जानें कौन हैं 125 साल के योग गुरु स्वामी शिवानंद, जिनके आगे प्रधानमंत्री मोदी भी हो गए नतमस्तक

नई दिल्ली: दिल्ली में राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में आयोजित समारोह में अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए विभिन्न हस्तियों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने पद्म पुरस्कार (Padma Award) से नवाजा. इस मौके पर एक शख्सियत काफी चर्चा में रही, जिनके आगे खुद पीएम मोदी भी नतमस्तक हो गए. काशी के योगगुरु स्वामी शिवानंद (Swami Sivananda) को पद्म श्री सम्मान से अलंकृत किया गया. 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद जब सम्मान लेने के लिए पहुंचे तो दरबार हॉल तालियों से गूंज उठा. पीएम मोदी ने भी झुककर उनका अभिवादन किया.
योग के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य के लिए स्वामी शिवानंद को पद्म श्री से सम्मानित किया गया. हैरानी की बात है कि 125 वर्ष की आयु में स्वामी शिवानंद स्वयं पद्म श्री सम्मान लेने के लिए दिल्ली पहुंचे. योग और संयमित दिनचर्या की मदद से उन्होंने इस उम्र में भी खुद को स्वस्थ रखा. योग के प्रति उनका समर्पण देश के करोड़ों लोगों को बेहतर सेहत के लिए प्रेरित करता है.
#WATCH Swami Sivananda receives Padma Shri award from President Ram Nath Kovind, for his contribution in the field of Yoga. pic.twitter.com/fMcClzmNye
— ANI (@ANI) March 21, 2022
आइये जानते हैं स्वामी शिवानंद के जीवन के बारे में
स्वामी शिवानंद काशी के रहने वाले हैं. उन्हें योगगुरु के नाम से भी जाना जाता है. बताया जाता है कि उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को सिलेट जिले के हरीपुर गांव में हुआ था, जो कि अब बांग्लादेश में है. स्वामी जी का कहना है कि योग, प्राणायाम और घरेलू उपचार स्वस्थ रहने का मूलमंत्र है. स्वामी शिवानंद रोजाना सुबह 3 बजे जगते हैं और फिर योगासन व श्रीमद भगवद् गीता का पाठ करते हैं.
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देश की आजादी के समय 50 वर्ष के थे स्वामी शिवानंद
स्वामी शिवानंद बंगाल से काशी पहुंचे और गुरु ओंकारानंद से शिक्षा लेने के बाद उन्होंने योग और ध्यान में निपुणता प्राप्त कर ली. भारत की आजादी के समय स्वामी शिवानंद की आयु करीब 50 वर्ष की थी. यानि उन्होंने आजादी के संघर्ष को भी देखा और आजादी के बाद भारत की तरक्की के साक्षी भी बने.
बताया जाता है कि बहुत कम उम्र में ही उन्होंने अपने माता-पिता और बहन को खो दिया. योग की शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने गुरु के निर्देश पर उन्होंने 34 साल तक दुनिया के कई देशों का दौरा किया. वे लंदन, ऑस्ट्रेलिया, अन्य यूरोपीय देश और रूस जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं.
वे चमक-दमक की दुनिया से दूर रहना पसंद करते हैं और सादा जीवन में गहरी आस्था रखते हैं. स्वामी शिवानंद आज भी उबला खाना खाते हैं.
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