क्यों चीन बूढ़ी होती आबादी के मामले में खतरनाक स्थिति में, हम क्या सीख सकते हैं

बहुत दिनों से हम लोग सुनते आए थे कि चीन की बड़ी आबादी बहुत तेजी से बूढ़ी हो रही है. चीन उन देशों में है, जहां दुनिया के सबसे ज्यादा वृद्ध लोगों की आबादी भी है. वृद्ध होना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन कभी कभी कुछ गलत नीतियां इतनी भारी पड़ जाती हैं कि वो खतरनाक स्थिति में ले जाती हैं. फिलहाल चीन की यही स्थिति है. इसका अंदाज इससे हो जाता है कि चीन में वृद्धों के लिए जो पेंशन स्कीम या दूसरी कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही थीं, वो फंड के अभाव में चरमराने लगी हैं. इसी के चलते चीन को पहली बार रिटायरमेंट में देरी करनी पड़ रही है.
दरअसल चीन से एक खबर आई कि वहां की सत्ताधारी चीन कम्युनिस्ट पार्टी अपने सभी कर्मचारियों के रिटायरमेंट में देर कर रही है. उसी के साथ ये बताया गया कि किस तरह चीन में वृद्ध लोगों की आबादी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि रिटायर जिंदगी बिता रहे वृद्धों को देने के लिए फंड में कमी हो गई है. साथ ही वृद्धों की दूसरी योजनाएं भी फंड की कमी से प्रभावित होने लगी हैं.
चीन में वृद्धों के मामले में योजनाएं लागू करने और नई योजनाओं के लिए एक पंच वर्षीय स्कीम चलाई जाती है. इस बार जब संबंधित 14वीं पंचवर्षीय योजना खत्म हुई तो पता चला कि सरकार के ऊपर पेंशन पालिसी और बुजुर्ग कल्याण सिस्टम पर इतना भारी बोझ बढ़ चुका है कि संभाले नहीं संभल रहा है. ये समस्या पिछले कुछ सालों से ही गंभीर हो रही थी लेकिन अब लगता है कि ये बहुत नाजुक दौर में पहुंच चुकी है. इसीलिए जब सरकार को इस बार में बताया गया तो चीन की सरकार हरकत में आ गई.
रिटायरमेंट पेशन और सुविधाएं नहीं मिलने से नाराजगी
चीन में श्रमिक वर्ग में सही समय पेंशन और सुविधाएं नहीं मिलने से नाराजगी खासी बढ़ती जा रही है. चीन में अब भी सरकारी सेवा से निवृत्त होने वाले लोगों के लिए पेंशन की व्यवस्था है तो सरकार ओल्ड एज आबादी की केयर के लिए राष्ट्रीय बुजुर्ग विकास जैसी योजना चलाती है, जिसमें उनक हेल्थ केयर और होम केयर को इंटरनेट के साथ एक सिस्टम से जोड़ा हुआ है.

चीन में रिटायर लोगों की पेंशन पालिसी और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाएं दबाव में आ गई हैं, क्योंकि फंड की कमी महसूस की जाने लगी है.
बुजुर्गों से जुड़े पेंशन और अन्य फंड में कमी का संकट
जब सरकार को बताया गया कि बुजुर्गों की पेंशन से लेकर दूसरी योजनाओं के मद में पैसे का अकाल पड़ रहा है तो सरकार मुश्किल महसूस करने लगी. इसी के चलते 01 मार्च से रिटायर होने वालों के रिटायरमेंट में देरी की जा रही है. देखना ये होगा कि बुजुर्ग आबादी का बोझ जो चीन पर लगातार बड़ा होता जा रहा है, वो उससे कैसे निपटेगा.
ग्लोबल एज वॉच इंडैक्स में कहां है चीन
वैसे बुर्जुगों की बेहतर केयर और अन्य सुविधाओं के मामले में ग्लोबल एज वॉच इंडैक्स ने चीन को 52वें नंबर पर रखा है. हालांकि भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे एशियाई देश इस इंडैक्स में और भी पीछे हैं.

चीन में इस समय दुनिया के सबसे ज्यादा बुजुर्ग रहते हैं जो 2040 में उनकी कुल आबादी की 28 फीसदी और 2050 में 40 फीसदी हो जाएगी.
भारत इसमें अगर 71वें नंबर पर है तो पाकिस्तान 92वें नंबर पर, नेपाल 70वें और बांग्लादेश 67वीं पोजिशन पर. ये इंडैक्स कई पैमानों पर देखता है कि वृद्ध हो चुके लोगों के लिए आर्थिक से लेकर समुदाय और स्वास्थ्य क्षेत्र तक उनके अनुकूल कितनी और कैसी सुविधाएं और सुरक्षा है. इस मामले में स्विट्जरलैंड नंबर वन की पोजिशन पर है.
क्यों आई चीन में ये समस्या
चीन काफी हद तक खुद पर आई इस समस्या के लिए खुद जिम्मेदार लगता है. वहां युवा आबादी की बजाए बुजुर्ग बढ़ रहे हैं और एकाकी भी हो रहे हैं. चीन में भी औसत आयु बढ़कर करीब 78 साल हो चुकी है तो फर्टीलिटी रेट काफी घट गया है. 1979 में लागू की गई वन चाइल्ड पालिसी ने चीन की सामाजिक संरचना को बुरी तरह छिन्न-भिन्न करके रख दिया. इसलिए जब चीन को इस नीति से हुई बड़ी गलती का अहसास हुआ तो 2015 में टू चाइल्ड पालिसी लागू की गई और मई 2021 में तीन बच्चों की पॉलिसी की घोषणा कर डाली गई. तीसरी वजह एक और है कि चीन में भी अब युवा शादी से बचने लगे हैं और बच्चे पैदा नहीं करना चाहते. तलाक भी बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं.
सबसे ज्यादा बुजुर्गों का देश बन चुका है चीन
दुनिया में जितने भी देश हैं, उनमें चीन ऐसा देश है, जो तेजी से सबसे ज्यादा बुर्जुर्गों के देश में तब्दील हो रहा है. वर्ष 2015 में यहां 25.4 करोड़ लोग 60 साल से ज्यादा उम्र के थे तो 17.6 करोड़ लोग 65 साल से ऊपर के. अनुमान है कि 2040 में चीन में 40 करोड़ से ज्यादा लोग 60 साल से ऊपर की उम्र के होंगे. ये कुल आबादी का 28 फीसदी होगा. ये क्रम आने वाले सालों में और बढ़ेगा.
गंभीर बीमारियों से घिरी हुई चीनी बुजुर्गों की आबादी
वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट कहती है, चीन यद्यपि बुजुर्ग लोगों के लिए काफी कुछ कर रहा है लेकिन वहां वृद्ध लोगों के लिए अनुकूल शहरों और समुदायों की जरूरत है, जहां वृद्ध आराम से रह सकें. वृद्धों की 75 फीसदी आबादी ऐसी है जो हृदयरोगों से लेकर डायबिटीज जैसी बीमारियों की चपेट में आकर गंभीर बीमारयों में घिरने लगती है.
दुनिया में फिलहाल कितने बुजुर्ग
फिलहाल दुनिया में 90 करोड़ के आसपास 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग हैं लेकिन 2050 में ये तादाद 200 करोड़ के ऊपर चली जाएगी. अब देखना होगा कि चीन खुद बनाए अपने इस जाल से कैसे बाहर निकल पाएगा.
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