के पे रोल पर 800 वकील थे जिन्हे राज्य सरकार तनख्वाह देती थी. इनमें AG, AGA, AGA1, Chief Standing Council, Standing Council सहित कार्यालय का स्टाफ शामिल था. योगी आदित्यनाथ के इस आदेश के बाद से हड़कम्प मचा हुआ है, कुछ बड़े वकील जो पिछले बीस साल से हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं, उन्हें यह आदेश ठीक नहीं लगा है. उनका मानना है कि पिछले पांच साल इसी सरकार के लिए काम किया है और अब हमें इंटरव्यू के जरिए क्या फिर से आईपीसी और सीआरपीसी बताना पड़ेगा. गौरतलब है कि अभी तक एडवोकेट जनरल की नियुक्ति नहीं हुई है. योगी आदित्यनाथ किसी तेजतर्रार वकील को इस पद पर लाना चाहते हैं जो न्यायिक मामलों में सही तरीके से सरकार का पक्ष रख पाए.
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