नॉलेज : मोमबत्ती जलती है तो मोम कहां चला जाता है

कोई भी चीज जब जलती है तो उसकी राख बच जाती है लेकिन मोमबत्ती के साथ तो अपवाद है, जब मोमबत्ती जलती है तो इसका मोम इस प्रक्रिया में करीब करीब गायब ही हो जाता है. ऐसा क्यों होता है. वैसे मोम ठोस होने के बावजूद उसी तरह जलता है, जैसे पेट्रोल और केरोसिन.
दरअसल मोम HNP यानि हाई नार्मल पैराफिन है, जो हाई कॉर्बन चैन का एक रूप होता है, जिसमें हाइड्रोजन और कॉर्बन की लंबी चैन होती है.
मोमबत्ती का जलना रासायनिक व भौतिक दोनों तरह का परिवर्तन है. मोमबत्ती जब जलती है तो ये उष्मा, प्रकाश और गैसों में बदलती है. हालांकि मोमबत्ती के पूरा जलने के बाद कुछ मोम द्रव अवस्था में नीचे बचा रह जाता है. वैसे एक बड़ी मोमबत्ती का सिर्फ 5 फीसदी ही भाग बच पता है.

मोमबत्ती जब जलती है तो पहले ठोस से द्रव में बदलती है और फिर गैसों के रूप में हवा में मिल जाती है.
ठोस मोम नहीं जलती, पिघलकर ही जलती है
मोमबत्ती ठोस होती है. ठोस मोम को जलाया नहीं जा सकता. मोम तभी जलता है जब वह पिघला हुआ होता है. इसलिए मोमबत्ती को जलाने पर पहले ठोस मोम पिघलता है. फिर जलता है.
ये एक केमिकल परिवर्तन है
वास्तव में जलना एक केमिकल परिवर्तन है. जो ऑक्सीजन की मौजूदगी में होता है. इस क्रिया में ना तो पदार्थ नष्ट होता है और ना ही पैदा होता है. केवल उसका रूप बदल जाता है. मोमबत्ती के साथ भी ऐसा ही होता है. इस नियम को अविनाशिता का नियम (Indestructibility) कहते हैं.

वैसे असलियत ये भी है कि मोमबत्ती के जलने से निकली गैसों, बचे द्रव अवशेष और कालिख की माप लें तो ये असल मोमबत्ती से ज्यादा वजन की निकलेगी,
मोमबत्ती से जलने निकलती हैं जो गैसें
मोमबत्ती में लगे धागे के जलने से जो मोम पिघलता है वो सरफेस टेंशन यानि पृष्ठ तनाव के कारण धागे में ऊपर चढ़ता है. मोम एक जटिल पदार्थ है, जो कॉर्बन और हाइड्रोजन तत्वों से मिलकर बना होता है. जलने की क्रिया में इसका कॉर्बन हवा की आक्सीजन से मिलकर कॉर्बन मोनोआक्साइड और कॉर्बन डाईआक्साइड जैसी गैसें बनाता है, जो हमेंं दिखाई नहीं देता.
ये जलती मोमबत्ती से भाप बनकर उड़ जाते हैं. कुछ अधजला कॉर्बन मोमबत्ती से धुएं के रूप में बाहर आता है, जिसे काजल के रूप में इकट्ठा किया जाता है. इस प्रकार मोमबत्ती का मोम जलकर कॉर्बन मोनोऑक्साइड, कॉर्बन डाइऑक्साइड, पानी और काजल में बदल जाता है.
तो जली हुई मोमबत्ती का वजन ज्यादा होगा
यदि इन सारे पदार्थों और गैस को इकट्ठा करके तौला जाए तो इनका भार मोमबत्ती के भार से कुछ ज्यादा ही निकलेगा. भार में ये बढोतरी आक्सीजन के कारण होती है.
किस तापमान पर मोम पिघलती है
मोम 45°C (113 °F) से ऊपर के तापमान पर पिघलकर द्रव में तब्दील होती है. ये पानी में नहीं घुलती लेकिन पेट्रोलियम आधारित द्रव्य में घुल जाती है. वैसे तो ये क्रूड आयल के परिशोधन प्रक्रिया में निकलती है लेकिन कई पौधे और जीव भी इसे निकालते हैं.
पहली बार चीन में इस्तेमाल हुआ
मोमबत्ती का पहली बार निर्माण और उपयोग चीन में हुआ. तब इसका निर्माण व्हेल की चर्बी से किया जाता था. उसके बाद यूरोप में प्राकृतिक वसा, तेल और मोम से से इसका निर्माण किया जाने लगा. रोम में मोम की अत्यधिक लागत के कारण तेल से इसका निर्माण होता था.
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