Two defense corridors changed the picture of the defense industry the army is buying 85 of the goods needed from domestic companies

अहमदाबाद. भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने अहमदाबाद डिजाइन वीक 3.0 (Ahmedabad Design Week 3.0) में कहा कि जहां तक सेना का सवाल है, हम जो कुछ भी खरीदते हैं उसका 85% भारतीय कंपनियों से होता है. जनरल नरवणे ने कहा कि चेन्नई और लखनऊ में रक्षा गलियारों ने रक्षा उद्योग की पूरी तस्वीर को बदलने में मदद की है. रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में देश को स्वाबलंबी बनाने के लिए इन डिफेंस कॉरिडोर को खासा महत्व दिया जा रहा है. सरकार का इरादा इन डिफेंस कॉरिडोर में उच्च गुणवत्ता की रक्षा सामग्री और हथियारों का उत्पादन करना है. साथ ही इन कॉरिडोरों के कारण उस इलाके में उद्योगों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही स्थानीय उद्योग रक्षा उत्पादन के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन के साथ भी जुड़ सकेंगे. डिफेंस कॉरिडोर को बनाकर भारत की महत्वाकांक्षा रक्षा क्षेत्र में निर्यातक देश बनने की भी है.
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2018-19 में बजट भाषण में दो डिफेंस कॉरिडोर (Defence Corridor) बनाए जाने की घोषणा की थी. इनमें से पहला तमिलनाडु के पांच शहरों और दूसरा उत्तर प्रदेश के छह शहरों में बना है. चेन्नई, होसूर, कोयंबटूर, सलेम और तिरुचिरापल्ली शहरों में रक्षा सामग्री निर्माण और उत्पादन के लिए बना तमिलनाडु कॉरिडोर देश का पहला डिफेंस कॉरिडोर है. जबकि आगरा, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी और चित्रकूट में बना यूपी डिफेंस कॉरिडोर देश का दूसरा डिफेंस कॉरिडोर है.
रक्षा मंत्रालय ने 101 ऐसे सामानों की लिस्ट बनाई है, जिनका आयात 2020 से 2024 तक बंद कर दिया जाएगा. सरकार को उम्मीद है डिफेंस सेक्टर की कुछ बड़ी इंटरनेशनल कंपनियां अपने प्लांट भारत में भी लगा सकती हैं. जिससे इंटरनेशनल आर्म्स सप्लाई चेन में भारत की मौजूदगी बढ़ेगी.
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