AIBEA said If foreign exchange reserves not controlled then India situation may be like Sri Lanka-अगर नहीं थामा गया घटता विदेशी मुद्रा भंडार, तो श्रीलंका जैसी हो सकती है भारत की स्थिति, AIBEA ने जताई


AIBEA: भारत के घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर चिंता जताते हुए अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि अगर इस समस्या की अनदेखी की जाती रही, तो आगे चलकर देश को पड़ोसी श्रीलंका जैसे भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने इंदौर में संगठन की केंद्रीय समिति की बैठक के बाद कहा, ‘‘सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है। हमारा आयात लगातार बढ़ रहा है, जबकि निर्यात घटता जा रहा है।’’
वेंकटचलम ने कहा,‘‘अगर हम विदेशी मुद्रा भंडार घटने की समस्या की यूं ही अनदेखी करते रहे, तो वह दिन दूर नहीं, जब हमें श्रीलंका जैसे बुरे आर्थिक हालात का सामना करना पड़ सकता है।’’ वेंकटचलम ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि सरकार सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (MSME) के संकटग्रस्त क्षेत्र की मदद करे ताकि आयात पर निर्भरता घटे और निर्यात को गति मिल सके।
पब्लिक सैक्टर बैंकों के निजीकरण जताया विरोध
AIBEA महासचिव ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार के ‘मंसूबों’ पर विरोध जताते हुए कहा, ‘‘अगर सरकारी बैंकों का निजीकरण हो गया, तो न केवल जनता की बचत खतरे में आ सकती है, बल्कि ग्रामीणों, किसानों, एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों और महिलाओं को कर्ज लेने में भारी परेशानी भी होगी।’’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की राह आसान करने के लिए सरकार संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश कर सकती है।
अगर ऐसा किया तो करेंगे हड़ताल
वेंकटचलम ने चेतावनी दी कि अगर ऐसा कोई विधेयक पेश किया गया, तो सरकारी, निजी, सहकारी और अन्य क्षेत्रों के बैंकों के कर्मचारियों की नुमाइंदगी करने वाला एआईबीईए तत्काल हड़ताल पर चला जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी बैंक कार्यबल की गंभीर कमी से जूझ रहे हैं और पर्याप्त तादाद में नयी भर्तियां करके इस कमी को जल्द दूर नहीं किया गया, तो एआईबीईए को हड़ताल पर जाने को मजबूर होना पड़ेगा।