मानवाधिकार को लेकर अमेरिकी नसीहत पर विदेश मंत्री ने दिया करारा जवाब, कहा-अपने गिरेबान में झांकें अमेरिका

नई दिल्ली. दो दिन पहले ही भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू बैठक हुई है. इस बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी वर्चुअल बैठक हुई. दोनों देशों ने आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई मुद्दों पर बातचीत की. सब कुछ सकारात्मक रहा लेकिन बैठक के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जब प्रेस कांफ्रेंस की तो उन्होंने भारत के लिए ऐसी असहज बातें कर दी जिससे भारत को ठेस पहुंचना लाजिमी था. अब ब्लिंकन के बयान पर भारतीय विदेश मंत्री और मंजे हुए कूटनीतिज्ञ एस जयशंकर ने करारा जवाब दिया है. भारत में मानवाधिकार को लेकर ब्लिंकन ने चिंता जाहिर की थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अमेरिका को लेकर हमारी चिंता भी वैसे ही है.
अमेरिकी लॉबी और वोट बैंक से अमेरिकी नीति संचालित
दरअसल, टू प्लस टू वार्ता के बाद एंटनी ब्लिंकन एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि अमेरिका भारत में हो रहे कुछ हालिया चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर बनाए है जिनमें कुछ सरकारी, पुलिस और जेल अधिकारियों की मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती हुई घटनाएं शामिल हैं. अमेरिका भारत में सरकार, पुलिस और जेल अधिकारियों द्वारा किए जा रहे मानवाधिकार की घटना में वृद्धि पर नजर बनाए हुए है. इस पर अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि द्विपक्षीय वार्ता में इस मुद्दे पर किसी तरह की बातचीत नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि अमेरिका पर खुद ही मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप है. एस जयशंकर ने कहा, निजी हित, लॉबी और वोटबैंक से अमेरिकी स्थिति संचालित हो रही है. इसलिए वहां खुद ही मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे हैं.
अपनी रक्षा के लिए हर जरूरी चीज करेगा
दरअसल, अमेरिका भारत द्वारा यूक्रेन युद्ध में तटस्थ नीति अपनाने के बाद कई मुद्दों पर भारत पर दबाव बनाना चाहता है लेकिन भारत की स्वतंत्र और मजबूत विदेश नीति इस घुड़की आगे झुकता से इनकार करता रहा है. टीओआई की खबर के मुताबिक रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने पर काटसा कानून की धमकी भी दे रहा है. इसके अलावा तेल और गैस खरीदने से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है. विदेश मंत्री ने अपने कूटनीतिक धार से अमेरिका की इस नीति को तार-तार कर दिया. उन्होंने कहा, काटसा अमेरिका का घरेलू कानून है. अमेरिकन हित के खिलाफ लगाए जाने वाले इस कानून को लगाने के लिए वह स्वतंत्र है. यह अमेरिका को तय करना है कि किस पर यह कानून लगाता है. जो कुछ भी इस पर किया जाना है वह अमेरिका की ओर से किया जाना है. विदेश मंत्री परोक्ष रूप से अमेरिका पर हमला करते हुए कहा कि जिसे जो करना है करे भारत प्रतिबंधों की चिंता किए बगैर अपनी सुरक्षा और अपनी रक्षा के लिए जो कुछ भी जरूरी है वह हर हाल में करेगा.
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