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शी जिनपिंग को जब 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ लौटना पड़ा गांव, जानें कैसे माओत्से तुंग के बाद बने ताकतवर नेता

Xi Jinping- India TV Hindi News
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Xi Jinping

Highlights

  • जिनपिंग के पिता झोंगशुन चीन के रह चुके हैं उप प्रधानमंत्री
  • 1974 में सीपीसी से पहली बार जुड़े जिनपिंग
  • 2012 में पहली बार बने चीन के राष्ट्रपति

China President Xi Jinping : चीन में पार्टी के पुराने नियमों को ठिकाने लगाकर लगातार तीसरी बार राष्ट्रपति बने शी जिनपिंग की जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव आए। जब वह मात्र 13 वर्ष के थे तो माओ की सांस्कृतिक क्रांति के दौर में उनके सामने कई मुश्किलें आई और जिनपिंग को स्कूल छोड़कर गांव जाना पड़ गया।


उनके पिता शी झोंगशुन चीन के उप प्रधानमंत्री रहे। हालांकि उन पर कई गलत कार्य करने के आरोप भी लगे थे। इस कारण जिनपिंग को पार्टी में जगह बनाना भी मुश्किल हो रहा था। मगर सबकुछ समय के साथ बदलता गया।

चीन में सत्तारूढ़ ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना’ (सीपीसी) ने जब एक दशक पहले सत्ता के कटु संघर्ष को समाप्त करते हुए पार्टी के नेतृत्व के लिए शी जिनपिंग को चुना था, तो उस समय संभवत: किसी ने नहीं सोचा होगा कि शांत एवं धीर-गंभीर नजर आने वाला यह प्रभावशाली नेता स्वयं को पार्टी संस्थापक माओ जेदोंग के सांचे में ढालकर जीवनपर्यंत देश का नेता बनने की राह पर आगे बढ़ेगा।

पूर्व राष्ट्रपति हु जिंताओ ने पहली बार शी को बनाया था राष्ट्रपति

शी जिनपिंग ने चीन के जिस पूर्व राष्ट्रपति हु जिंताओ को भरी बैठक से बेइज्जत करके बाहर निकलवा दिया, उन्होंने ही पहली बार 2012 में पार्टी गाइडलाइन का पालन करते हुए। शी जिनपिंग को राष्ट्रपति बनाने के लिए सत्ता की चाबी सौंप दी थी। तत्कालीन राष्ट्रपति हु जिंताओ के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए नवंबर 2012 में सीपीसी के 18वें महासम्मेलन (कांग्रेस) में तत्कालीन उपराष्ट्रपति शी चिनफिंग और शिष्ट एवं बुद्धिजीवी उप प्रधानमंत्री ली क्विंग के बीच मुकाबला था। इस मुकाबले में शी की जीत हुई, जिसके बाद ली के समर्थक हु जिंताओ ने सभी पूर्व राष्ट्रपतियों की तरह पार्टी के पुराने नियम का पालन करते हुए शी को शांति से सत्ता सौंप दी।

शी के पिता माओ के दौर में थे प्रभावशाली नेता

शी के पिता माओ दौर के पूर्व प्रभावशाली नेता थे। किसी समय शी के प्रतिद्वंद्वी रहे ली प्रधानमंत्री के रूप में देश के दूसरे नंबर के नेता बने और उन्होंने भी शी का समर्थन किया, जिसके बाद पार्टी और देश के नेता के रूप में शी को चुनौती देने वाला कोई नहीं बचा। दस साल तक सत्ता में रहे शी की पुराने नियम के अनुसार बीजिंग में हुए 20वें महासम्मेलन (कांग्रेस) में अपने उत्तराधिकारी को सत्ता सौंपने की बारी थी, लेकिन सीपीसी ने सत्ता बदलाव को लेकर अपने पुराने नियम को ही बदल दिया और शी को रिकॉर्ड तीसरी बार सीपीसी का महासचिव चुना। सत्ता संभालने के बाद पहले दिन से, शी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक क्रूर अभियान चलाया, जिसकी मदद से वे आम लोगों के बीच लोकप्रिय हुए और उन्हें अपने राजनीतिक विरोधियों, विशेष रूप से शीर्ष जनरलों को व्यवस्थित रूप से बाहर निकालने में मदद मिली।

बचपने में शी ने झेली कई मुश्किलें

पिछले एक दशक में शी चिनफिंग के कद के उल्लेखनीय रूप से ऊंचे होने का मुख्य कारण उनका ‘‘भ्रष्टाचार विरोधी अभियान’’ है। वर्ष 1953 में जन्मे शी ने कई कम्युनिस्ट नेताओं के विपरीत, अपने पिता शी झोंगशुन के कारण सत्ता को नजदीक से देखा। माओ ने क्रांतिकारी नेता झोंगशुन को प्रचार और शिक्षा मंत्री नियुक्त किया था। शी जब छोटे थे, तो उन्हें और उनके परिवार को उस समय मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा, जब उनके पिता को उनके उदार विचारों के कारण माओ ने परेशान किया। ऐसा बताया जाता है कि शी ने अपना बचपन बीजिंग में पार्टी नेतृत्व के आधिकारिक आवासीय परिसर झोंगनानहाई में माओ के करीब बिताया। शी के पिता और माओ के बीच मतभेद पैदा होने और झोंगशुन को निर्वासित किए जाने के बाद शी के सभी विशेषाधिकार छिन गए।

1974 में सीपीसी में शामिल हुए जिनपिंग, फिर लोक गायक से कर ली शादी

शी बार-बार कोशिश करने के बाद 1974 में सीपीसी में शामिल होने में सफल हो गए। कई साल बाद शी के हवाले से बताया गया कि उनके पिता के ‘‘गलत कार्यों’’ के कारण उन्हें सीपीसी में शामिल होने से रोकने से प्रयास किए गए। सरकारी समाचार एजेंसी शिंहुआ ने एक लेख में बताया था कि करीब 38 साल पार्टी में विभिन्न पदों पर रहने के बाद शी शीर्ष पद पर पहुंचे। शी ने 1975 से 1979 तक बीजिंग के प्रतिष्ठित शिंहुआ विश्वविद्यालय में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। चीन के लोगों का मानना है कि सत्ता पर शी के बने रहने से नए युग की शुरुआत हुई है, जिसे ‘शी युग’ कहा जाता है।

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