नए बिल से ‘भूमिपुत्र’ शब्द हटाएगी सरकार, बढ़ते विरोध के बाद लिया फैसला– News18 Hindi

पणजी. गोवा सरकार (Goa Government) का ‘गोवा भूमिपुत्र अधिकारिणी बिल, 2021’ अपने नाम के कारण विवादों में है. ऐसे में राज्य के कुछ समुदायों की तरफ से जारी विरोध को बढ़ता देख सरकार ने बिल से ‘भूमिपुत्र’ शब्द हटाने का फैसला किया है. इस विधेयक में कहा गया था कि गोवा में 30 साल से ज्यादा समय से रह रहे लोगों को भूमिपुत्र का दर्जा मिलेगा. इसके बाद वे 1 अप्रैल 2019 से पहले निर्मित अपने घरों पर मालिकाना हक का दावा कर सकेंगे. हालांकि, ये घर 250 स्क्वायर मीटर से ज्यादा क्षेत्र में नहीं बने होने चाहिए. इस बिल को लेकर विपक्ष ने भी सरकार का विरोध किया है.
मंगलवार शाम राज्य के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सोशल मीडिया पर एक संबोधन में कहा, ‘भूमिपुत्र शब्द से कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं और सरकार इस शब्द को बिल से हटाने के लिए तैयार है. मैं आपको आश्वासन देता हूं कि हम बिल से भूमिपुत्र शब्द हटा देंगे. इसका नाम गोवा भूमि अधिकारिणी बिल रखना संभव है.’ सीएम की तरफ से की गई इस घोषणा के कुछ घंटों पहले ही भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा ने उन्हें एक मेमोरेंडम सौंपा था.
इसमें मोर्चा ने बिल में भूमिपुत्र शब्द पर ‘कड़ी आपत्ति’ जताई थी. मोर्चा का कहना था कि इससे ‘राज्य के लगभग सभी आदिवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंची है और ऐसे किसी विधेयक को पारित करने के खिलाफ पूरा समुदाय विरोध में आ गया है, जो सही सुधार नहीं होने पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है.’ इससे पहले गोवा राज्य अनुसूचित जाति और अनूसुचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रमेश तावडकर ने सीएम सावंत के साथ बैठक की थी.
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इस मुलाकात के बाद तावडकर ने कहा था, ‘भूमिपुत्र शब्द का इस्तेमाल अब तक गौड़, कुन्बी, वेलिप समुदायों के लिए किया जाता था… ऐसे में इसे लेकर कुछ निराशा थी. क्योंकि इससे हमारे वास्तविकता और पहचान को ठेस पहुंचती. उन्होंने (सावंत) आश्वासन दिया है कि वे बिल के नाम में से इसे हटा लेंगे.’ इसके अलावा विपक्ष ने सरकार पर बगैर किसी चर्चा के बिल पास करने के आरोप लगाए हैं. गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गिरीश चूड़ांकर ने मंगलवार को कहा कि बिल का विरोध करने के लिए पार्टी ‘भूमिपुत्र यात्रा’ निकालेगी. आम आदमी पार्टी ने भी बिल का विरोध किया है और कहा है कि यह विधेयक मिट्टी के असल सपूतों का अपमान है.
जबकि, सीएम सावंत का कहना है कि सभा से वॉकआउट का फैसला करने वाली विपक्ष 30 जुलाई को विधेयक पर चर्चा के लिए कुछ देर और रुक सकती थी. साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार अपनी वेबसाइट पर लोगों से सुझावों ले रही थी और इन सुधावों पर विचार करने के बाद विधेयक को सभा में अगले दो महीनों में दोबारा रखा जा सकता है. उन्होंने यह साफ किया है कि यह विधेयक प्रवासी नहीं गोवावासियों के हित में था. उन्होंने जानकारी दी कि जिन लोगों के नाम बिजली और पानी का कनेक्शन है, वे बिल के प्रावधानों का लाभ ले सकेंगे.
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