बेअंत सिंह के हत्यारे राजोआना की रिहाई पर कांग्रेस दो-फाड़, मनीष तिवारी ने की सजा घटाने की मांग

नई दिल्ली. पंजाब में कांग्रेस पार्टी के अंदर अब पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के गुनहगार बलवंत सिंह राजोआना की रिहाई को लेकर मतभेद हो गए हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने राजोआना की जेल से रिहाई की मांग की है. इससे पहले, पंजाब से ही कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने राजोआना की रिहाई की मांग पर कड़ा विरोध जताया था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राजोआना की माफी पर 30 अप्रैल तक फैसला लेने का समय दे रखा है.
आनंदपुर साहिब से कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बुधवार को बलवंत सिंह राजोआना को लेकर कहा कि आतंकवाद से पीड़ित होने के नाते मैं अपने सहयोगी रवनीत बिट्टू का दर्द समझता हूं, लेकिन एक वकील और पंजाब के सांसद के रूप में मेरा विचार है कि अब हमें आगे बढ़ना चाहिए. राजोआना 26 साल जेल की सजा काट चुका है. वह 2007 से मौत की सजा का सामना कर रहा है. ऐसे में उसकी फांसी को उम्रकैद में बदलने का समय आ गया है. उन्होंने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 432 को लागू करते हुए राजोआना को जेल से रिहा किया जाना चाहिए. कानून के हिसाब से अपराधी के सुधार पर जोर दिया जाना चाहिए, न कि बदला लेने पर.
इससे पहले, बेअंत सिंह के पोते और लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर राजोआना को राहत न देने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा था कि राजोआना को रिहाई दी गई तो पंजाब के भविष्य पर विनाशकारी असर पड़ सकता है. बिट्टू ने पत्र में लिखा था कि एक मुख्यमंत्री के हत्यारे को क्षमादान देने का कोई भी फैसला बहुत ही गलत संदेश देगा. यह देश के दुश्मनों को हमारी मातृभूमि के खिलाफ भयावह साजिशों को अंजाम देने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
रवनीत बिट्टू का ये पत्र शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के उस लेटर के बाद आया था, जिसमें बादल ने पीएम मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने और राजोआना की जल्द रिहाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया था. बादल ने कहा था कि पीएम मोदी खुद 2019 में गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व की पूर्व संध्या पर उन 8 सिख कैदियों की रिहाई की बात कह चुके हैं, जिन्होंने आजीवन कारावास के बराबर जेल की सजा काट ली है.
याद दिला दें कि 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर विस्फोट में पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य की मौत हो गई थी. इस मामले में बलवंत सिंह राजोआना को मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. एशियानेट के मुताबिक, सितंबर 2019 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय लिया था, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. इसके दो साल बाद राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके सरकार को इस निर्णय पर अमल का आदेश देने की गुहार लगाई थी. इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 30 अप्रैल तक राजोआना की रिहाई पर फैसला लेने का निर्देश दिया.
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