पूर्वोत्तर राज्यों के ग्रामीणों को 7 क्षेत्रीय भाषा में मिलेगी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी, IIT-Guwahati का कमाल

गुवाहाटी: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गुवाहाटी (IIT Guwahati) एक ऐसी अनूठी परियोजना शुरू करने जा रहा है जिसकी बदौलत पूर्वौत्तर के सुदूर अंदूरूनी इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों को उनकी मूल भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी. यह इंस्टीट्यूट इस परियोजना के तहत स्पीच टेक्नोलॉजी टूल्स (Speech Technology Tools) विकसित कर रहा है, जो क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का प्रसार करने में कारगर साबित होगा. इस प्रोजेक्ट में हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, बोडो, मणिपुरी, खासी, मीजो, नागामी और नेपाली भाषा को शामिल किया गया है.
इस्टमोजो की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईआईटी गुवाहाटी (IIT Guwahati) द्वारा तैयार किया जा रहा है यह उपकरण पूर्वोत्तर भारतीय भाषाओं में स्पोकन कीवर्ड स्पॉटिंग (Spoken Keyword Spotting- KWS) की मदद से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को पुनः प्राप्त करने में भी सक्षम होंगे. इसके अलावा, परियोजना के एक हिस्से के रूप में, क्षेत्र में बोली जाने वाली सात भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का एक डेटाबेस भी बनाया जाएगा.
आईआईटी गुवाहटी के भाषा विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (CLST) को इस परियोजना के लिए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से ‘राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (NLTM: BHASHINI’) पहल के तहत धन प्राप्त हुआ है.
अनूठी है तकनीक
आईआईटी-जी के निदेशक टी.जी. सीताराम ने परियोजना के अनूठे पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘यह काम पूर्वोत्तर भारत की स्थानीय भाषाओं और जातियों के लिए काम करने के लिए आईआईटी गुवाहटी की प्रतिबद्धता का प्रतीक है. परियोजना की अंतःविषय प्रकृति और स्थानीय भाषाओं पर ध्यान राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में परिकल्पित भावना को दर्शाता है.’
परियोजना के प्रमुख अन्वेषक और इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी-जी के प्रमुख रोहित सिन्हा प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘संस्थान विभिन्न समुदायों के बीच कनेक्टिविटी और सूचना प्रसार की सुविधा के लिए उपकरण विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह परियोजना उस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है.’ श्री सिन्हा ने आगे कहा, ‘भाषा विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र एक अनूठा और सही मायने में अंतःविषय केंद्र है जो अनुसंधान परियोजनाओं और इसके पीएचडी कार्यक्रम के माध्यम से पूर्वोत्तर भारत की भाषाओं में विश्लेषण और प्रौद्योगिकी विकास के लिए समर्पित है.’
कई संस्थाओं का मिलेगा सहयोग
प्रोजेक्ट में विकसित स्पोकन कीवर्ड स्पॉटिंग (KWS) सिस्टम प्रोजेक्ट की लक्षित भाषाओं में से किसी एक के दिए गए स्पीच सिग्नल में पूर्वनिर्धारित शब्दों की सूची का पता लगाएगा. इस परियोजना के लिए IIT गुवाहाटी, CDAC-कोलकाता, IIIT श्री सिटी और NIT मणिपुर की अनुसंधान टीमों के साथ मिलकर काम कर रही है.
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