लगता है कि गुजरात में मोदी-शाह के नाम पर वोट मिलते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं- AAP नेता ने ये क्यों कहा? जानिए

(रूपाश्री नंदा)
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक (Sandip Pathak AAP’s Rajya Sabha Member) को बाहरी दुनिया में शायद कम लोग जानते होंगे. लेकिन, पार्टी के भीतर उनका मान, सम्मान और प्रतिष्ठा बहुत है. उन्होंने ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री ली है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) में प्रोफेसर रह चुके हैं. परदे के पीछे रहते हुए वर्तमान में आप की चुनावी जीतों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. यहां तक कि पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections) में पार्टी की ऐतिहासिक जीत का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है. इसी योगदान के एवज में मिले इनाम के तौर पर पार्टी की ओर से राज्यसभा (Rajya Sabha) में भेजे गए हैं. इसके बाद अब पार्टी ने उन्हें गुजरात में ‘झाड़ू’ (आप का चुनाव चिह्न) फेरने की जिम्मेदारी है और इसकी उन्होंने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. सीएनएन-न्यूज18 (CNN-News18) से खास बातचीत में इसका उन्होंने विस्तार से ब्यौरा दिया है. पेश हैं इस बातचीत के अंश…
अपनी अब तक की यात्रा के बारे में कुछ बताइए
बहुत दिलचस्प यात्रा रही. मैं छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे में पैदा हुआ. मेरे माता-पिता किसान हैँ. हमारे पास अपनी जमीन है. उसे हम ठेके पर लोगों को देते हैं. उनसे खेती कराते हैं. पर्याप्त जमीन है हमारे पास कि हम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में नहीं आते. बल्कि आर्थिक स्थिति अच्छी ही है. हमारे परिवार की प्राथमिक आमदनी खेती-बाड़ी से होती है, जो मेरे माता-पिता, नाते-रिश्तेदार करते हैं. बटाहा कस्बे में हमारी जमीनें हैं. उसी गांव में कक्षा 6वीं तक मेरी पढ़ाई हुई. इसके बाद बिलासपुर आ गया. गांव से सबसे नजदीकी शहर वही है. मेरी मौसी वहां रहती थी. तो, मैं उन्हीं के परिवार के साथ रहने लगा. यानी जब 10 साल के करीब था, तब से मैं अपने माता-पिता, घर-परिवार से दूर रह रहा हूं. बिलासपुर में 7वीं कक्षा से मेरी पढ़ाई शुरू हुई. और मास्टर डिग्री तक पूरी पढ़ाई छत्तीसगढ़ में ही होती रही.
फिर आगे की पढ़ाई के लिए हैदराबाद आ गया. वहां भारतीय रसायन प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) में पढ़ाई की. इसके बाद भारतीय रसायन प्रयोगशाला (NCL) पुणे में. मेरा शोध अध्ययन से जुड़ा करियर यहीं से आगे बढ़ना शुरू हुआ. यहीं से मैंने देश से बाहर जाने की तैयारी शुरू की. इंटरव्यू देना शुरू किए. कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में दाखिला होना मेरे जीवन का बड़ा मील का पत्थर रहा. वहां से मैंने उच्च तापमान वाले सुपरकंडक्टर पदार्थों पर पीएचडी की. फिर और आगे पढ़ने के लिए ऑक्सफोर्ड गया. वहां से अमेरिका की मैसाचुसेट्टस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में पढ़ाने चला गया. पर तभी से भारत लौटने का मन होने लगा, तो वहां से इस्तीफा देकर आईआईटी, दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर जुड़ गया. साथ-साथ आप के लिए भी काम करने लगा.
AAP से कैसे, कब और क्यों जुड़े, केजरीवाल से कैसे मुलाकात हुई?
