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केरलः विजयन कैबिनेट में शैलजा की जगह ले सकती हैं वीना जॉर्ज, शपथ ग्रहण कल

नई दिल्ली. केरल की पिनरायी विजयन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री का ओहदा किसे मिलेगा? इस पर सभी की नजरें हैं, लेकिन खबरों की माने तो माकपा सरकार में पत्रकार से नेता बनी वीना जॉर्ज, पिनरायी विजयन की पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं केके शैलजा की जगह ले सकती है. खबरों के मुताबिक इस बारे में जल्द ही ऐलान किया जा सकता है. केरल में कोविड-19 की पहली लहर से कुशलतापूर्वक निपटने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा पा चुकीं शैलजा को आश्चर्यजनक रूप से नये मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से तुरंत दिवंगत के आर गौरी अम्मा से उनकी तुलना की जाने लगी. 44 वर्षीय वीना जॉर्ज विजयन कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री होंगी, जो 20 मई को मंत्री पद की शपथ लेंगी. वीना जॉर्ज ने 6 अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में पथनामथित्ता जिले की अरनमुला विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. वीना जॉर्ज के अलावा माकपा की राज्य इकाई के कार्यकारी सचिव ए विजयराघवन की पत्नी आर बिंदु नये मंत्रिमंडल में शामिल होने वाली महिला सदस्य हैं. माकपा के बयान के अनुसार, हालांकि शैलजा को पार्टी में सचेतक की जिम्मेदारी दी गई है. पार्टी ने फैसला किया है कि मुख्यमंत्री को छोड़कर मंत्रिमंडल के सभी सदस्य नये चेहरे होंगे. माकपा की राज्य समिति ने नयी सरकार में अपने कोटे के मंत्रियों में 11 नये चेहरों को चुना है, जिनमें दो महिलाएं शामिल हैं. पार्टी की राज्य समिति के सदस्य एम वी गोविंदन, राज्यसभा के पूर्व सदस्य पी राजीव और के एल बालगोपाल, वरिष्ठ नेताओं के राधाकृष्णन, वी एन वासवन, साजी चेरियनऔर वी शिवनकुट्टी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्हें विजयन की दूसरी कैबिनेट में मौका मिला है. विजयन के दामाद और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफइंडिया (डीवाईएफआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रियास को भी मंत्रिमंडल में जगह मिली है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य मुख्यालय एकेजी सेंटर में वरिष्ठ नेता एलमाराम करीम की अध्यक्षता में हुई पार्टी की राज्य समिति की बैठक में एम बी राजेश को पार्टी की ओर से विधानसभा अध्यक्ष पद का प्रत्याशी चुना गया. इस बीच, माकपा से सबक लेते हुए भाकपा ने भी मंत्रिमंडल में नये चेहरों को मौका दिया है.भाकपा ने बताया कि नव निर्वाचित विधायक के राजन, पी प्रसाद, जे चिंचू रानी और जी आर अनिल गठबंधन सरकार में पार्टी की ओर से मंत्री बनेंगे. उसने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता और अडूर से विधायक सी गोपकुमार को पार्टी की ओर से विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिये नामित किया गया है. दूसरी ओर माकपा के वरिष्ठ नेता पिनराई विजयन ने मंगलवार को केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की. मंगलवार को वह संसदीय दल के नेता चुने गए, जिससे उनके फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया. सूत्रों ने बताया कि विजयन ने राज्यपाल को संसदीय दल का नेता चुने जाने का पत्र सौंपा. विजयन के नेतृत्व में माकपा की नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 20 मई को यहां सेंट्रल स्टेडियम में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए होगा. शैलजा को बड़े अंतर से मिली जीत
शैलजा के अलावा पिछली सरकार में राज्य के वित्त मंत्री रहे थॉमस आईजैक को भी जगह नहीं मिली है. शैलजा ने कन्नूर के मत्तनूर से सीट से 60,963 मतों के सर्वाधिक अंतर से जीत हासिल की थी. ऐसे में विजयन के नेतृत्व वाली नयी सरकार में उन्हें जगह मिलने की उम्मीद थी, क्योंकि राज्य कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. लेकिन, तमाम उम्मीदों को दरकिनार हुए शैलजा को नये मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर विभिन्न दलों के नेताओं ने निराशा जताई है. स्कूल टीचर रहीं शैलजा सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका शैलजा ने पिछले साल राज्य में कोरोना महामारी को रोकने में शानदार काम किया था. उन्होंने साल 2018 और 2019 में निपाह वायरस के फैलने के समय भी अच्छा काम किया था. सोशल मीडिया पर भी लोगों ने शैलजा को नये मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनके प्रशंसक उन्हें ‘शैलजा टीचर’ या ‘टीचर अम्मा’ जैसे नामों से पुकारते हैं. शैलजा की गौरी अम्मा से तुलना सोशल मीडिया उपयोक्ताओं ने कहा कि राज्य के कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना करने के बीच उन्हें मंत्री नहीं बनाना अच्छा नहीं होगा. कुछ लोगों ने उनके प्रति एकजुटता दिखाते हुए व्हाट्स ऐप की डीपी में उनकी तस्वीरें लगाई तो कुछ ने इसकी तुलना गौरी अम्मा को 1987 में अंतिम समय में कथित तौर पर मुख्यमंत्री पद से वंचित किये जाने से की. चुनावों के दौरान यद्यपि गौरी अम्मा को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में तब पेश किया गया था, लेकिन नतीजे आने के बाद पार्टी ने उन्हें कथित तौर पर दरकिनार करके ई के नयनार को मुख्यमंत्री बनाने को तरजीह दी. पार्टी सूत्रों ने बताया कि शैलजा, आईजक और अन्य को मंत्रिमंडल में जगह इसलिये नहीं दी गई है क्योंकि वे लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं. सूत्रों ने कहा कि पार्टी संसदीय राजनीति में दूसरी पीढ़ी के नेताओं को तैयार करना और उन्हें मौका देना चाहती है.

गौरतलब है कि विजयन ने छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) को लगातार दूसरी बार जिताकर इतिहास रचा था. राज्य के इतिहास में 40 साल बाद ऐसा हुआ है कि किसी मोर्चे को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिये विधानसभा चुनाव में जीत मिली है.

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