गेहूं किसानों के लिए बंपर मुनाफे का साल, रिकॉर्ड पैदावार के साथ मिल रही MSP से ज्यादा कीमत Year of bumper profits for wheat farmers, getting higher price than MSP with record yield


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Highlights
- मंडी में गेहूं की कीमत 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंची
- भारत में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,015 रुपए प्रति क्विंटल
- इस साल गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान
नई दिल्ली। इस साल गेहूं की बंपर पैदावार हो रही है। वहीं, दूसरी ओर रूस-यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से गेहूं की मांग विदेशों में बढ़ गई है। दुनिया में मांग बढ़ने से भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ा है। इससे मंडियों में किसानों को MSP से ज्यादा कीमत पर गेहूं बिक रहा है। अच्छी कीमत पर फसल बिकने से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह सुस्त पड़ी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का काम करेगी। किसानों के हाथ में पैसा आने से ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज करने का काम करेगा।
गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार होने की उम्मीद
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान है। यह पिछले पांच वर्षों के 103.88 मिलियन टन औसत उत्पादन की तुलना में 7.44 मिलियन टन अधिक है। हालांकि, जलवायु में हालिया बदलाव प्रमुख उत्पादक राज्यों के कुछ हिस्सों में पैदावार को प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर बहुत ही कम होगा। गेहूं की पैदावार पर फर्क देखने को नहीं मिलेगा।
एमएसपी से ज्यादा मिल रही कीमत
भोपाल की करोंद अनाज मंडी में गेहूं की कीमत इस समय 2200 रुपये प्रति क्विंटल से 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। वहीं, अच्छी क्वालिटी के गेहूं 3,000 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहे हैं। मतलब सरकारी दर से (एमएसपी) से 985 रुपये ज्यादा। भारत में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल है। देश की दूसरी मंडियों में भी गेहूं की कीमत बढ़ रही है। मध्य प्रदेश की खंडवा, हरदा जैसी मंडियों में भी गेहूं की कीमत एमएसपी से ऊपर चल रही है।
किसान और व्यापारियों के लिए सही समय
कृषि निर्यात मामलों के जानकारों का कहना है कि सरकार अगर निर्यात मामलों को लेकर सजग हो जाए तो से किसानों के साथ-साथ निर्यातकों के लिए भी यह अच्छा समय है। ग्लोबल मार्केट में अप्रैल-मई तक गेहूं की मांग बनी रहेगी। ऐसे में आने वाला दो-तीन महीना भारत के निर्यात के लिहाज से महत्वपूर्ण है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस बार भारत से गेहूं का निर्यात 70 लाख टन के स्तर को पार कर सकता है। इस बार इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, हरदा, छिंदवाड़ा, दतिया से बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, यूएई, वियतनाम जैसे देशों को बंपर निर्यात किया जा रहा है। वहीं भोपाल, गुना, टीकमगढ़, मुरैना, ग्वालियर और अन्य जिलों से मिस्त्र, फिलीपींस, जिंबाब्वे और तंजानिया को भारी मात्रा में गेहूं का निर्यात करने की संभावना है।