Russia Ukraine War News : Russian neighbours challenging Russian dominance Will Putin attack Finland-Sweden too


Vladimir Putin
Russia Ukraine War News : यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद उसके पड़ोसी यूरोपीय देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं भविष्य में उनका भी हश्र यूक्रेन जैसा न हो जाए और उन्हें भी एक विनाशकारी युद्ध का सामना न करना पड़े। यही वजह है कि वे समय रहते अपने लिए एक सुरक्षा कवच चाहते हैं। और उन्हें लगता है कि NATO में शामिल होने से उन्हें एक सुरक्षा कवच मिल जाएगा। यही वजह है कि फिनलैंड और स्वीडन जैसे रूस के पड़ोसी मुल्कों ने NATO में शामिल होने की इच्छा जताई है और वे जल्द इस संबंध में अर्जी भी देने वाले हैं।
फिनलैंड और स्वीडन की ओर से NATO में शामिल होने की इच्छा जाहिर करने के बाद रूस ने अपने तेवर सख्त कर लिया है और इस संबंध दोनों देशों को चेतावनी भी दी है। रूस की तरफ से यह कहा गया कि फिनलैंड और स्वीडन के NATO में शामिल होने से यूरोप की सुरक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होगा। यह गठबंधन टकराव के लिए बना एक हथियार है। NATO का और ज्यादा विस्तार यूरोप महाद्वीप में स्थिरता नहीं लाएगा।
वहीं द टाइम्स अखबार का दावा है कि फिनलैंड और स्वीडन और इस साल गर्मियों तक NATO में शामिल हो सकते हैं। अगर ये दोनों देश NATO में शामिल होते हैं तो इस सैन्य संगठन के कुल देशों की संख्या 32 हो जाएगी और NATO की ताकत में और इजाफा होगा। रूस के आसपास नाटो देशों की ताकत बढ़ जाएगी और अपने पड़ोसी मुल्कों पर रूस के प्रभाव में कमी आएगी।
रूस कभी नहीं चाहता उसके पड़ोस में अमेरिका की सहयोगी शक्तियों का विस्तार हो। यही वजह है कि वह यूक्रेन के NATO में शामिल होने का लगातार विरोध करता रहा और जब यूक्रेन ने उसकी बात नहीं मानी तो रूस ने हमला कर दिया। हालांकि रूस अभी तक इस युद्ध में कुछ खास हासिल नहीं कर पाया है लेकिन उसके खिलाफ पड़ोसी यूरोपीय देशों की ताकतें लामबंद हो रही हैं। रूस से खतरे को भांपते हुए ये देश जल्द से जल्द नाटो की सदस्यता ग्रहण कर लेना चाहते हैं। चूंकि अभी रूस पूरी तरह से यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है इसलिए वह नाटो में शामिल होने वाले इन देशों के लिए तुरंत कोई बड़ा खतरा पैदा नहीं कर सकता है।
फिनलैंड की प्रधानमंत्री साना मारिन यह कह चुकी हैं अब समय आ गया है कि फिनलैंड अपने न्यूट्रल रुख में बदलाव करे। उन्होंने कहा कि रूस वह पड़ोसी देश नहीं है जो हमने सोचा था। इसलिए जून में फिनलैंड के नाटो में शामिल होने पर फैसला कर लिया जाएगा। उधर यूक्रेन पर रूस के हमले से नाराज स्वीडन की सत्तारूढ़ पार्टी नाटो में शामिल होने की इच्छा जता चुकी है। इसके लिए वहां बहस की शुरुआत हो चुकी है।
स्वीडन और फिनलैंड के इस कदम से रूस की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। हालांकि उसने अपनी तरफ से दोनों देशों को चेतावनी दी है लेकिन अब यह देखना है कि रूस की चेतावनी का इन देशों पर कोई असर होता है या नहीं।