Opinion: मोदी सरकार की 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य और NHAI की भूमिका

नई दिल्ली. मोदी सरकार (Modi Government) देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की दिशा में लगातार अग्रसर है. इसके लिए खासतौर पर देश के कई सेक्टर्स के इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. मोदी सरकार के इस सपने को साकार करने में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. मंत्रालय का दावा है कि अगले वित्त वर्ष तक मंत्रालय का लक्ष्य है कि 65000 किलोमीटर से अधिक के मौजूदा राजमार्गों को 4 से 6 लेन में बदला जाए. इसके लिए 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत आने वाली है. यह भारतमाला (Bharatmala) परियोजना का एक छत्र कार्यक्रम है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) का दावा है कि उनका मंत्रालय अब तक कई वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है और आगे भी इंफ्रा बेहतर बनाने की दिशा में सक्रियता से काम करता रहेगा.
बता दें कि इसी साल आम बजट के बाद मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि भारत के पास दुनिया में सबसे तेजी से सड़कें बनाने का रिकॉर्ड है. इस रिकॉर्ड में आगे भी सुधार होते जाएंगे. साल 2020-21 के दौरान देश में 13,394 किलोमीटर हाईवे का निर्माण किया गया. इसी दौरान मार्च महीने 37 किलोमीटर प्रति दिन के औसत से सड़कें बनाई गईं. इसके साथ ही एनएचआई ने दिल्ली-वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे के करीब 2.5 किलोमीटर के हिस्से को 23 घंटे में बनाने का रिकॉर्ड बना डाला. तीसरा रिकॉर्ड NHAI के एक कांट्रैक्टर ने 18 घंटे में 25.54 किलोमीटर सिंगल लेन सड़क का निर्माण कर दिया.

मोदी सरकार का ये है अगले पांच सालों का प्लान
गडकरी के मुताबिक मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी परियोजना नेशनल रोपवे डेवलपमेंट प्रोग्राम (National Ropeway Development Programme) से पूर्वोत्तर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों को बड़ा फायदा होने वाला है. इसके साथ ही भारतमाला (Bharatmala) और सागरमाला (Sagarmala) जैसे प्रोजेक्ट देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. खासतौर पर इस बार के बजट में पर्वतमाला (Parvatmala) प्रोजेक्ट की भी जिम्मेदारी दी गई है. इसी तरह चारधाम को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को भी चौड़ा, बेहतर और मजबूत किया जाना है. इस परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2016 में रखी थी. सामरिक दृष्टि से भी इस परियोजना का महत्वपूर्ण स्थान है. इस परियोजना के तहत कुल 889 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है, जिस पर लगभग 12000 करोड़ की लागत आएगी.
एनएचएआई ने ऐसे अपने काम करने का तरीका बदला
इसके साथ ही एनएचआई पिछले कुछ सालों से लंबित मामलों के निपटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. मोदी सरकार इस दिशा में भी नया रिकॉर्ड बनाया है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक NHAI वित्त वर्ष 2021-22 में 4,076 करोड़ रुपये में 60 मामलों का निपटारा कर दिया है. इन मामलों में दावा राशि 14,590 करोड़ रुपये थी. एनएचएआई ने एक बयान में कहा कि निपटारा राशि दावा राशि की करीब 28 फीसदी है.

जमीन संबंधित विवादित मामलों को ऐसे किया निपटारा
आपको बता दें कि जमीन संबंधित विवाद को हल करने के लिए मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में राज्य सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारियों की मदद से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को सुगम बनाने की योजना तैयार की थी. जमीन अधिग्रहण में मदद करने वाले राज्य सरकार के सेवानिवृत्त अधिकारियों को एनएचएआई की ओर से प्रोत्साहन दिया जाता है. इस कदम का उद्देश्य जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करना है, जिससे काम में तेजी लाई जाए.
एनएचएआई कैसे काम कर रही है?
गौरतलब है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भारत सरकार का एक उपक्रम है. इसका कार्य सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास, रख-रखाव और प्रबंधन करना और इससे जुड़े हुए कई तरह के छोटे-बड़े मामलों को देखना है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का गठन संसद के एक अधिनियम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1988 के द्वारा किया गया था. प्राधिकरण ने फरवरी 1995 में पूर्णकालिक अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति के साथ कार्य करना शुरू किया. दिसंबर 2000 में पहली बार तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के निर्देश पर देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की गई थी.

क्यों जरूरी है एनएचएआई
राष्ट्रीय राजमार्ग देश के अंदर एक राज्य से दूसरे राज्य में यात्रियों के आवागमन और सामानों के आने-जाने के लिए महत्वपूर्ण सड़कें होती हैं. ये सड़कें देश में लंबाई और चौड़ाई में आर-पार फैली हुई हैं. एनएचएआई राज्यों की राजधानियों, प्रमुख बंदरगाहों, रेल जंक्शनों, सीमा से लगी हुई सड़कों और विदेशी राजमार्गों को जोड़ती हैं. फिलहाल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों (एक्सप्रसे मार्गों सहित) की कुल लंबाई 1,32,499 कि.मी. है, जबकि राजमार्ग/एक्सप्रसे मार्ग सडकों की कुल लंबाई का केवल लगभग 1.7% है और इन सड़कों पर 40% यातायात चलता है.
कितने चरणों में काम हो रहा है?
फिलहाल देश में राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के 7 चरणों में विस्तार किया गया है. इसके तहत अगले वित्त वर्ष तक लगभग 65000 किलोमीटर से अधिक के मौजूदा राजमार्गों को मुख्य रूप से 4 से 6 लेन में बदलने की परिकल्पना की गई है. इसके अलावा 2017 में मोदी सरकार ने भारत के अब तक के सबसे बड़े राजमार्ग विकास कार्यक्रम भारतमाला परियोजना की घोषणा की थी, जिसमें चरण 1 के अंतर्गत 5,35,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 34,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों को अपग्रेड किया जाना है.

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हालांकि, NHAI गैर वित्तीय क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे कर्जदार संस्था भी बन गई है. इस मामले में उसने एनटीपीसी और ओएनजीसी को भी पीछे छोड़ दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो वित्त वर्ष 2020-21 में ही NHAI का कर्ज 27 फीसदी बढ़कर 3.17 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है. इसके पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में यह 2.49 लाख करोड़ रुपये था. पिछले पांच सालों में एनएचएआई का कर्ज बोझ 7 गुना बढ़ा है. मार्च 2016 में यह सिर्फ 45,300 करोड़ रुपये था. इसके बावजूद मोदी सरकार ने अगले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है.
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