Rataul Mango: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रटौल आम को मिली वैश्विक पहचान, खुशबू के मुरीद थे इंदिरा-अटल

मेरठ. कहते हैं कि आम सभी फलों का राजा है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आमों का राजा जिसे कहा जाता है उसका नाम है रटौल. अब आम की इस वैरायटी को ग्लोबल पहचान मिल गई है. इस आम की वजह से अब बागपत के रटौल गांव के चर्चे सात समंदर पार भी हो गए हैं. बता दें कि बागपत के रटौल गांव में आम की खुशबू को मिली वैश्विक पहचान मिल गई है. आम की इस वैरायटी को अब जियोग्राफिकल टैग मिल गया है.
मेरठ मण्डल के उप निदेशक उद्यान डॉक्टर विनीत कुमार ने बताया कि रटौल आम सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान में (बागपत) ही पाया जाता है. इसलिए आम की इस वैरायटी को जीआई टैग दिया गया है. वह कहते हैं कि वेस्ट यूपी के मेरठ का माछरा और जानी आम के लिए विख्यात है. साथ ही बुलंदशहर का स्याना भी आम के लिए जाना जाता है, लेकिन बागपत के रटौल आम की बात निराली है. वो कहते हैं कि इस बार आम का फूल बहुत अच्छा आया है, इसलिए इस बार आम की रिकॉर्ड पैदावार हो सकती है. उन्होंने बताया कि निर्यात की संभावनाओं को लेकर किसान भाईयों को लगातार जानकारी दी जा रही है.
निराली है रटौला आम की कहानी
वैसे इस आम की निराली कहानी भी है. वैश्विक पहचान रखने वाले वेस्ट यूपी के रटौल आम की जड़ें तो हिन्दुस्तान में हैं, लेकिन बंटवारे के वक्त कुछ पौधे यहां से ले जाने वाले पाकिस्तानी यदा कदा इसे अपने यहां अनवरी रटौल के तौर पर बताते हैं. भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इस आम के मुरीद थे. जानकार बताते हैं कि इंदिरा गांधी को इस आम की खुशबू बहुत पसंद आती थी. कहानी कुछ ऐसी है कि एक बार इंदिरा गांधी अपने प्रधानमंत्री काल में पाकिस्तान गईं तो उन्हें रटौल आम खिलाया गया. बताया गया कि ये वैरायटी पाकिस्तान की है, लेकिन इंदिरा गांधी को जब बाद में मालूम चला कि जिस आम को पाकिस्तानी अपना बता रहे हैं दरअसल उसकी जड़ें हिन्दुस्तान में है तो वो सिर्फ मुस्कुरा दीं. वेस्ट यूपी के कई इलाकों में रटौल आम की खेती खूब होती है. इस आम से लोग दिली मोहब्बत करते हैं, कई किसान तो ऐसे हैं जो सिर्फ निशानी के तौर पर इसे अपने बाग में लगाते हैं.

रटौल आम पर पाकिस्तान भी अपना दावा ठोकता रहा है.
देश-विदेश में आम के चर्चे
रटौल आम का साइज छोटा जरूर है, लेकिन मिठास और खुशबू ऐसी है कि भुलाए नहीं भूलती. जानकार बताते हैं कि वर्ष 1936-40 के आस पास रटौल निवासी मोहम्मद आफाक और हाजी बदरूदीन रटौल नाम की प्रजाति का पौधा लेकर पंजाब गए थे. बंटवारे के समय कुछ लोग इसी पौधे को लेकर पाकिस्तान चले गए. इसके बाद पाकिस्तान भी इस प्रजाति पर समय-समय पर दावा करता रहता है. बागपत के रटौल गांव में एक दौर ऐसा भी हुआ जब आम की दावत खाने के लिए देश के दिग्गज लोग आते थे. अभिनेता फारूख शेख, बलराम जाखड़, मुलायम सिंह यादव, अजीत सिंह समेत अन्य दिग्गज यहां आते रहे. इसके अलावा गांव से दिल्ली में प्रधानमंत्री को भी रटौल का आम भिजवाया जाता था. कह सकते हैं कि रटौल आम हिन्दुस्तान की शान है.
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