अंतरराष्ट्रीय निरक्षरता दिवस कब होता है, जानें भारत और चीन में क्या है साक्षरता की स्थिति
Highlights
- चीन में पहले 80 फीसद लोग थे बिलकुल निरक्षर
- भारत की साक्षरता दर में एक दशक में करीब 10 अंकों का उछाल
- चीन में साक्षरता दर 95.2 के उच्च स्तर तक पहुंची
International Illiteracy Day: क्या आप जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय निरक्षरता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है…? यदि नहीं जानते तो आइए हम आपको बताते हैं। पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय निरक्षरता दिवस 08 सितंबर को होता है। 17 नवंबर 1965 को आयोजित यूनेस्को की 14वीं महासभा में इस दिवस की स्थापना की गयी। इसे स्थापना करने का उद्देश्य दुनिया भर के देशों और संबंधित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को निरक्षरता की स्थिति पर ध्यान देने के लिए प्रेरित करना, प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को बढ़ावा देना और प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार करना है। ताकि स्कूली उम्र के बच्चे स्कूल जाने और अक्षरों को पढ़ने-लिखने में सक्षम हो सकें।
चीन में पहले थे 80 फीसद निरक्षर लोग
इस पक्ष में चीन ने शिक्षा का छलांग लगाने वाला विकास किया है। चीनी शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में चीन में शिक्षा का प्रचार-प्रसार स्तर विश्व के मध्य और ऊपरी स्तर पर जा पहुंचा है। जबकि चीन लोक गणराज्य की स्थापना की शुरुआत में पूरे देश में 80 प्रतिशत से अधिक लोग निरक्षर थे। पर वर्ष 2020 तक चीन में नौ वर्षीय नि:शुल्क शिक्षा की समेकन दर 95.2 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। उन आंकड़ों से यह जाहिर हुआ है कि नये चीन की स्थापना के 70 से अधिक वर्षों में चीन के विज्ञान, तकनीक और शिक्षा कार्य में निरंतर विकास हुआ है। शिक्षा का प्रचार-प्रसार स्तर धीरे धीरे उन्नत हो रहा है। विज्ञान और तकनीक में सृजन की क्षमता लगातार मजबूत हो रही है। सुयोग्य व्यक्तियों की टीम दिन-ब-दिन शक्तिशाली बनती जा रही है। ये सभी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास को मजबूत कर रहे हैं।
इसलिए चीन में हुआ क्रांतिकारी बदलाव
चीन लगातार बुनियादी शिक्षा पर ध्यान देता है। पूर्व स्कूली शिक्षा का तेज विकास हो रहा है। सार्वजनिक बालवाड़ियों और सार्वजनिक बालवाड़ियों जैसे सेवा देने वाले निजी बालवाड़ियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनिवार्य शिक्षा एक ऊंचे स्तर पर है। उधर शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अनिवार्य शिक्षा के अंतर को कम करने के लिये, और ग्रामीण बच्चों को भी निष्पक्ष और अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा देने के लिये चीन ने व्यापक रूप से गरीब क्षेत्रों में अनिवार्य शिक्षा में सुधार कार्य किया। इसलिए चीन ने शिक्षा के क्षेत्र में अब बड़ा मुकाम हासिल करते हुए अपने देश में इसका स्तर 95 फीसद के ऊपर पहुंचा दिया।
उन उपलब्धियों के पीछे सुधार और खुलेपन के बाद चीन ने शिक्षा पर खूब पूंजी-निवेश लगाया है। हर साल इस रकम में 17.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चीन जनता से संतुष्ट शिक्षा पर कायम रहता है, शिक्षा की निष्पक्षता को मजबूत करने और शिक्षा की गुणवत्ता को उन्नत करने पर ध्यान देता है। शिक्षा ढांचे का समायोजन और सुधार किये जाने के बाद विभिन्न स्तरीय और विभिन्न किस्मों वाली शिक्षा में जबरदस्त विकास हुआ है।
भारत में ये है शिक्षा का स्तर
वर्ष 2022 में भारतीय राष्ट्रीय सर्वेक्षण के रिपोर्ट के अनुसार साक्षरता दर 77.7 फीसद हो चुकी है। मोटे तौर पर पिछले एक दशक में साक्षरता दर में करीब 10 फीसद की वृद्धि हुई है, लेकिन भारत शिक्षा के मामले में अभी भी चीन से बहुत पीछे है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार चीन से भारत 17.5 फीसद पीछे है। क्योंकि चीन की मौजूदा शिक्षा दर 95.2 तक पहुंच गई है। अब चीन 100 फीसद साक्षरता हासिल करने के बेहद करीब है। जबकि पहले चीन में 80 फीसद जनता निरक्षर थी।