ईरान को एक और चोट देने की तैयारी में अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष महिला अधिकार निकाय से बाहर करने की मांग की-America wants to oust iran from united nations women body over anti hijab protests


अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन
ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव किसी से छिपा नहीं है। ईरान में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों पर जो कार्रवाई हो रही है, उसपर अमेरिका बार-बार बयान दे रहा है। अब अमेरिका ने बुधवार को घोषणा की है कि वह महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के उल्लंघन और सितंबर में प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए की गई कार्रवाई को लेकर ईरान को संयुक्त राष्ट्र के लैंगिक समानता से जुड़े वैश्विक निकाय से बाहर करने का प्रयास करेगा। ईरान में पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवती की मौत के विरोध में लोग सितंबर से सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ईरान को ‘कमिशन ऑन द स्टेटस ऑफ वीमेन’ से हटाने के लिए अन्य देशों के साथ काम करने के अमेरिका के इरादे को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों का हनन करने वाले किसी भी देश की ‘किसी भी अंतरराष्ट्रीय या संयुक्त राष्ट्र के निकाय में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।’ हैरिस ने कहा कि ईरान आयोग का हिस्सा बनने के लायक नहीं है और उसकी मौजूदगी आयोग के काम की ‘निष्ठा को बदनाम करती है।’ईरान में विरोध-प्रदर्शनों पर बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक अनौपचारिक बैठक में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि ईरान की सदस्यता ‘आयोग की विश्वसनीयता पर एक कलंक है’ और ‘हमारे विचार में इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’
क्या काम करता है निकाय?
1946 में गठित संयुक्त राष्ट्र का ‘कमिशन ऑन द स्टेटस ऑफ वीमेन’ महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, दुनिया भर में महिलाओं के जीवन की वास्तविक स्थिति सामने लाने, महिलाओं को सशक्त बनाने और लैंगिक समानता हासिल करने के लिए वैश्विक मानकों को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाता है। इसके 45 सदस्य दुनिया के सभी क्षेत्रों से नाता रखते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद द्वारा चार साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। ईरान को एशियाई क्षेत्र से चुना गया है और उसका कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है।
अमेरिकी राजदूत ने क्या कहा है?
थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘जबकि ईरान द्वारा महिलाओं को प्रताड़ित करना कोई नयी बात नहीं है, ईरानी लोगों की बहादुरी को सलाम, ईरानी शासन का अत्याचार सामने आया है।’ ईरान में नैतिकता के नाम पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने युवती महसा अमीनी (22) को पकड़ा था और 16 सितंबर को हिरासत में ही उसकी मौत हो गई थी। ईरान की सरकार ने लगातार यह दावा किया है कि अमीनी के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया, जबकि अमीनी के परिवार का कहना है कि उसके शरीर पर चोट व पिटाई के निशान थे। अमीनी को हिजाब सही तरीके से न पहनने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।