Kerala pwd clerk saved many lives in karnataka through organ donation

बेंगलुरू. केरल के कन्नूर जिले के एक 56 वर्षीय पीडब्ल्यूडी क्लर्क रमेश के.वी. को मंगलुरु के एक निजी अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित किया गया था. उनके अंगदान से कर्नाटक में पांच मरीजों को नया जीवन मिला है. रमेश के परिवार ने केरल पुलिस से मंगलुरु में कानूनी पड़ताल करने का अनुरोध करके उनकी अंतिम इच्छा को पूरा करने के रास्ते से सभी अड़चनों को हटाने को कह दिया है. अंगदाता रमेश के.वी. को 13 फरवरी को कन्नूर में चिराक्कल रेलवे स्टेशन के पास राहगीरों ने बेहोशी की हालत में पाया था. उनके परिवार के अनुसार रमेश किराने का सामान खरीदने के लिए अपनी साइकिल पर बाहर जाते समय गिर गए थे.
अंग दान की सुविधा देने वाले कर्नाटक के राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (State Organ and Tissue Transplant Organisation-SOTTO) जीवसार्थकथे (Jeevasarthakathe) ने बताया कि रमेश को शुरू में कन्नूर के सरकारी जिला अस्पताल में और बाद में विशेष इलाज के लिए मंगलुरु के न्यूरो अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने उनको ब्रेन डेड घोषणा किया. रमेश को 18 फरवरी को मंगलुरु के अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित किया गया.
जीवसार्थकथे के मुख्य प्रत्यारोपण समन्वयक लिजामोल जोसेफ ने बताया कि परिवार समय पर अंगदान सुनिश्चित करने के लिए तैयार हो गया. कर्नाटक के अंग दान प्रोटोकॉल केरल से अलग हैं, इसलिए परिवार ने केरल पुलिस को जांच के लिए मंगलुरु आने को कहा ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि अंगों को जल्द से जल्द निकाला जा सके. रमेश के परिवार ने सभी अंगों के दान के लिए सहमति दी है. बेंगलुरू के इन्फैंट्री रोड स्थित स्पर्श अस्पताल को जहां लीवर दिया गया है, वहीं दाहिनी किडनी उडुपी के केएमसी मणिपाल अस्पताल में गई है. बाईं किडनी को ए.जे. अस्पताल को दे दिया गया, जहां उसे निकाला गया. कॉर्निया केएमसी मणिपाल आई बैंक को दान कर दिया गया.
अंग दान करने वाले रमेश के बड़े बेटे सिद्धार्थ रमेश ने मीडिया को बताया कि अंगदान करना उनके पिता की इच्छा थी. लगभग 10 साल पहले जब मेरे नाना का निधन हो गया था और उन्होंने अपनी आंखें दान कर दी थीं. उससे प्रभावित होकर मेरे पिता ने अपने अंगों को दान करने की इच्छा जताई थी. उन्होंने मुझे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद अंगदान करके अधिक से अधिक लोगों की जान बचाई जाए. हमें खुशी है कि हम उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए जो संभव हुआ, वह कर सके.
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