पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों से AFSPA हटाने के केंद्र के फैसले से इरोम शर्मिला खुश, जानिए क्या कहा उन्होंने इस बारे में

इंफाल. पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) हटाने के केंद्र सरकार के फैसले से सामाजिक कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला (Irom Chanu Sharmila) खुश हैं. उन्होंने इस कदम को ‘लोकतंत्र की असल संकेत’ बताया है. साथ ही उम्मीद जताई है कि पूरे पूर्वोत्तर (North East) से जल्द ही यह कानून स्थायी रूप से हटाया जा सकता है. शर्मिला (Irom Chanu Sharmila) ने ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ से विशेष बातचीत के दौरान कहा, ‘मेरे जैसे तमाम कार्यकर्ताओं के लिए यह बहुत बड़ा लम्हा है. मुझे खुशी है कि देश के राजनेता अब वाकई पूर्वोत्तर के लिए कुछ अलग करना चाहते हैं. अंग्रेजों के समय का एएफएसपीए (AFSPA) हटाने का फैसला लोकतंत्र का असल संकेत है. कम से कम मैं तो ऐसा मानती हूं. यह दशकों चले संघर्ष के नतीजे में होने वाली नई शुरुआत है. पहला कदम उठा लिया गया है. मैं चाहती हूं कि पूरे पूर्वोत्तर से यह कानून हटाया जाए. इतना ही नहीं, इस कानून की वजह से जिन्होंने निजी तौर तकलीफें उठाईं, अपने अपनों को खोया, उन लोगों को मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘एएफएसपीए के बिना जिंदगी ज्यादा सहज होगी. कोई डर नहीं होगा और स्थितियां बेहतर होंगी.’ शर्मिला ने बताया, ‘हमने मणिपुर में इस कानून का विरोध इसलिए शुरू किया क्योंकि इसकी आड़ में हमारी महिलाओं को बेइज्जत किया जा रहा था. लेकिन बाद में मुझे अहसास हुआ कि पूरे पूर्वोत्तर में ही इस कानून की वजह से लोग डरे हुए हैं.’
गौरतलब है कि इरोम चानू शर्मिला ने नवंबर 2000 से अगस्त 2016 तक एएफएसपीए (AFSPA) के खिलाफ लगातार भूख हड़ताल की थी. इस कारण उन्हें सरकारों, सुरक्षा एजेंसियों की प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ा.
हालांकि बाद में उन्होंने 2017 में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने के लिए भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी.
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