राष्ट्रीय
कोर्ट ने केंद्र से पूछा: ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की MRP तय करने का तरीका क्यों तैयार नहीं कर सकते


कोर्ट ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को लेकर केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे
(प्रतीकात्मक तस्वीर: AP)
अदालत ने साथ ही कहा कि अगर केंद्र को लगता है कि यह कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है जिसमें उसे हस्तक्षेप करना चाहिए तो असाधारण परिस्थिति क्या होगी.
नई दिल्ली. कोविड-19 के इलाज के लिए भारी मांग की वजह से बहुत ज्यादा कीमतों पर ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर बेचे जाने के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से पूछा कि वह इनकी एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) तय करने के लिए कोई तरीका क्यों निर्धारित नहीं कर सकती. अदालत ने कहा कि वह सरकार से ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की कीमत रुपए या पैसे में तय करने के लिए नहीं कह रही बल्कि एक सिद्धांत तय करने के लिए कह रही हैं जिसके आधार पर इस उपकरण के लिए पैसे लिए जाएंगे. अदालत ने साथ ही कहा कि अगर केंद्र को लगता है कि यह कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है जिसमें उसे हस्तक्षेप करना चाहिए तो असाधारण परिस्थिति क्या होगी. उच्च न्यायालय ने कहा कि उत्पाद की कीमत की एक सीमा तय होनी चाहिए और ‘यह असीमित नहीं हो सकता. कल को कोई चीनी विनिर्माता कहेगा कि वह इसे पांच गुना कीमत पर बेचेगा तो हम उसकी तो मंजूरी नहीं दे सकते.’ न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की एक पीठ ने कहा, ‘सरकार होने के नाते यह आपकी जिम्मेदारी है कि लोग उत्पाद खरीदने में सक्षम हों और उन्हें बहुत ज्यादा कीमत पर इसे खरीदना न पड़े. हम लोगों को ऐसे ही नहीं छोड़ सकते. किसी उत्पाद की कमी का फायदा नहीं उठाया जा सकता. क्या आपको उपभोक्ताओं के बारे में नहीं सोचना चाहिए?’ पीठ ने सवाल किया कि सरकार कीमत तय करने के लिए कोई तरीका क्यों नहीं ला सकती. उसने यह भी कहा कि सरकार यह कहकर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती कि मांग ज्यादा है तथा आपूर्ति कम है और सब कुछ तेजी से बदल रहा है इसलिए वह कुछ नहीं कर सकती. कोर्ट ने सरकार को इस्तक्षेप करने को कहापीठ ने उत्पाद की अंतिम कीमत के साथ शुल्क (जीएसटी) और 15 प्रतिशत मुनाफे का अंतर जोड़ते हुए कोई तरीका तय करने का सुझाव देते हुए कहा, ‘यह कोई जवाब नहीं है. आपको इसे (समस्या को) ठीक करना होगा.’ अदालत ने कहा कि केवल मांग एवं आपूर्ति का मानदंड नहीं हो सकता और सरकार को हस्तक्षेप करना होगा तथा कीमत की सीमा तय करनी होगी. सरकार अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती और यह नहीं कह सकती है कीमत तय नहीं की जा सकती. केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए वकीलों – कीर्तिमान सिंह और अमित महाजन ने कहा कि अंतिम मूल्य का निर्धारण आखिर में निर्यातक करते हैं और सरकार के लिए कीमत तय करना संभव नहीं है क्योंकि बाजार में अलग-अलग कीमतों, आकारों और नामों के साथ अलग-अलग कंसन्ट्रेटर बेचे जा रहे हैं. दोनों वकीलों ने मामले को लेकर और निर्देश हासिल करने के लिए थोड़ा और समय देने का आग्रह किया. इसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिये 19 मई की तारीख मुकर्रर की. अदालत दिल्ली निवासी मनीषा चौहान द्वारा ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की कीमत तय करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में यह भी आग्रह किया गया है कि विशेष फास्ट ट्रैक अदालतों में इस तरह के मामलों से निपटने के लिए विशेष जन अभियोजन नियुक्त किए जाएं.
चौहान की तरफ से पेश हुए वकीलों – संजीव सागर और नाजिया परवीन ने अदालत से कहा था कि कोविड के इलाज से जुड़ी दवाओं और उपकरणों को आवश्यक वस्तु घोषित करने संबंधी अधिसूचना न होने की वजह से इन चीजों की जमाखोरी और कालाबाजारी की जा रही है.
चौहान की तरफ से पेश हुए वकीलों – संजीव सागर और नाजिया परवीन ने अदालत से कहा था कि कोविड के इलाज से जुड़ी दवाओं और उपकरणों को आवश्यक वस्तु घोषित करने संबंधी अधिसूचना न होने की वजह से इन चीजों की जमाखोरी और कालाबाजारी की जा रही है.