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China bans American, Asian institutions in protest against Taiwan President’s US visit, ताइवान के मसले पर चीन के सीने में धधक रही थी बदले की आग, अब ड्रैगन ने लगा दी अमेरिका की लंका!

शी जिनपिंग, चीनी राष्ट्रपति- India TV Hindi

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शी जिनपिंग, चीनी राष्ट्रपति

ताइवान के मुद्दे को लेकर अमेरिका और चीन में लंबे समय से ठनी हुई है। ताजा मामले में जब ताइवान की राष्ट्रपति ने अमेरिका की यात्रा की तो इससे चीन के सीने में फिर से बदले की आग भड़क उठी। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन के इस दौरे से उठी एक चिंगारी ने चीन को आग बबूला कर दिया। अमेरिका पर भड़के चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अब कई अमेरिकी और एशियाई संस्थानों पर प्रतिबंध लगाकर उनकी लंका लगा दी है। इससे चीन और अमेरिका के बीच एक बार फिर से तनाव चरम पर जा पहुंचा है। अब अमेरिका इसका जवाब किस तरह से देगा, यह तो वक्त बताएगा। मगर आइए आपको बताते हैं कि अमेरिका पर भड़के चीन ने किस तरह से यह कार्रवाई की है।

दरअसल चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर केविन मैक्कार्थी और ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के बीच इस सप्ताह हुई अहम बैठक के विरोध में यह कार्रवाई की है। चीन ने ‘रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी’ और अन्य अमेरिकी एवं एशिया आधारित संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया है। एक दिन पहले ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा था कि यह एक ‘‘खयाली पुलाव’’ है कि बीजिंग ताइवान को लेकर अपने रुख में समझौता करेगा। मगर चीन के कड़े विरोध के बावजूद मैक्कार्थी के साथ साई की बैठक बृहस्पतिवार को हुई। कैलिफोर्निया की सिमि वैली में ‘रोनाल्ड रीगन प्रेसिडेंशियल लाइब्रेरी’ उच्च-स्तरीय बैठक का स्थल है। मैक्कार्थी ने इस सप्ताह ताइवान की राष्ट्रपति साई के साथ बातचीत को लेकर यहां द्विदलीय बैठक की मेजबानी की थी। ताइवान की राष्ट्रपति और अमेरिकी अधिकारियों के बीच यह दूसरी उच्च स्तरीय बैठक थी।

अमेरिका-चीन संबंधों में चरम पर तनाव

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका-चीन संबंध ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गया है तथा ताइवान एवं चीन के बीच तनाव बढ़ गया है। चीन अन्य देशों की सरकारों और ताइवान के बीच किसी भी आधिकारिक संवाद को ताइपे के वैश्विक दर्जे को ऊंचा उठाने के प्रयास के रूप में देखता है, इसलिए वह इस तरह के प्रयासों को ताइवान पर अपनी संप्रभुता के दावों का उल्लंघन मानता है। चीन ने ‘हडसन इंस्टीट्यूट’ पर भी पाबंदी लगा दी है जिसने एक कार्यक्रम की मेजबानी की थी और 30 मार्च को साई को वैश्विक नेतृत्व पुरस्कार से सम्मानित किया था। प्रतिबंधित समूहों में ताइवान की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में उनकी भागीदारी के लिए एशिया-आधारित समूह- ‘द प्रॉस्पेक्ट फाउंडेशन’ और ‘काउंसिल ऑफ एशियन लिबरल्स एंड डेमोक्रेट्स’ शामिल हैं।

ताइवान पर नहीं झुकेगा चीन

चीन के राष्ट्रपति शी ने बृहस्पतिवार को बीजिंग में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन के साथ बैठक में कहा, ‘‘ताइवान का मुद्दा चीन के मूल हितों के केंद्र में है। चीन की सरकार और चीनी लोग कभी भी ‘एक-चीन’ नीति के मुद्दे पर शोर शराबा करने वालों की राय से सहमत नहीं होंगे।’’ मैक्कार्थी और साई की मुलाकात के बाद चीन की यह पहली प्रतिक्रिया थी। सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के मुताबिक शी ने कहा, ‘‘जो कोई भी यह अपेक्षा कर रहा कि चीन ताइवान पर अपने रुख से समझौता करेगा, वह खयाली पुलाव पका रहा।’’ हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ के मुताबिक बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में लेयेन ने कहा कि ताइवान के मुद्दे पर चर्चा हुई और उन्होंने शी से कहा कि ‘‘यथास्थिति को बदलने के लिए बल प्रयोग की धमकी अस्वीकार्य है। यह महत्वपूर्ण है कि तनाव को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।’

’ शुक्रवार के प्रतिबंधों पर, बीजिंग में विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों अमेरिकी संस्थानों को चीन में किसी भी व्यक्ति, विश्वविद्यालयों या संस्थानों के साथ आदान-प्रदान, सहयोग और अन्य गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ देश लोकतंत्र के नाम पर ताइवान का समर्थन करते हैं और चीन को रोकने के लिए ताइवान के सवाल का इस्तेमाल करते हैं। यह कदम खतरनाक है और ऐसा कहीं देखने को नहीं मिलता है।

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