Uttarakhand elections 2022 cm pushkar singh dhami says we are crossing 60 seat mark this time harish rawat nodark – Uttarakhand Election: पुष्कर सिंह धामी का दावा

देहरादून. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) का मतदान 14 फरवरी को हुआ था. जबकि यूपी, गोवा, पंजाब और मणिपुर के साथ रिजल्ट 10 मार्च को आयेगा, लेकिन इस वक्त भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने कहा कि इस बार हमने 60 पार का नारा दिया है. पार्टी का बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है और हर जगह पर कार्यकर्ताओं ने बहुत अच्छा काम किया है. विपक्ष की खुशी धीरे-धीरे कम हो जाएगी. वहीं, कांग्रेस नेता हरीश रावत (Harish Rawat) ने पलटवार किया है.
उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, ‘ मैं मानता हूं कि पुष्कर सिंह धामी एक विनम्र सीएम हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी. साथ ही दावा किया कि विधानसभा चुनाव में हमें 48 से अधिक सीटें मिलेंगी.’
इसके साथ पूर्व सीएम ने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस को व्यापक समर्थन मिला है. हम निश्चित जीत की तरफ बढ़ रहे हैं. कांग्रेस की सरकार बनने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ही सीएम का चयन करेंगी. साथ ही अब प्रदेश अब दलबदल करने की हिम्मत कोई नहीं करेगा. वर्ष 2016 में हुआ दलबदल उत्तराखंड में आखिरी दलबदल था.
हरिद्वार दौरे पर सीएम धामी ने कही ये बात
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज हरिद्वार के दखिन काली मंदर के दर्शन किए. इसके बाद उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने सभी जगहों पर मेडिकल कॉलेज खोलने का जो संकल्प लिया है वो तेजी से आगे बढ़ रहा है. 2024 तक ये मेडिकल कॉलेज बन कर तैयार हो जाएगा, जो मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा.
क्या इस बार उत्तराखंड मे टूटेगा ये मिथक?
उत्तराखंड ने पिछले दो दशकों में 11 मुख्यमंत्रियों को देखा है. वहीं, लोगों ने 2000 में राज्य के गठन के बाद से हर विधानसभा चुनाव में मौजूदा सरकार के खिलाफ वोट दिया है. इस चुनाव में भाजपा की तरफ से सीएम पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस की तरफ से हरीश रावत चुनाव प्रचार का चेहरा रहे, लेकिन अब देखने वाली बात है कि 10 मार्च को किसे जीत मिलती है. वैसे प्रदेश में बारी-बारी से दोनों पार्टियों के सत्ता में आने की अब तक की परंपरा को देखते हुए भी इस बार कांग्रेस की उम्मीदों को पंख लगे हुए हैं. दूसरी तरफ भाजपा पिछले पांच साल में विभिन्न क्षेत्रों में शुरू हुई विभिन्न विकास परियोजनाओं के कारण अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. इसके अलावा धामी के सामने चुनावों में अपनी पार्टी को दोबारा सत्तासीन करने के अलावा उनके पास दूसरी चुनौती मुख्यमंत्रियों के स्वयं चुनाव में हार जाने की परंपरा को भी तोड़ना है. बता दें कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री कभी भी नहीं जीतते. वर्ष 2002 में नित्यानंद स्वामी हारे, 2012 में भुवनचंद्र खंडूरी हारे और 2017 में हरीश रावत दोनों सीटों से हार गए. जबकि उत्तराखंड में पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी ने चुनाव ही नहीं लड़ा था.
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