UP elections Tented leaders family member contesting poll mafia neta ke pariwar par party ka bharosa

(ममता त्रिपाठी)
अपराध और राजनीति का चोली दामन का रिश्ता रहा है. खुद को कानून से बचाने के लिए अपराधियों को खादी का दामन थामना सबसे मुफीद लगता है. यूपी बिहार में तो बाहुबलियों के बिना किसी भी चुनाव की कल्पना करना भी बेमानी लगता है. राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए उच्चतम न्यायालय कड़े कानून बनाता रहा है लेकिन हमारे नेतागण उसकी भी काट निकाल लेते हैं. अपराधी अगर सीधे चुनाव नहीं लड़ते तो उनके परिवार के किसी सदस्य को सियासी दल अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार देते हैं. इस तरह येन केन प्रकारेण सत्ता पाने की चाह में कोई भी दल बाहुबलियों से गुरेज नहीं करता. इस बार सियासतदां सीधे माफियाओं या बाहुबलियों को टिकट ना देकर उनके परिवार के सदस्यों को चुनावी मैदान में उतार कर किस्से को दिलचस्प बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रयागराज के बाहुबली उदयभान करवारिया पर 302, 307 सहित गम्भीर धाराओं में दर्जनों मुकदमें हैं और वे जेल में हैं लेकिन उसकी पत्नी नीलम करवारिया को भाजपा ने मेजा विधानसभा से विधानसभा का टिकट दिया है. इसी तरह बाहुबली जवाहर यादव की पत्नी विजमा यादव को समाजवादी पार्टी ने प्रयागराज की प्रतापपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है. वहीं अखिलेश सरकार में मंत्री रहे गायत्री प्रजापति रेप के मामले में जेल में हैं तो उनकी पत्नी महाराजी प्रजापति को समाजवादी पार्टी ने अमेठी से पार्टी का टिकट दिया है.
इन्द्र तिवारी की पत्नी आरती तिवारी को भाजपा का टिकट
इसी तरह से गोसाईंगंज से विधायक इन्द्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी जो कि फर्जी मार्कशीट के मामले में पांच साल के सजायाफ्ता मुजरिम हैं, लेकिन भाजपा ने उनकी पत्नी आरती तिवारी को विधानसभा का टिकट दिया है. इसी तरह अलीगढ़ शहर से भाजपा विधायक संजीव राजा जिनको दो साल की सजा हो चुकी है और अभी जमानत पर बाहर हैं, उनकी पत्नी मुक्ता संजीव राजा को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है.
अतीक अहमद की पत्नी ने नाम वापस लिया
योगी सरकार के पांच सालों में जिन माफियाओं का नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा वो अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी है. अतीक अहमद फिलहाल गुजरात की साबरमती जेल में सजा काट रहा है मगर उत्तर प्रदेश की राजनीति में वह खासा सक्रिय है. असद्ददूदीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन को इलाहाबाद पश्चिम से विधानसभा का टिकट दिया था मगर आखिरी मौके पर उन्होंने नाम वापस ले लिया. सूत्र बताते हैं कि अतीक के बेटे अली के खिलाफ दिसम्बर 2021 में पुलिस ने केस दर्ज कर दिया था जिसके चलते वो फरारी काट रहा है. यही वजह है कि अतीक की पत्नी ने चुनाव ना लड़ने का फैसला किया.
मुख्तार अंसारी के बेटे चुनाव मैदान में
मुख्तार अंसारी के नाम पर सपा और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी में एक राय नहीं बन सकी जिसके चलते सुभासपा ने मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को मऊ सदर सीट से टिकट दिया है. अखिलेश यादव का मानना था कि मुख्तार को टिकट देने पर पूर्वांचल में पार्टी को नुकसान हो सकता था. आपको बता दें कि 2012 के चुनावों में डीपी यादव को समाजवादी पार्टी में शामिल ना करने के अखिलेश के फैसले की चहुंओर तारीफ हुई थी. नई हवा नई सपा के स्लोगन के साथ ही आगे बढ़ रही समाजवादी पार्टी ने मुख्तार अंसारी के भाई सिगब्तुल्लाह अंसारी को पहले पूर्वाचल की गाजीपुर सीट से टिकट दिया मगर बाद में उनके बेटे सुहेब अंसारी उर्फ मन्नू को टिकट दे दिया.
इसी तरह नौतनवां से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को बसपा ने पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा है. आपको बता दें कि अमनमणि त्रिपाठी के पिता अमरमणि त्रिपाठी कवयित्री मधुमिता शुक्ला के मर्डर के मामले में पत्नी सहित जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं.
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