हिजाब पर SC में बहसः तुषार मेहता बोले- वेदशाला-पाठशाला में धोती पहन सकते हैं, सेक्युलर शिक्षा संस्थानों में नहीं

नई दिल्ली. हिजाब मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार बहस जारी है. हिजाब को लेकर कई तरह की दलीलें रखी गईं. सुनवाई के दौरान मंगलवार को ईरान का जिक्र हुआ. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील रखी कि इस्लाम की शुरुआत से हिजाब नहीं था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कहते हैं कि वेदशाला और पाठशाला में धोती वगैरह पहन सकते हैं, लेकिन धर्मनिरपेक्ष शिक्षा संस्थानों में धार्मिक पहचान दिखाने वाली पोशाक नहीं हो सकती. सुप्रीम कोर्ट की बेंच कल कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगी, जिसने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर रोक को बरकरार रखा था.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस दौरान कहा कि मान लीजिए कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया कल ‘तिलक‘ पर रोक लगाती है, तो इसे तब तक जाना होगा जब तक हम यह नहीं दिखा सकते कि यह एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है, जो कि नहीं है.जब जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि कुछ विद्वानों ने कहा कि मूल शब्द ‘खिमर‘ था और पर्शियन टेक्स्ट में यह हिजाब हो गया. इस पर एसजी ने कहा कि मैंने कुरान नहीं पढ़ी है मगर केवल कुरान में जिक्र होने भर से हिजाब इस्लाम की जरूरी परंपरा नहीं बन जाएगा.
हिजाब के खिलाफ बस में ईरान का आया जिक्र
मेहता ने कुछ देर बाद कहा कि कई संवैधानिक इस्लामिक देशों में महिलाएं हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं. इसपर जस्टिस धूलिया ने पूछा कि कौन से देशों में? एसजी ने जवाब दिया- ईरान. तो यह एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है. कुरान में जिक्र से ही यह जरूरी नहीं हो जाता. इसकी इजाजत हो सकती है या यह आदर्श परंपरा हो सकती है. इसके बाद एसजी ने जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच के सामने अमेरिकी अदालतों के कुछ फैसलों का जिक्र किया.
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Tags: Hijab controversy, New Delhi news, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : September 20, 2022, 16:24 IST