EXCLUSIVE : MP में फिर बढ़ा नक्सली टेंशन, छत्तीसगढ़ से लेकर से बालाघाट तक बनाया कॉरिडोर

भोपाल. मध्य प्रदेश के लिए फिर खतरे की घंटी है. नक्सली यहां फिर अपना जाल फैला रहे हैं. नक्सली संगठन विस्तार दलम ने यहां अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. वो डिंडोरी- मंडला होते हुए बालाघाट तक अपना कॉरिडोर बना चुका है. खुफिया इनपुट मिल रहा है कि वो अपने संगठन में युवाओं की भर्ती पर फोकस कर स्लीपर सेल भी बना चुका है. विस्तार दलम साइलेंट मोड पर अपना नेटवर्क मजबूत कर रहा है. चिंता की बात ये है कि कान्हा नेशनल पार्क एरिया में दलम का मूवमेंट तेज हो गया है.
मध्यप्रदेश में फिर नक्सली अपना फन उठाने लगे हैं. इनकी सक्रियता ने एक बार फिर पुलिस की टेंशन बढ़ा दी है. विस्तार दलम का युवाओं की भर्ती पर फोकस है. कई स्लीपर सेल भी तैयार कर ली गयी हैं. नक्सली साइलेंट मोड पर अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहे हैं. यही कारण है कि अब पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस नेटवर्क को ध्वस्त करने की है.
गार्ड की हत्या, रेंजर को धमकी
नक्सल प्रभावित बालाघाट क्षेत्र में 23 मार्च को वनों की रक्षा करने वाले एक ग्रामीण को नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में मार डाला. नक्सलियों ने कान्हा नेशनल पार्क में सक्रिय छह रेंजर को जीपीएस से गश्त नहीं करने के लिए धमकी भरे पत्र बांटे थे. बालाघाट में नक्सली मूवमेंट बढ़ने के बाद अब पुलिस के होश उड़ गए हैं. दूसरे नक्सल प्रभावित जिलों में भी लगातार नयी नक्सली गतिविधियां सामने आ रही हैं. मंडला जिले में भी मूवमेंट से इंकार नहीं किया जा रहा. नक्सली इतनी तेजी से पैर पसार रहे हैं कि उन्होंने छत्तीसगढ़ से घुसपैठ करके डिंडोरी होते हुए मंडला और बालाघाट तक एक कॉरिडोर बना लिया है. इस कॉरिडोर को वो सबसे सुरक्षित रास्ता मान रहे हैं.
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साइलेंट मोड पर नेटवर्क मजबूत
पिछले कुछ साल में नक्सलियों ने नक्सल प्रभावित जिलों में भले ही किसी बड़ी वारदात को अंजाम ना दिया हो लेकिन विस्तार दलम लगातार अपना नेटवर्क फैला और मजबूत कर रहा है.
युवाओं पर फोकस
नक्सलियों का विस्तार दलम युवाओं को अपनी टीम में शामिल करने के लिए अभियान चला रहा है. नक्सल प्रभावित डिंडोरी, बालाघाट, मंडला जिले के फॉरेस्ट क्षेत्र को नक्सलियों ने सबसे सुरक्षित ठिकाना माना है. साइलेंट मोड पर नेटवर्क मजबूत किया जा रहा है. कान्हा नेशनल पार्क एरिया में भी मूवमेंट तेज हुआ है. बालाघाट और मंडला के बाद साल 2021 में नक्सल सूची में डिंडोरी के 3 थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया. नक्सली सक्रियता बढ़ने पर इस पूरे इलाके में हॉक फोर्स के साथ पुलिस ने भी गश्त बढ़ा दी है.
विदेशी सहायता से चल रहा है नक्सलवाद
रिटायर्ड डीजीपी RLS यादव ने कहा नक्सलवाद फॉरेन फंडेड अभियान है. यहां अच्छे मिनरल्स होंगे, वहां पर नक्सली रहते हैं. इससे देश प्रगति करता है. इसलिए नक्सली इन इलाकों पर अपना कब्जा करना चाहते हैं ताकि देश का विकास न हो सके. यह समाज की समस्या नहीं है. यह देश को कमजोर करने का एक सूत्र है. नक्सलवाद का वही मोटिव है जो जम्मू कश्मीर के आतंकियों का है. इसमें भी पाकिस्तान की आईएसआई से फंडिंग होती है. उन्होंने कहा नक्सलियों के आईडियोलॉजी से जुड़े बड़े नक्सली गिरफ्तार हो चुके हैं. जहां सबसे ज्यादा शांति होगी ये वहीं अपना सुरक्षित ठिकाना बनाते हैं. ट्रेनिंग प्रोग्राम चलते हैं. इससे सजग रहने की जरूरत है. यह समस्या खत्म नहीं हुई है. कोई सूचना आती है तो तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए.
साइलेंट मोड पर विस्तार
ये नक्सली कुछ साल तक साइलेंट मोड पर काम करके खुद को मजबूत बनाने में लगे हुए हैं. नेटवर्क बढ़ाने के प्लान पर काम कर रहे हैं. जड़ें मजबूत होने के बाद फिर ये सिर उठाएंगे. इसलिए पुलिस के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है.
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