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फाइजर और मॉडेर्ना की वैक्सीन के लिए अभी करना होगा इंतजार, जानें कारण

नई दिल्ली. फाइजर और मॉडेर्ना की वैक्सीन अभी भी कानूनी नियमों के चलते भारत की पहुंच से काफी दूर हैं. हालांकि भारत लगातार अपने टीकाकरण कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाने पर काम कर रहा है. भारत में फिलहाल दो वैक्सीन- भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड व्यापक तौर पर इस्तेमाल में लाई जा रही हैं. रूस की वैक्सीन स्पुतनिक V का भी टीकाकरण में इस्तेमाल हो रहा है, हालांकि इसकी संख्या अभी काफी कम है.

एक तरफ, भारत को आपूर्ति और लॉजिस्टिक मुद्दों को नेविगेट करना होगा क्योंकि फाइजर और मॉडर्न के टीकों को सब-जीरो तापमान पर रेफ्रिजरेट करना होगा और देश भर में इसके लिए एक मजबूत कोल्ड चेन सिस्टम की जरूरत होगी. दूसरी ओर, इन्हें भारत लाने के प्रयासों के कानूनी पहलू भी महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में उभरे हैं. भारत सरकार को अभी जुर्माने या सजा से कंपनियों की सुरक्षा के लिए मिलने वाली मंजूरी में तेजी लानी है जैसा कि जून में घोषित किया गया था.

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अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सीएनएन-न्यूज 18 के साथ एक विशेष इंटरव्यू में कहा, “किसी भी देश के साथ, टीके प्राप्त करने के लिए अप्रूवल, रेग्युलेटरी और कानूनी प्रक्रिया की जरूरत होती है, और यही वह जगह है जहां चीजें खड़ी होती हैं.”

मॉडेर्ना की वैक्सीन के लिए करना होगा इंतजार
दोनों टीके अप्रूवल के अंतिम चरण में हैं, हिंदुस्तान टाइम्स की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉडर्ना वैक्सीन के 2022 तक उपलब्ध होने के आसार नहीं हैं क्योंकि कंपनी के सप्लाई ऑर्डर्स तब तक पूरी तरह से बुक हो चुके थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार अन्य देशों के साथ फाइजर जैसी दवा कंपनियों के क्षतिपूर्ति समझौतों को देख रही है. यह कहा गया है कि ये समझौते खरीद का हिस्सा हैं.
इन्डेम्निटी क्या होता है?
इसका मतलब होता है कि संबंधित देश में वैक्सीन को ऐसे कानूनी पचड़ों से सुरक्षित रखना जिससे ये सुनिश्चित हो सके कि उन पर भारत में मामला दर्ज नहीं किया जा सकता. भारत में किसी अन्य वैक्सीन निर्माता को ये सुविधा नहीं दी गई है. हालांकि फाइजर और मॉडेर्ना का कहना है कि वह सुरक्षा मिलने के बाद ही भारत से किसी लेन-देन की शुरुआत करेंगे.

फाइजर और मॉडेर्ना दोनों ही इस तरह की मांग कर रही हैं.

भारत का क्या कहना है?
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा था कि लोगों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए इन्डेम्निटी के अनुरोध की जांच की जा रही है. उन्होंने पिछले महीने कहा था, “इस पर चर्चा हो रही है और अभी कोई फैसला नहीं हुआ है.” हालांकि इस पर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है.

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