Kashi Vishwanath Temple’s record earning after the corridor was made, devotees offered 100 crores in cash and so many kilos of gold


देवों के देव महादेव की नगरी बनारस काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के भव्य निर्माण के बाद मंदिरों की कमाई में भी इजाफा हुआ है। काशी विश्वनाथ के पुजारी श्रीकांत मिश्रा कहते हैं कि जबसे बाबा का धाम बना है तो यहां भक्तों की संख्या में दस गुना बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही मंदिर की भी आमदनी बढ़ी है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के अधिकारी के अनुसार 13 दिसम्बर, 2021 से लेकर 2022 तक श्रद्धालुओं द्वारा 100 करोड़ रुपए से अधिक का अर्पण किया गया, जो मंदिर के इतिहास में सर्वाधिक है। साथ ही गत वर्ष की तुलना में ये राशि लगभग 500 प्रतिशत से अधिक है। सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि लोकार्पण के बाद से लेकर अबतक मंदिर में 7.35 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किया है। वर्मा ने बताया कि धाम के लोकार्पण से दिसंबर 2022 तक श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की नकदी दान की है। इसमें से 40 प्रतिशत धनराशि ऑनलाइन सुविधाओं के उपयोग से प्राप्त हुई है। वहीं श्रद्धालुओं द्वारा लगभग 50 करोड़ से अधिक की बहुमूल्य धातु 60 किलो सोना, 10 किलो चांदी और 1500 किलो तांबा भी दान किया गया है। आस्थावानों द्वारा दिये गये सोना व तांबे का प्रयोग कर गर्भगृह की बाहरी एवं आंतरिक दीवारों को स्वर्ण मंडित किया गया है।
मंदिर में 200 लोगों का पुजारी का परिवार
मंदिर में 200 लोगों का पुजारी का परिवार है। इसके अलावा 200 लोग पंडे के परिवारों के हैं। इसका पूरा खर्च यहीं से चलता है। पहले रविवार और भैरव अष्टमी में भीड़ होती थी। लेकिन अब अनुमान के हिसाब से 10 हजार की भीड़ रोज आती है। इसमें तकरीबन 80 हजार रुपए आते हैं। इसके अलावा रविवार को कमाई कुछ और बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि कॉरिडोर व्यापार के लिए एक आशीर्वाद है। गिरी कहते हैं कि उन्हें तीन बार प्रधानमंत्री का पूजन कराने का अवसर मिला है। उन्होंने इस बार दक्षिणा भी दी है। संकट मोचन के महंत विशम्भरनाथ मिश्रा कहते हैं कि बनारस में इस पूरे साल संख्या बढ़ी है। यहां पर टूरिज्म के प्रमोशन के कारण विजिटर की संख्या बढ़ गई है। यहां पारंपरिक चीजें पहले की तरह ही चल रही हैं। उन्होंने कहा कि संकट मोचन में शनिवार और मंगलवार को भीड़ रहती है। जाहिर सी बात है जो बनारस आएगा तो मंदिर की तरफ आकर्षण होगा, वही इसमें एड हो जाते हैं।
काशी कॉरिडोर ने छोटे व्यापारियों को दी बूस्टर डोज
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने बनारस के छोटे व्यापारियों को बूस्टर डोज दे दी है। इनके व्यापार में चार से पांच गुना का उछाल आया है। कोरोना संकट के समय दुश्वारियां झेल रहे ठेला खोमचा, फूल माला, कचौड़ी, पान लगाने वाले समेत कई वेंडरों को अब संजीवनी मिल गई है। काशी के जानकर बताते हैं कि धाम के लोकार्पण के बाद यहां आए बदलाव को देखा जा सकता है। दिसंबर 2021 में दक्षिण भारतीयों की कुछ टोली बांसफाटक, ज्ञानवापी और कालभैरव तक सीमित थी। बांकी सावन में भी भीड़ खूब नजर आती थी, लेकिन अब किसी न किसी प्रदेश और दुनिया से लोग दिखते हैं। मैदागिन से बुलानाला के बीच कई नए रेस्टोरेंट खुले हैं। गोदौलिया से लेकर दशाश्वमेध घाट तक बनारसी जायका का स्वाद लेते लोग दिखते हैं। बांसफाटक फूल मण्डी के पास अब 24 घंटे फूलों की दुकानें मिलेंगी। गंगा पर आश्रित नाविक भी खूब चक्कर लगाकर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं।
पर्यटन उद्योग के लिए ‘जैकपॉट’ साबित हो रहा ‘काशी कॉरिडोर’
नव्य, भव्य और दिव्य काशी विश्वनाथ धाम और तेजी से विकसित हो रही सुविधाओं के कारण अपनी एक अलग छाप छोड़ रहा है। इसी कारण यह पर्यटकों की पहली पसंद बनकर उभर रहा है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद से बनारस में पर्यटन उद्योग ने काफी ऊंची छलांग लगाई है। न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला है, बल्कि कई अन्य सेक्टरों ने उड़ान भरी है। कोरोना की मंदी में सुस्त पड़े इस सेक्टर को तकरीबन पांच गुना का इजाफा हुआ है। जानकार कहते हैं कि काशी कॉरिडोर पर्यटन उद्योग के लिए जैकपॉट साबित हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि काशी में हर महीने तकरीबन 20 से 30 लाख पर्यटक पहुंच रहे हैं। बनारस होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष गोकुल शर्मा कहते हैं कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद से पूरे देश से लोग यहां आ रहे हैं। यहां पर युवा हर कोने से आ रहे हैं। सीजनल घूमने वाले नहीं, बल्कि यह संख्या अब नियमित बढ़ रही है। लगभग एक लाख लोग नियमित आ रहे हैं। छुट्टी वाले दिन यह संख्या दुगुनी हो रही है।