Good news for companies whose GST registration is canceled, chance to get it started again by applying till this date| GST पंजीकरण रद्द होने वाली कंपनियों के लिए अच्छी खबर, इस तारीख तक आवेदन देकर फिर
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) रिटर्न नहीं भरने के कारण जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द हो गया है, उनको सरकार ने इसकी बहाली के लिए मौका दिया है। ऐसी कंपनियां या कारोबार कर, ब्याज और जुर्माना भरने के बाद 30 जून से पहले पंजीकरण बहाल करने के लिए आवेदन कर सकती हैं। वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय जीएसटी अधिनियम में संशोधन करते हुए कहा है कि जिन कंपनियों का जीएसटी पंजीकरण 31 दिसंबर, 2022 या उससे पहले रद्द हो गया है और यदि वे इसकी बहाली के लिए नियत समय के अंदर आवेदन नहीं कर पाई हैं, तो अब उनके पास इसके लिए 30 जून, 2023 तक का समय है। हालांकि, यह आवेदन पंजीकरण रद्द होने की तारीख तक बकाया रिटर्न या कोई अन्य बकाया मसलन ब्याज, जुर्माना और विलंब शुल्क भरने के बाद ही किया जा सकेगा।
जीएसटी संग्रह बढ़कर 1.60 लाख करोड़
जीएसटी संग्रह मार्च में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत बढ़कर 1.60 लाख करोड़ रुपये हो गया जो अब तक का दूसरा सर्वाधिक कर संग्रह है। इसके साथ वित्त वर्ष 2022-23 में वार्षिक कर वृद्धि 22 प्रतिशत रही। पिछले महीने जीएसटी में पंजीकृत 91 प्रतिशत से अधिक कारोबारों ने रिटर्न जमा करने के साथ कर भुगतान किया। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मार्च, 2023 में कुल जीएसटी संग्रह 1,60,122 करोड़ रुपये रहा है। इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) 29,546 करोड़ रुपये है जबकि राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) संग्रह 37,314 करोड़ रुपये है। वहीं एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के मद में 82,907 करोड़ रुपये इकट्ठा हुए हैं। इसके साथ 10,355 करोड़ रुपये का उपकर भी शामिल है। इसके पहले फरवरी में जीएसटी संग्रह 1.49 लाख करोड़ रुपये रहा था जबकि जनवरी में 1.57 लाख करोड़ रुपये का कर संग्रह हुआ था। जी
सर्वाधिक संग्रह अप्रैल, 2022 में
जीएसटी का सर्वाधिक संग्रह अप्रैल, 2022 में 1.68 लाख करोड़ रुपये का रहा था। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान जीएसटी का कुल संग्रह 18.10 लाख करोड़ रुपये रहा है जो वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है। समाप्त वित्त वर्ष में जीएसटी का औसत मासिक संग्रह 1.51 लाख करोड़ रुपये रहा है। इस वित्त वर्ष में चार बार मासिक कर संग्रह 1.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। जीएसटी के मासिक एवं वार्षिक संग्रह के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ते हुए आकार को दर्शाते हैं।