ट्रेन से एक पशु के कटने पर रेलवे को होता है करोड़ों का नुकसान, आखिर क्यों पड़ता है इतना बोझ?

नई दिल्ली. आम इंसान के लिए ट्रेन से एक पशु (Cattle) के कटने की घटना बेशक बहुत ही आम होती है. लेकिन भारतीय रेलवे (Indian Railway) से पूछें तो यह मामूली सी दिखने वाली घटना उसे करोड़ों रुपये की चपत लगा देती है.
दरअसल, 18 अप्रैल की रात पंजाब में एक मालगाड़ी के कई डिब्बे इसलिए पलट गए क्योंकि उसके सामने छुट्टा जानवरों का झुंड आ गया था. पैसेंजर ट्रेन (Passenger Train) और गुड्स ट्रेन से जानवर कटने का खर्च अलग-अलग है. दो-तीन साल में ट्रेन से पशु कटने की घटनाएं बढ़ गई हैं. इसके चलते 15-15 मिनट तक ट्रेन लेट हो रही हैं. कुछ खास ट्रेन के मामले में लेट होने पर तो रेलवे अपने यात्रियों (Rail Passenger) को भी भुगतान करता है. इतना ही नहीं अगर कोई पैसेंजर बिना वजह चलती हुई ट्रेन में चेन पुलिंग कर दे या फिर प्रदर्शनकारी कहीं पर दो-चार ट्रेन रोक दें इससे भी रेलवे को बड़ा नुकसान होता है.
रेलवे को एक मिनट में 13 से 20 हजार रुपये तक नुकसान
आरटीआई में मिली एक जानकारी के मुताबिक अगर डीजल से चलने वाली पैसेंजर ट्रेन एक मिनट रुकती है तो उससे 20,401 रुपये का नुकसान होता है. वहीं इलेक्ट्रिक ट्रेन को 20,459 रुपये का नुकसान होता है. इसी तरह डीजल से चलने वाली गुड्स ट्रेन को एक मिनट रुकने पर 13,334 रुपये और इलेक्ट्रिक ट्रेन को 13,392 रुपये का नुकसान होता है. यह वो नुकसान है जो सीधे तौर पर रेलवे को होता है. अब ट्रेन में बैठे यात्रियों को कितना नुकसान उठाना पड़ता होगा इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है.
एक ट्रेन के रुकते ही पीछे लग जाती है लाइन
रेलवे से जुड़े जानकारों की मानें तो अगर कहीं पर बिना वजह कोई एक ट्रेन रुक जाती है तो सुरक्षा और ट्रैफिक को देखते हुए पीछे आने वाली दूसरी ट्रेनों को भी रोक दिया जाता है. इस तरह से सिर्फ एक ट्रेन के रुकने पर कई और ट्रेन को भी रोकना पड़ता है. अब ऐसे में अगर वो ट्रेन लेट होती हैं जहां रेलवे हर यात्री को 100-200 रुपये का भुगतान करता है तो नुकसान और बढ़ जाएगा.
कहां, कितने पशु कटे और कितनी ट्रेन लेट हुईं
आरटीआई में मिली जानकारी बताती है कि ट्रेन से पशुओं के कटने की घटनाएं यूपी में बहुत होती हैं. पश्चिम बंगाल के कई इलाकों में भी पशुओं के ट्रेन से कटने की घटनाएं होती हैं. नॉर्थ-ईस्ट में तो ट्रेन से टकराकर हाथी भी मर रहे हैं. अगर रेलवे के मुरादाबाद मंडल की बात करें तो 2016 से लेकर 2019 तक चार साल में 3,090 ट्रेन पशु के कटने के बाद 15 मिनट तक लेट हो गईं थी.
वहीं, आगरा मंडल में 2014-15 से लेकर 2018-19 तक 3360 पशु ट्रेन से कट चुके हैं. दूसरी ओर झांसी में भी करीब 4300 पशु ट्रेन से कटे थे. भोपाल मंडल में करीब 3900 पशु कटे थे. इलाहबाद मंडल की ओर से जारी एक प्रेस नोट के मुताबिक एक अप्रैल 2018 से 30 नवंबर 2018 तक 1685 घटनाएं पशु टकराने की हुईं थीं और एक अप्रैल 2019 से 30 नवंबर 2019 में 2819 घटनाएं पशुओं के ट्रेन से टकराने की हुईं थी. दानापुर मंडल में पशु कटने पर जिन ट्रेनों को 15 मिनट से ज़्यादा रोकना पड़ा उनकी संख्या 5 साल में 600 है और भोपाल मंडल में 603 है.
देश की सड़कों पर घूम रहे हैं 50 लाख छुट्टा गोपशु
हाल ही में पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक 20वीं पशुधन गणना से पता चला है कि 50.21 लाख छुट्टा गोपशु देश की सड़कों पर घूम रहे हैं. इसमें पहले नंबर पर राजस्थान 12.72 लाख तो दूसरे नंबर पर यूपी में 11.84 लाख गोपशु सड़कों पर छुट्टा घूम रहे हैं. आंकड़ों के मताबिक देश के 50 फीसद गोपशु तो सिर्फ यूपी और राजस्थान की सड़कों पर ही घूम रहे हैं. 7 राज्य ऐसे भी हैं जहां सड़कों पर ना के बराबर गोपशु घूम रहे हैं.
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