रिलायंस कैपिटल की बिक्री प्रक्रिया के तरीके को लेकर उभरे ‘मतभेद’, जानिए क्या है वजह Differences emerge between RCap admin, lenders over resolution of Co arms


reliance capital
Highlights
- ऋण समाधान के लिए 25 मार्च तक 54 बोलियां मिली थीं
- बिक्री के लिए अपनाए जाने वाले तरीके को लेकर सहमति नहीं
- नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त किया था RBI ने
नई दिल्ली। कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरसीएल) की ऋण समाधान प्रक्रिया को लेकर रिजर्व बैंक की तरफ से नियुक्त प्रशासक और ऋणदाताओं के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं। सूत्रों ने बताया कि आरसीएल और इसकी अनुषंगी इकाइयों के ऋण समाधान के लिए 25 मार्च तक 54 बोलियां मिली थीं। आरसीएल के लिए रुचि पत्र (ईओआई) भेजने का यह अंतिम दिन था। इनमें से 22 ईओआई आरसीएल के लिए एक कंपनी के तौर पर आए हैं जबकि बाकी बोलियां इसकी आठ अनुषंगियों में से अलग-अलग के लिए लगाई गई हैं। आरसीएल की तरफ से सभी बोलीकर्ताओं के लिए दो विकल्प दिए गए थे। पहले विकल्प में आरसीएल और उसकी अनुषंगियों के लिए बोली लगाई जा सकती थी जबकि दूसरे विकल्प में अनुषंगी कंपनियों के लिए अलग-अलग या जोड़ बनाकर बोली लगाने की सुविधा दी गई थी।
प्रशासक और कर्जदाता बैंकों के बीच मतभेद की ये वजह
आरसीएल की अनुषंगी इकाइयों में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस, रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस एसेट रिकंस्ट्रक्शन और रिलायंस सिक्योरिटीज शामिल हैं। हालांकि, बकाया कर्ज की वसूली के लिए दिवाला प्रक्रिया के संचालन को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक और कर्जदाता बैंकों के बीच मतभेद पैदा होने की खबरें हैं। सूत्रों के मुताबिक, आरसीएल की अनुषंगी इकाइयों और उनकी ऋण समाधान प्रक्रिया को लेकर बैंकों के कानूनी सलाहकारों और प्रशासक के बीच सहमित नहीं बन पाई है। सूत्रों के मुताबिक, इस मतभेद की वजह यह है कि आरसीएल की सभी अनुषंगी इकाइयां लाभ में चल रही हैं और उनके पास पूंजी की भी कोई कमी नहीं है। ऐसी स्थिति में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत इन अनुषंगियों के लिए कोई समाधान योजना नहीं पेश की जा सकती है।
बिक्री के तरीके को लेकर सहमति नहीं
दरअसल, इनमें से कोई भी अनुषंगी किसी दबाव का सामना नहीं कर रही है और उनका कारोबार भी समुचित ढंग से चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि आरसीएल की अनुषंगियों की बिक्री के लिए अपनाए जाने वाले तरीके को लेकर सहमति नहीं बन पाने से समाधान योजना को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। तय कार्यक्रम के मुताबिक, पांच अप्रैल तक बोलियां लगाने वाली सभी कंपनियों को समाधान योजना का दस्तावेज दे देना था। लेकिन अभी तक इसकी शर्तों को ही अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।
गेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त किया था
सूत्रों के मुताबिक, ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) सिर्फ अनुषंगी कंपनियों के लिए बोली लगाने के मामले में बोलीकर्ताओं का गठजोड़ बनाने के पक्ष में है जबकि प्रशासक गठजोड़ व्यवस्था को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। रिजर्व बैंक ने 29 नवंबर, 2021 को आरएलसी के बोर्ड को भंग कर दिवालिया प्रक्रिया संचालित करने के लिए नागेश्वर राव वाई को प्रशासक नियुक्त किया था।