You can send your two-wheeler from one city to another by train, know how| ट्रेन से एक शहर से दूसरे शहर भेज सकते हैं अपना टू-व्हीलर, जानिए कैसे?


अपने शहर में अपने टू-व्हीलर पर घूमना कितना सुखद होता है न? न किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पकड़ने का झंझट और न ही कहीं देर से पहुंचने की चिंता! पर जब भी हम किसी जॉब या स्टडी के चक्कर में अपना शहर बदलते हैं, तब हमारा वो टू-व्हीलर बाइक होमटाउन में पड़े-पड़े धूल खाने लगता है और इधर हमें भी बस, मेट्रो, रिक्शा में धक्के खाने पड़ते हैं। लेकिन अपने टू-व्हीलर को ट्रेन के द्वारा पूरे भारत में कहीं भी लाया जा सकता है, वो भी बहुत कम कीमत पर! आइए जानते हैं कैसे –
अपने वाहन को ट्रेन से भेजने के लिए आपको उसकी बिल्टी करानी होती है। ये एक सिम्पल सी प्रक्रिया है जिसे आप रेलवे के बुकिंग काउन्टर के पास घूमते एजेंट की मदद से भी करा सकते हैं और चाहें तो खुद भी मिनट्स में अपनी बिल्टी तैयार करवा सकते हैं।
जानिए क्या है प्रोसेस
बुकिंग काउंटर पर पहुंचकर आपको एक फॉर्म भरना होता है जिसमें आपके वाहन की पूरी जानकारी चाहिए होती है। ये फॉर्म जमा करवाने के बाद, और एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन की दूरी के आधार पर बिल्टी अमाउन्ट देने के बाद आपको एक बिल्टी नंबर दिया जाता है। अब अपने टू-व्हीलर का पेट्रोल टैंक खाली करना होता है। यह सेफ्टी के लिए जरूरी होता है। इसके बाद टू-व्हीलर पैक किया जाता है। यह काम आप किसी भी एजेंट या हेल्पर से भी करवा सकते हैं। इस पैकिंग में फ्रंट और सीट को अच्छे से पैक कर उसपर बिल्टी नंबर लिख दिया जाता है।
इसके बाद बेस्ट तो यही रहता है कि आप अपने बाइक या स्कूटर के साथ खुद भी उसी ट्रेन में ट्रैवल करें, लेकिन अगर आप चाहें तो सिर्फ अपने टू-व्हीलर को भी ट्रेन से भेज सकते हैं और ट्रेन के पहुंचने के बाद वही बिल्टी डाक्यूमेंट डेस्टिनेशन रेलवे स्टेशन के बुकिंग काउन्टर पर दिखाकर गेटपास बनवाना होता है।
इस गेटपास से पहले, अपना वाहन जिस प्लेटफॉर्म पर आया है, वहां से रेलवे ऑफिसर की मंजूरी भी लगवानी जरूरी होती है। वह ऑफिसर अपने रजिस्टर में से जब आपके टू-व्हीलर को रिलीज कर देता है, उसके बाद ही आप बुकिंग काउन्टर पर जाकर गेटपास बनवा सकते हैं और अपनी बाइक अपने घर ले जा सकते हैं। ध्यान रखें कि जब भी आप वाहन रीसीव करने पहुंचे, तब एक छोटी सी बॉटल में रिजर्व पेट्रोल जरूर ले जाएं ताकि आपको स्टेशन के बाहर पेट्रोल पंप मिलने से पहले बाइक या स्कूटी को खींचना न पड़े।