William Ruto sworn in as Kenya president, Raila Odinga lost it again | केन्या में राष्ट्रपति पद के लिए हुई कांटे की टक्कर, विलियम रूटो ने मारी बाजी
Highlights
- रूटो ने 9 अगस्त को हुए चुनाव में रैला ओडिंगा को मामूली अंतर से हराया।
- प्रधानमंत्री रहे ओडिंगा ने चुनावों में धांधली का आरोप कई बार लगाया है।
- विलियम रूटो का शपथ ग्रहण समारोह एक स्टेडियम में आयोजित किया गया।
नैरोबी: पिछले कुछ सालों से राजनीतिक अस्थिरता झेल रहे अफ्रीकी देश केन्या में 9 अगस्त को हुए चुनाव में बहुत कम अंतर से जीत हासिल करने वाले विलियम रूटो ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली। रूटो ने 9 अगस्त को हुए चुनाव में लंबे समय से विपक्ष के नेता रहे रैला ओडिंगा को मामूली अंतर से हराया। ओडिंगा इस देश में बहुत ही लोकप्रिय नेता हैं और उन्होंने 5 बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ा है और हर बार उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा है। 2008 से 2013 तक केन्या के प्रधानमंत्री रहे ओडिंगा ने चुनावों में धांधली का आरोप भी कई बार लगाया है।
शपथ समारोह में उमड़ी भारी भीड़
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते आधिकारिक परिणामों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। रूटो निवर्तमान राष्ट्रपति उहुरू केन्याट्टा के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रहे थे लेकिन बाद में दोनों में तकरार हो गई और उन्होंने महीनों तक बात नहीं की। मंगलवार को दोनों ने जब हाथ मिलाया तो वहां मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर खुशी जताई। विलियम रूटो का शपथ ग्रहण समारोह एक स्टेडियम में आयोजित किया गया जिसमें भारी भीड़ उमड़ी।
रैला ओडिंगा को इस बार भी हार ही मिली।
बाड़ टूटने से 100 लोग हुए घायल
मंगलवार को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोगों ने जबरन स्टेडियम में घुसने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोका और काफी लोग घायल हो गये। डॉक्टर पीटर मुइरुरी ने कहा कि लोगों के धक्का देने पर नैरोबी स्टेडियम की बाड़ टूट गयी और करीब 60 लोग घायल हो गये। उन्होंने बताया कि इस संख्या में इजाफा भी हो सकता है, हालांकि किसी की मौत की खबर नहीं है कुछ लोगों ने सुरक्षाकर्मियों को धक्का देकर घुसने की भी कोशिश की लेकिन नाकाम रहे।
बाड़ टूटने से मची भगदड़ में दर्जनों लोग घायल हो गए।
अगस्त में हुआ चुनाव रहा था शांतिपूर्ण
एक चश्मदीद ने कहा, ‘मैंने अंदर घुसने की कोशिश की तो पुलिस ने मुझे पीटा।’ रूटो ऐसे समय में सत्ता संभाल रहे हैं जब देश कर्ज में डूबा है और उनके सामने केन्या के गरीब लोगों से किये गये चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती होगी। राजनीतिक हिंसा के इतिहास वाले देश में अगस्त का चुनाव शांतिपूर्ण रहा था। केवल अंतिम मिनटों में ही अराजकता फैली जब चुनाव आयोग सार्वजनिक रूप से बंट गया और ओडिंगा के समर्थकों ने रूटो को विजेता घोषित करने से रोकने की कोशिश की।