यह 2016 की बात है. हालांकि ये ऐसा नहीं है कि मैं आप से आकर्षित हुआ और फिर राजनीति में आया. बल्कि मैं राजनीति में आना ही चाहता था. लेकिन यह पता नहीं था कि कहां जाऊं, क्या करूं. तभी मैंने अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को देखा. उन्होंने नई पार्टी बनाई थी. तब मुझे लगा कि उनसे और उनकी नई पार्टी के साथ जुड़ना ज्यादा आसान है. वे भी आईआईटी की पृष्ठभूमि वाले हैं, इससे मैं उनके साथ बेहतर तरीके से संबद्ध हो सकता था और यही हुआ. हम सब ही, उनकी साधारण राजनीतिक शैली को देखकर उनके साथ जुड़े हुए हैं. वे सीधे दिल से दिल की सियासत करते हैं. तो मुझे लगा कि उनसे जुड़ना ही सबसे बढ़िया रहेगा. मैं हमेशा से देश के लिए कुछ करना चाहता था. नीति-निर्माण (Policy Making) में योगदान देना चाहता था. बहुत पहले से यह सोच रखा था. तो जैसे ही इस सोच को मूर्त रूप देने का मौका मिला, आप के साथ साधारण कार्यकर्ता के रूप में जुड़कर मैंने काम शुरू कर दिया.
पंजाब विधानसभा चुनाव के अनुभवों के बारे में कुछ बताइए?
आप में सबसे पहले आशीष खेतान जी के साथ मैंने काम किया. उन्होंने मुझे 2017 में सर्वे करने के लिए पंजाब भेजा. मैं वहीं से उन्हें अपने निष्कर्ष बताया करता था. और जब उस साल पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Elections-2017) के नतीजे आए तो वे निष्कर्ष काफी हद तक सही रहे. तभी आशीष जी ने मेरी मुलाकात चुनाव नतीजों वाले दिन अरविंद जी से कराई और वहां से हम साथ मिलकर काम करने लगे. तब से पंजाब में लगातार काम कर रहे हैं. हमने वहां सबसे पहले गांव-गांव तक मजबूत संगठन खड़ा करने पर ध्यान दिया. वही, आगे चलकर हमारा सबसे बड़ा चुनावी हथियार साबित हुआ. लोगों को उनके गुणों, उनकी विशेषताओं के आधार पर हमने संगठन में शामिल किया. उन्हें आगे बढ़ाया और काम करने का मौका दिया. इससे हमने उनका भरोसा जीता और वे पूरी ताकत से पार्टी को जिताने के लिए जुटे. हमने बहुत संगठित और वैज्ञानिक तरीके से सर्वे किया था. वह भी हमारे लिए बहुत मददगार रहा. यह प्रक्रिया हम लगातार चलाते रहे. लोगों में पहले वहां हमारी ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर चिंताएं थीं. पर जैसे ही भगवंत मान जी के नाम की घोषणा हुई, सब स्पष्ट हो गया.
गुजरात के बारे में बताएं, यहां क्या संभावनाएं हैं आप के लिए?
यहां का चुनाव पंजाब से अलग है. यहां हम पूरी गंभीरता से चुनाव लड़ेंगे. हमारे लिए मैदान मार लेने के पूरे अवसर हैं. हम यहां अपनी सरकार भी बना सकते हैं. हमने यहां भी कुछ सर्वे कराए हैं. उनके नतीजों ने हमारा उत्साह बढ़ाया है. यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार को भी राज्य के खुफिया विभाग से जो सूचनाएं मिली हैं, उनमें तक कहा गया है कि करीब 55 सीटों पर आप की स्थिति बहुत मजबूत है. भाजपा यहां 27 साल से शासन में है. यह बहुत लंबा समय होता है. बाहर से देखने पर लोगों को लगता है कि यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह के नाम पर भाजपा को वोट मिल रहे हैं. जबकि ऐसा नहीं है. राज्य का मुख्यमंत्री, मुद्दे, समस्याएं सब अलग होती हैं. गुजरात यह सब चीजें मौजूद हैं. भ्रष्टाचार चरम पर है. स्कूल, अस्पतालों का ढांचा उसी तरह से हिला हुआ जैसे देश के दूसरे राज्यों में. ऐसी तमाम चीजें हैं, जो हमारे आगे बढ़ने का रास्ता तैयार कर रही हैं. हालांकि, इस वक्त हम अपनी संभावनाओं पर कोई दावा नहीं कर सकते. लेकिन फिर भी इतना कह सकते हैं कि 55 से 58 सीटों पर आप की स्थिति बहुत मजबूत है. आगे जैसे-जैसे हम चुनाव की तरफ बढ़ेंगे यह आंकड़ा भी बढ़ेगा.
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